गेसार के उत्तराधिकारी गाफालखाओ की अभिलाषा

2021-05-06 18:38:15

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गेसार विश्व में सबसे लम्बा एतिहासिक महाकाव्य है। वह पुरानी तिब्बती जाति और मंगोलियाई जाति की लोक संस्कृति और मौखिक कहानी कला का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। गेसार का लम्बा इतिहास, महान ढांचा और प्रचुर विषय है, जो एक वीर रस की कविता मानी जाती है। गेसार तिब्बती जाति की प्रथाओं, कविताओं और कहावतों के आधार पर पैदा हुई कविता है, जो पुरानी तिब्बती जाति की संस्कृति की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करती है। आज के इस कार्यक्रम में आप मेरे साथ इस विशेष कला का आनंद उठाइए।

हेलमेट और झंडे समेत 20 से ज्यादा किलोग्राम वाले अलंकार शरीर पर पहनकर एक वृद्ध निरंतर कई घंटों से गाना गा रहे हैं। इस दौरान किसी भी तरह के वाद्य यंत्र का उपयोग नहीं किया जाता है, फिर भी उनका गाना अत्यन्त मधुर लगता है।

चीन के गैननान तिब्बती स्वायत प्रिफेक्चर की नाछ्वू काऊंटी के गाफालखाओ नाम के एक वृद्ध ने इसे गाया है। गेसार हाल ही में विश्व में रखी गई एकमात्र जीवित वीर रस की कविता है जिसका लोग गान कर रहे हैं। अब नये संस्करण भी पैदा हो रहे हैं। अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार गेसार की कम से कम 120 से अधिक पुस्तकें हैं और इसमें 15 लाख से ज़्यादा वाक्य हैं। जबकि विश्व में होमर वीर कविता इलियट की कुल 24 पुस्तकें और 15 हजार से ज़्यादा वाक्य और ओडिसी की कुल 24 पुस्तकें और 12 हजार से ज़्यादा वाक्य हैं। विश्व में सबसे लम्बी ऐतिहासिक कविता भारत के ग्रंथ महाभारत के कुल 18 अध्याय हैं और 2 लाख से ज्यादा वाक्य हैं। 2009 में गेसार ऐतिहासिक कविता विश्व की गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल की गई है।

गैननान तिब्बती स्वायत प्रिफेक्चर की नाछ्वू काउंटी राजा गेसार का जन्मस्थान है। नाछ्वू काउंटी के घास के मैदान में गेसार की कथाओं से संबंधित 77 स्थान मिलते हैं। कहा जाता था कि युवा गेसार यहां के राजा थे। तिब्बती जनता के हृदय में उनकी छवि एक महान वीर की है जो साहसी से लड़ाई लड़ते थे और जनता के लिए काम करते थे। उनकी कहानियां तिब्बत के चरागाहों में बहुत लोकप्रिय हैं। नाछ्वू काऊंटी में प्रचिलित गेसार में तिब्बती जनता के उत्पादन, रीति-रिवाज़, धार्मिक विश्वास, सांस्कृतिक गतिविधियों और ऐतिहासिक विकास के विषय शामिल हैं।

लेकिन दुख की बात है कि आजकल के अधिक से अधिक युवा चरवाहे अपनी प्राचीन परम्परा को छोड़कर आधुनिक सभ्यता को अपना रहे हैं। गेसार कला के उत्तराधिकारी अब बहुत कम हैं।

नाछ्वू काउंटी में गेसार के केवल एक कलाकार हैं, जिनका नाम है गाफालखाओ। गाफालखाओ के पिता, दादा और नाना सब गेसार के कलाकार थे। लेकिन उन लोगों का निधन हो चुका है। गाफालखाओ की उम्र भी इस समय 70 वर्ष है।

बचपन से ही गाफालखाओ ने अपने पिता जी से गेसार गाना सीखना शुरू किया था। 11 – 12 वर्ष की उम्र से गाफालखाओ ने औपचारिक रूप से गेसार गाना शुरु किया। अब तक गाफालखाओ ने अनजाने में न जाने कितने गेसार के बोलों को याद किया है। धीरे धीरे गाफालखाओ सुप्रसिद्ध होने लगे। उन्होंने राष्ट्रीय गेसार कलाकारों के सम्मेलन में भाग लिया और तीसरा पुरस्कार भी प्राप्त किया। हालांकि वह बूढ़े हो चुके हैं, फिर भी गेसार गाते समय बहुत जीवंत दिखाई देते हैं।

उन्होंने कहा कि लोग विवाह करते समय अक्सर मुझे गेसार गाने के लिए आमंत्रित करते हैं। एक बार मैंने निरंतर दो दिनों तक भी गेसार गीत गाया और बीच में कहीं भी रुका नहीं।

गाफालखाओ चाहते हैं कि गेसार कला का प्रसार किया जाए। गाफालखाओ की चाशी गांव में कुछ छोटे बच्चे हैं, जो स्वेच्छा से उनके पास जाकर गेसार गाना सीखते हैं। चाशी गांव ने उनके लिए खास स्थान देकर वृद्ध गाफालखाओ को सहायता दी है। गाफालखाओ ने परम्परागत गेसार को तिब्बती नाटक से जोड़कर इस कला में जीवित शक्ति डाली है।

पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय सरकार ने परम्परागत तिब्बती संस्कृति के उत्तराधिकार और संरक्षण को बहुत महत्व दिया और गेसार जैसी गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण के लिए अधिक काम किया है। गाफालखाओ ने भी इस कला का प्रसार करने की आशा जताई है। गेसार कला के भविष्य की चर्चा में वृद्ध गाफालखाओ बहुत चिंतित हैं। एक जीवित ऐतिहासिक महाकाव्य के रूप में गेसार न केवल पुस्तकों या ऑडियो डिस्क में संयोजित कर रखना चाहते हैं बल्कि, जनता के दैनिक जीवन में भी रखना चाहते हैं।

आशा है कि गेसार का गान हमेशा के लिए तिब्बती पठार पर गूंजता रहेगा।

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