हम दूसरों को सहायता देने के साथ खुद को भी उन्नत कर सकेंगे:महिनूर

2021-05-06 16:03:21

हम दूसरों को सहायता देने के साथ खुद को भी उन्नत कर सकेंगे:महिनूर_fororder_玛依努尔

हम न सिर्फ़ चीन के विभिन्न क्षेत्रों में युवा स्वयंसेवकों की छवि देख सकते हैं, बल्कि चीन से बहुत दूर विदेशों में भी उनसे मिल सकते हैं। जब विदेशों में चीनी लोग मुश्किल में फंसे, तो वे स्वयंसेवक ज़रूर ठीक समय पर उन्हें आवश्यक मदद दे सकते हैं। वे विदेशों में स्थित कॉन्सुलर सहायता स्वयंसेवक हैं। आजकल तुर्की में स्थित सीएमजी के संवाददाता ने कई चीनी स्वयंसेवकों से इन्टरव्यू लिया। इस रिपोर्ट में हम उईगुर जाति की कांसुलर सहायता स्वयंसेवक महिनूर अब्दुल्लाह की कहानी बताएंगे।

सुश्री महिनूर वर्ष 2013 में चीन के सूचो खाईय्वान समूह द्वारा तुर्की में स्थित अपनी शाखा कंपनी में भेजी गयी। वे इस शाखा कंपनी की जनरल मेनेजर हैं। क्योंकि उन्हें तुर्क भाषा आती है, इसलिये वे अकसर तुर्की स्थित चीनी दूतावास को आम समस्याओं के सुलझाने में मदद देती हैं। इसलिये जब चीनी विदेश मंत्रालय ने कांसुलर सहायता स्वयंसेवक व्यवस्था की शुरूआत की, तुर्की में स्थित चीनी दूतावास ने सबसे पहले महिनूर के बारे में सोचा।

महिनूर के अनुसार क्योंकि एंटाल्या तुर्की में एक प्रसिद्ध पर्यटन शहर है, इसलिये यहां के कांसुलर सहायता काम मुख्य तौर पर पर्यटकों से जुड़े हुए हैं। उन पर गहरी छाप छोड़ने वाले अनुभव की चर्चा में महिनूर ने कहा कि, एक बात ने मेरे दिमाग में गहरी छाप छोड़ी, क्योंकि यह सुनकर मैं बहुत हैरान हुई। एक परिवार के चार व्यक्तियों ने एक गाड़ी किराए पर ली। लेकिन रास्ते पर वह गाड़ी पलट गयी। उन्हें नहीं पता था कि क्या किया जाय?फिर उन्होंने दूतावास को फ़ोन किया। उस समय दूतावास ने मुझे फ़ोन करके यह बात बतायी। यह सुनकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ।

महिनूर ने आगे बताया कि सौभाग्य से किसी को चोट नहीं आयी। फिर उन्होंने किराए पर कार देने वाली कंपनी और पुलिस से संपर्क किया और इस यातायात दुर्घटना को निपटाया। साथ ही उन पर्यटकों को सुरक्षित स्थल पर पहुंचाया। केवल दो घंटे में इस समस्या का समाधान कर लिया गया, इसलिये उन चार पर्यटकों की यात्रा में कोई बड़ा असर नहीं पड़ा। एंटाल्या से जाने पर उन्होंने महिनूर को धन्यवाद दिया।

वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी अचानक आयी। सुश्री महिनूर की कांसिलर सहायता स्वयंसेवा में नया विषय शामिल किया गया है। एंटाल्या के उपनगर में स्थित एक होटल में काम करने वाले दो चीनी बुजुर्ग दंपतियों में एक ही पत्नी कोविड-19 वायरस से संक्रमित हुई। स्थानीय भाषा न समझने के कारण वहां के अस्पताल में परेशानी हुई, फिर उन्होंने दूतावास से मदद मांगने के लिये फ़ोन किया। फ़ोन में यह बात जानकर सुश्री महिनूर ने ठीक समय पर होटल व अस्पताल से संपर्क किया, और उनके इलाज के लिए प्रबंध भी किया। उस समय महिनूर रोगी व अस्पताल के बीच आदान-प्रदान का एक पुल बनीं। उनके अलावा महिनूर ने चीन  स्थित इस रोगी के रिश्तेदारों से भी संपर्क रखा, और आदान-प्रदान आदि का काम बखूबी किया। अंत में यह रोगी स्वस्थ हो गयी।

महिनूर ने कहा कि जीवन व मौत के सामने कांसिलर सहायता स्वयंसेवक मानसिक स्तंभ की भूमिका भी अदा करते हैं। आदान-प्रदान में सात्वना देने से दूसरों को भी बड़ी मदद दी जा सकती है। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा, वास्तव में अधिकतर समय में उन्होंने मुझे एक मानसिक स्तंभ माना है। इसलिये मुझे रोगियों के रिश्तेदारों को अच्छी तरह से सात्वना देनी होती है। क्योंकि सभी लोग कोविड-19 सुनते ही बहुत परेशान हो जाते हैं। रोगी के रिश्तेदार भी अस्पताल में प्रवेश नहीं कर सकते। इसलिये उनकी चिंता व घबराहट और ज्यादा होती है।

हालांकि कांसिलर सहायता स्वयंसेवा देने से महिनूर और व्यस्त हो गयीं। लेकिन उन्होंने दूसरों की सहायता देने की यथासंभव कोशिश की। क्योंकि इस दौरान उन्हें चीनी भाई बहनों से धन्यवाद व शुभकामनाएं मिलने के साथ मानव के बीच ऐसा शुद्ध संबंध भी मिल सकता है, जो आज के समाज में बहुत मुश्किल से मिल सकता है। साथ ही वे अपने को भी ढूंढ़ पाती हैं। इस बारे में महिनूर ने कहा कि, हम न सिर्फ़ दूसरों के लिये अच्छा काम करते हैं, बल्कि अपने लिये भी। क्योंकि दूसरों की मदद देने से मुझे बहुत खुशी होती है। मुझे लगता है कि मैं एक उपयोगी व्यक्ति हूं। यह एक बड़ी खुशी की बात है। इस दौरान मुझे एक व्यक्ति के रूप में सबसे सरल व सब से आधारभूत स्वभाव मिल सकता है।

महिनूर के विचार में चीनी विदेश मंत्रालय और विदेशों में स्थित दूतावासों ने प्रबंध व समन्वय करके विदेश में मुसिबत में फंसे हर एक चीनी बंधु के लिये एक सुरक्षित माहौल प्रदान किया। कांसिलर सहायता स्वयंसेवकों के लिये उच्च कर्तव्य देने और महत्वपूर्ण मंच प्रदान करने से स्वयंसेवक लंबे समय तक अपनी भूमिका अदा कर सकेंगे। और वे इस काम पर कायम रह सकेंगे। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा, सरकार की समन्वय करने और संगठित करने की क्षमता के बिना केवल एक एक व्यक्ति पर निर्भर रहने से शायद बहुत काम नहीं किये जा सकते। क्योंकि हर एक व्यक्ति की शक्ति सीमित होती है। इसलिये यहां हम दूतावास को धन्यवाद देना चाहते हैं, क्योंकि उसने हमें एक मंच के रूप में तैयार किया, जिससे हम अपनी अपनी शक्ति का प्रयोग कर दूसरों की मदद दे सकेंगे।

महिनूर ने संवाददाता से कहा कि हाल ही में दूतावास के निर्देशन में एंटाल्या में प्रवासी चीनी संघ की स्थापना की गयी है। महिनूर को इस संघ की अध्यक्ष चुनी गयी। अब वे इस बात पर विचार कर रही हैं कि संघ की भूमिका को कॉसिलर सहायता स्वयंसेवा से कैसे जोड़ा जाय?ताकि स्थानीय चीनी बंधुओं की सक्रियता को बढ़ाया जा सके, और ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद दी जा सके। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा, हमारी योजना यह है कि चीनी बंधुओं के बीच एक आपसी सहायता दल की स्थापना की जाए। उन लोगों को, जो तुर्क भाषा, कानून या सरकारी कार्य के पक्ष में सक्षम हैं, इस दल में तैनात किया जा सकता है। अगर कोई घटना हुई है, तो वे जल्द ही संगठित होकर काम कर सकेंगे। मुझे विश्वास है कि हमारे भाई-बहन ज़रूर यह काम करने के लिये बहुत इच्छुक होंगे।

चंद्रिमा

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