भारतीय विशेषज्ञ : चीन में कार्बन तटस्थता की प्रक्रिया से पूरी दुनिया को बडा विकास मिलेगा, सीपीसी असली जनता की पार्टी है

2021-04-15 18:17:04

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पेइचिंग में आयोजित सीपीसी की केंद्रीय वित्त और अर्थशास्त्र समिति की बैठक में कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन और कार्बन तटस्थता पर चीन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिये संबंधित मूल विचारों और मुख्य कदमों पर अनुसंधान और चर्चा की गई। इस बैठक में सीपीसी की केंद्रीय समिति के महासचिव और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भाषण दिया कि चीन में कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन और कार्बन तटस्थता हासिल करना एक व्यापक व गहरा आर्थिक और सामाजिक प्रणालीगत परिवर्तन है। चीन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन और कार्बन तटस्थता को अपनी पारिस्थितिक सभ्यता के निर्माण लेआउट में शामिल करेगा। वर्ष 2030 से पहले चरम पर पहुंचाने और वर्ष 2060 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के लिए चीन को हर प्रयास करना चाहिये।

चीन में कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन और कार्बन तटस्थता की प्रक्रिया के प्रति भारत के थिंक टैंक एवं विशेषज्ञ और न्यू दक्षिण एशिया फोरम के संस्थापक सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि चीन जलवायु परिवर्तन के सामने प्रतिभागी एवं योगदानकर्ता और वैश्विक जलवायु परिवर्तन नियंत्रण को बढ़ाने के लिये अग्रदूत है। राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा प्रस्तावित मानव भाग्य समुदाय का संयुक्त निर्माण मानव सामूहिक ज्ञान का स्पष्टिकरण है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन नियंत्रण को मजबूत करने के लिये चीन के प्रयास और योगदान से चीन की जिम्मेदारी भावना को दर्शाता है।

कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से संबंधित दोनों वादा पूरा करना सीपीसी की केंद्रीय समिति द्वारा प्रकाशित प्रमुख रणनीतिक निर्णय है। ये दो लक्ष्य चीनी राष्ट्र का सतत विकास और मानव भाग्य समुदाय के निर्माण से निकट संबंध हैं।

चीन द्वारा प्रस्तावित वादा और संबंधित गतिविधियों के प्रति भारतीय विशेषज्ञों ने कहा कि पहला, अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को हल करने के लिये अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। दूसरा, चीन वैश्विक जलवायु परिवर्तन नियंत्रण प्रक्रिया का प्रवर्तक है। तीसरा, जलवायु परिवर्तन नियंत्रण प्रक्रिया में चीन ने असाधारण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। चौथा, ट्रांस हिमालय क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

विशेषज्ञों की राय में अगर चीन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन और कार्बन तटस्थता से संबंधित सभी कार्यों को पूरा करे, तो पहला, वर्ष 2100 तक दुनिया भर में तापमान में 0.2 से 0.3 तक सेल्सीयस की कटौती करेगी। दुसरा, वर्ष 2030 तक दुनिया भर में जीडीपी की प्रति यूनिट कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन वर्ष 2005 की तुलना में 65 प्रतिशत से अधिक की कटौती करेगी। तीसरा, वर्ष 2030 तक पूरी दुनिया में वन स्टॉक की कुल राशि वर्ष 2005 की तुलना में 6 बिलियन क्यूबिक मीटर की वृद्धि दर्ज करेगी।

वहीं चीन के कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन और कार्बन तटस्थता से संबंधित सभी कार्यों को पूरा करने से स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन शासन, हरित वित्त, इलेक्ट्रिक कार, सतत विकास और आर्थिक व सामाजिक विकास का हरित परिवर्तन आदि क्षेत्रों में पूरी दुनिया को बड़ा विकास मौका मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि सीपीसी एक ऐसी पार्टी है, जो वास्तव में वह जनता के बारे में सोचती है और जनता के लिये सेवा करती है। यह एक निर्विवाद तथ्य है कि सीपीसी असली जनता की पार्टी है।

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में महामारी के फैसले के सामने सीपीसी के नेतृत्व में चीन में कार्बन तटस्थता की प्रक्रिया को गति देना पूरी दुनिया के लिये बहुत महत्वपू्र्ण और सार्थक है। लंबे समय से चीन जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर बहुत ध्यान देता है। चीन हरित विकास नीति का पालन जारी रखता है। साथ ही, चीन संबंधित वार्ताओं की बहुपक्षीय प्रक्रिया को बढ़ाने के लिये हरसंभव प्रयास करता है। वैश्विक कम-कार्बन विकास की ओर परिवर्तन की गति बढ़ाने के लिये चीन अपना नेतृत्व करता है।

संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव व बोआओ एशिया मंच (बीएफए) के सभापति बान की मून और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रुड आदि अधिक विदेशी नेताओं और विशेषज्ञों की राय में चीन द्वारा प्रस्तावित कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन की कटौती योजना विश्व जलवायु नियंत्रण की प्रभावशीलता को सीधे प्रभावित करती है। चीन में हरित उद्योगों और संबंधित तकनीकी का तेजी से विकास कर रहा है। एआई, बिग डेटा और ब्लॉकचेन आदि उच्च तकनीक लाभों का पूर्ण उपयोग करते हुए चीन अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार, पुनर्निर्माण एवं सतत विकास को बढ़ावा देता है। चीन हरित और निम्न-कार्बन परिपत्र विकास करने वाली आर्थिक प्रणाली की ओर परिवर्तित हो रहा है। इस परिवर्तन से पूरी दुनिया को निवेश के बडे अवसर मिलेंगे। चीन की पारिस्थितिक सभ्यता के निर्माण लेआउट से दुनिया भर को लाभ मिलेगा।

(हैया)

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