नया धंधे खोलने वाली शिनच्यांग महिलाएं

2021-05-14 17:10:42

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दोस्तों, हाल के कई वर्षों में चीन के शिनच्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश में बड़ा विकास हुआ है। वहां रहने वाली अल्पसंख्यक जातीय महिलाएं भी अपने नये धंधे खोलती हैं।

“अपने हाथों से कमाये गये छोटे पैसे दूसरे से प्राप्त सोने का पहाड़ से और मूल्यवान होते हैं। हम अपने हाथों से अपना खुशहाल जीवन बना रहे हैं, इस पर हमें बहुत खुशी है, बहुत गौरव महसूस होता है।” शिनच्यांग की लोफू काऊंटी में रहने वाली 27 वर्षीय महिला दिलिनुर एमरनियाज़ ने आत्मविश्वास के साथ ये बातें कहीं।

सुश्री दिलिनुर होथ्येन क्षेत्र के लोफू काऊंटी में रहती हैं। वे दो बच्चों की मां है। कई सालों पहले वे घर में बच्चों की देखभाल करती थीं। हालांकि दिलिनुर ने देखा कि उनका पति काम करने में बहुत व्यस्त हैं, और वे पति की मदद करना चाहती हैं। लेकिन उसी समय वे असक्षम थीं। पर हाल के दो वर्षों में क्योंकि बच्चों ने स्कूल में प्रवेश किया, इसलिये उन्होंने बाहर जाकर काम करने का फैसला किया।

क्योंकि दिलिनुर को कॉलेज डिग्री मिली और लेखांकन आता है। इसलिये उन्होंने गत वर्ष अपने जन्मस्थान में स्थित एक ग्रामीण सहकारिता में लेखांकन का काम ढूंढ़ पाया। हर महिने में उन्हें 3500 युआन का वेतन मिल सकता है। इस की चर्चा में उन्होंने कहा कि हमारी उइगुर जाति में एक कहावत ऐसी है कि अपने हाथों से कमाये छोटे पैसे भी दूसरों से प्राप्त सोने के पहाड़ से और मूल्यवान हैं। अब मैं अपने हाथों से काम करती हूं, और पैसे कमाती हूं। मेरा जीवन बहुत परिपूर्ण बन गया है और मुझे गौरव है।

पहले महीने का वेतन पाकर दिलिनुर ने अपने मां-बाप और पति के लिये नये कपड़े खरीदे, और बच्चों के लिये स्वादिष्ट भोजन भी तैयार किये। साथ ही अपने लिये सुन्दर कपड़े व मेकअप का सामान भी खरीदा। उन्होंने कहा कि पहले घर की सभी आय पति पर निर्भर है, पर अब हम दोनों काम करते हैं। इसलिये जीवन भी ज्यादा से ज्यादा बेहतर बन रहा है। वर्तमान में दिलिनुर ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट पास करने के लिये अभ्यास कर रही हैं। क्योंकि इस दंपति ने एक गाड़ी खरीदने की योजना बनायी है। ताकि बाद में बाहर जाने के लिये ज्यादा सुविधाएं मिल सकें। साथ ही वे ज्यादा दूर जगहों में यात्रा भी कर सकेंगे।

कुछ विदेशी मीडिया द्वारा शिनच्यांग में मजबूर श्रम के बारे में दी गयी रिपोर्ट की चर्चा में दिलिनुर ने कहा कि मैं उन मीडिया से यह सवाल पूछना चाहती हूं कि हम अपने हाथों से सुन्दर जीवन बनाते हैं, क्या इस में कोई समस्या है?क्या महिलाएं बच्चों का जन्म देने के बाद तो बाहर में काम नहीं कर सकेंगी?दिलिनुर ने यह भी कहा है कि इस वर्ष वे प्रबंध से जुड़ी जानकारियां सीख लेंगी, और ज्यादा कौशल पाकर काम में अपनी क्षमता को दिखाएंगी।

उधर सुश्री केलीबिनूर कुर्बान तूर्फ़ान शहर से आई हैं। हालांकि उन की उम्र बड़ी नहीं है, लेकिन वे हस्तनिर्मित कालीन बुनाई उद्यम की बोर्ड अध्यक्ष बन गयीं। उन के उद्यम में 70 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। और हर साल 1.5 करोड़ युआन का उत्पादन मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि श्रम करना हर नागरिक का बुनियादी अधिकार व हित है। महिला द्वारा नया धंधा खोलना इस युग में एक फ़ैशन बन गया है। श्रम करना एक गौरव व खुशी की बात है। भविष्य में हम निरंतर रूप से अपनी कंपनी के पैमाने को विस्तार करेंगे, और जातीय हस्तनिर्मित कालीन व कपड़े का ब्रांड बनाएंगे। आशा है हमारा ब्रांड चीन से निकलकर विश्व में प्रवेश कर सकेगा, जिससे न सिर्फ़ शिनच्यांग में अल्पसंख्यक जाति की परंपरागत संस्कृति अच्छी तरह से विकसित हो सकेगी, बल्कि ज्यादा रोजगार भी प्रदान किये जा सकेंगे, और ज्यादा लोगों को समृद्ध बनने में मदद दी जा सकेगी।

चंद्रिमा

रेडियो प्रोग्राम