चीन और अमेरिका के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो
हाल में चीनी उप विदेश मंत्री ले युछंग ने एसोसिएटेड प्रेस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि चीन और अमेरिका के बीच बुरी प्रतिस्पर्धा के बजाय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। विश्व के लिए खास कर्तव्य निभाने वाले दो बड़े देश होने के नाते चीन और अमेरिका को प्रतिरोध से बचने की कोशिश करनी चाहिए, जबकि मनमाने ढंग से प्रतिरोध नहीं बनाना चाहिए।
ले युछंग ने कहा कि चीन और अमेरिका शांतिपूर्ण सहअस्तित्व कर सकते हैं, आपसी लाभ और सहयोग कर सकते हैं और समान प्रगति पा सकते हैं। दोनों पक्षों को दूरगामी दृष्टिकोण से परिस्थिति का अच्छी तरह निपटारा करना चाहिए। दोनों को एक-दूसरे का सम्मान कर सहयोग और साझी जीत करने की भावना से द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को सुनिश्चित करना चाहिए।
साक्षात्कार में शिनच्यांग मसले को लेकर ले युछंग ने कहा कि शिनच्यांग में जबरन श्रम की कोई परेशानी मौजूद नहीं है। श्रमिक स्वेच्छा से श्रम अनुबंधों पर हस्ताक्षर करते हैं। उनके हितों की गारंटी की जाती है और वे अपने श्रम के फल का आनंद भी उठाते हैं। शिनच्यांग में कपास संबंधी कार्य उच्च आमदनी वाली नौकरी है। हाल में शांगहाई स्थित स्विट्जरलैंड के बीसीआई द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया कि बीसीआई के जांच सिद्धांत के मुताबिक शिनच्यांग में मजबूर श्रम की स्थिति मौजूद नहीं है।
ले युछंग ने कहा कि अमेरिका समेत पश्चिमी देशों द्वारा शिनच्यांग के उद्यमों पर पाबंदी लगाने की कार्रवाई अस्वीकार्य है। चूंकि ये उद्यम शिनच्यांग के कानूनी उद्यम हैं और उनके मजदूर भी अपने नौकरी के प्रति संतुष्ट हैं। पाबंदी ने इन उद्यमों के हितों को नुकसान पहुंचाया है और शिनच्यांग के लोगों के लाभ को भी क्षति पहुंचायी है। साथ ही कुछ हद तक कपास आदि उत्पादों की वैश्विक उद्योग श्रृंखला और सप्लाई श्रृंखला पर भी असर पड़ा है। पश्चिमी देशों द्वारा पाबंदी लगाने का असली मकसद मानवाधिकार की रक्षा करना नहीं है, जबकि वे शिनच्यांग की स्थिरता को खत्म करना चाहते हैं और चीन के विकास से रोकना चाहते हैं। पाबंदी से स्थानीय लोगों के मानवाधिकार प्रभावित होंगे और शिनच्यांग में जानबूझकर जबरन बेरोजगारी और गरीबी पैदा होगी।
(श्याओयांग)