“नियमों” की बात कर दुनिया को धोखा दे रहा है अमेरिका

2021-05-07 20:18:11

जी 7 के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन हाल में लंदन में संपन्न हुआ। चीन एक बार फिर सम्मेलन का "छायामात्र नायक" बना। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने सम्मेलन में कहा कि अमेरिका का उद्देश्य चीन को बाधित करना या दमन करना नहीं है, बल्कि "नियमों" के आधार पर एक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करना है। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के सबसे बड़े विध्वंसक के रूप में अमेरिका के पास अन्य देशों से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के पालन वाली मांग पेश करने का आत्मविश्वास कहां से आया?  उसके कथन में "अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था" आखिरकार किस के लिए सेवा कर रही है?

दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न करना, यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के महत्वपूर्ण सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का आधारभूत नियम है। लेकिन लम्बे समय से अमेरिका बार-बार दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करता रहा है। मौजूदा जी7 विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में अमेरिका ने अपने साथियों का नेतृत्व कर चीन के अंदरूनी मामले को लेकर मनमाने ढंग से टिप्पणी की और दबाव डाला। उसने कहा कि एक तथाकथित“हांगकांग का मित्र”नाम के एक संगठन की स्थापना की जाए, ताकि संबंधित सूचनाओं और चिंताओं को साझा किया जा सके। क्या दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करना अमेरिका की रक्षा में “अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था” है?

लम्बे समय में अमेरिका ने बल का अवैध उपयोग न करने या धमकी न देने वाले अंतरराष्ट्रीय बुनियादी सिद्धांतों को नजरअंदाज कर कई बार संप्रभु देशों के खिलाफ युद्ध छेड़ा। साल 2003 में उसने कपड़े धोने वाले सफेद डिटर्जेंट की एक छोटी बोतल को बहाना बनाकर संयुक्त राष्ट्र की अनुमति के बिना इराक पर हमला किया, जिसमें कई लाख लोग हताहत हुए। अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करके अराजकता पैदा करना और युद्ध छेड़ना, क्या यह अमेरिका की नजर में“अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था”है?

दुनिया में केवल एक अंतरराष्ट्रीय प्रणाली है, यानी संयुक्त राष्ट्र के साथ कोर के रूप में अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली। वैश्विक नियमों का केवल एक सेट है, अर्थात् संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर आधारित अंतरराष्ट्रीय संबंधों का बुनियादी मानदंड। केवल अमेरिका और पश्चिम के वे देश जो अक्सर दूसरों को दबाने के लिए "नियमों" का उपयोग करते हैं, उन्हें वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए।

इस वर्ष के शुरु में जी 7 के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर वचन दिया कि साल 2021 को बहुपक्षवाद का एक महत्वपूर्ण मोड़ बना देगा। लेकिन तथ्यों से जाहिर हुआ है कि जी 7 का तथाकथित बहुपक्षवाद कुछ देशों के नियमों के साथ अंतरराष्ट्रीय नियमों को परिभाषित करने और कुछ देशों की व्यवस्था के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलने के अलावा और कुछ नहीं है, जो पूरी तरह से "छद्म बहुपक्षवाद" है।

दुनिया को आज सच्चे बहुपक्षवाद की जरूरत है। जैसा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 6 मई को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनिओ गुटेरेस के साथ फोन वार्ता के दौरान जोर दिया कि दुनिया को सच्चा बहुपक्षवाद चाहिए। विभिन्न देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सिद्धांत के मुताबिक काम करना चाहिए, एकतरफावाद और प्रभुत्ववाद का अनुसरण नहीं करना चाहिए। बहुपक्षवाद के नाम पर छोटे दायरे की मित्रता नहीं बनानी चाहिए, और न ही वैचारिक टकराव करना चाहिए। नए चौराहे पर खड़ी दुनिया को ऐसी सच्ची आवाज़ की जरूरत है।

(श्याओ थांग)

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