अमेरिकी और पश्चिमी उपनिवेशवाद का भूत अभी भी सता रहा है
उन विकसित देशों, जिन की जनसंख्या केवल विश्व की कुल जनसंख्या के 16 प्रतिशत है, में विश्व के 60 प्रतिशत वाले कोविड-19 रोधी टीके प्राप्त हैं। लेकिन अफ्रीकी देशों में केवल विश्व की कुल संख्या के 2 प्रतिशत टीके ही हैं। टीके की बड़ी खाई कई शताब्दियों में अमेरिकी व पश्चिमी उपनिवेशवाद से विभिन्न देशों में पैदा असमानता का एक प्रदर्शन है।
शायद कुछ लोगों के विचार में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एशिया, अफ़्रीका व लैटिन अमेरिका में राष्ट्रीय स्वतंत्रता और मुक्त आंदोलन चलने के कारण उपनिवेशवाद खत्म हो गया। लेकिन ज्यादातर लोग इससे सहमत नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गत वर्ष आयोजित एक गतिविधि में कहा कि हमें खुद को धोखा नहीं देना चाहिये, अभी तक उपनिवेशवाद का भूत सता रहा है।
कई विकसित देश बिते कई शताब्दियों के औपनिवेशिक लूट से समृद्ध बने। उदाहरण के लिये अमेरिका ने इंडियना लोगों से भूमि व संसाधन को लूट लिया। और अब वह टीके के अनुसंधान व भंडारण पर एकाधिकार करने की कोशिश कर रहा है, और विशाल विकासशील देशों को मदद नहीं देना चाहता है।
अमेरिकी और पश्चिमी उपनिवेशवाद से पैदा विकास की खाई से अभी तक कई देश गरीबी से पीड़ित हैं। औपनिवेशिक शासन के कारण बहुत से विकासशील देशों ने अपनी अंदरूनी स्थिति से उचित विकास का रास्ता नहीं ढूंढ़ पाया। और कुछ देश विवश होकर पश्चिमी शैली का लोकतंत्र स्वीकार करके लंबे समय तक राजनीतिक उथल-पुथल में फंस गये।
चंद्रिमा