25 मार्च 2021

2021-03-24 20:07:03

अनिलः सबसे पहले सुनिए यह जानकारी। 15 या 16 साल की उम्र में छात्र अक्सर अपना हाईस्कूल पूरा कर लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि कोई शख्स 96 साल की उम्र में अपना हाईस्कूल डिप्लोमा प्राप्त किया हो? जी हां, ऐसा अमेरिका में हुआ है। द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल रेमंड शॉफर नामक अमेरिका के एक सेनानी को इस सप्ताह एक समारोह के दौरान पूरे सम्मान के साथ हाईस्कूल डिप्लोमा सौंपा गया।

दरअसल, रेमंड ने अपने परिवार का समर्थन करते हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अपने देश की सेवा के लिए अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दिया और सेना में शामिल हो गए थे। सेना में लंबे समय तक सेवाएं देने के बाद शॉफर को करीब 80 साल के बाद वाटरफोर्ड यूनियन हाईस्कूल की ओर से मानद डिप्लोमा प्रदान किया गया। रेमंड शॉफर ने 1940 के दशक में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी।

पारिवारिक हालातों और युद्ध के माहौल के बीच रेमंड ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रेमंड शॉफर ने सेना के तौर पर कई साल गुजारे। इसके बाद जब शॉफर सेना से रिटायर होकर वापस आए, तो उन्होंने दशकों तक कई तरह के उपकरणों का निर्माण कर अपना परिवार चलाया। रेमंड शॉफर को इस बात का हमेशा पछतावा था कि वो अपना हाईस्कूल डिप्लोमा नहीं ले सकें। ऐसे में उनके दोस्त और परिवार के लोगों ने शॉफर के अधिकारियों से बात की और उन्हें हाईस्कूल डिप्लोमा देने की मांग की।

देश की सेवा में अपना जीवन बिताने वाले इस सेनानी को हाईस्कूल डिप्लोमा देने से स्कूल भी मना नहीं कर पाया। स्कूल प्रबंधन ने उन्हें मानद डिप्लोमा देने के लिए अपनी सहमति व्यक्त किया। स्कूल के ओर से सहमति मिलने के बाद सभी दोस्तों ने मिलकर एक समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में शॉफर के पुराने स्कूल के शिक्षक और छात्रों समेत उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद थे।

समारोह में स्कूल की ओर से रेमंड शॉफर को सम्मानजनक तरीके से एक मानद डिप्लोमा और मेडल प्रदान किया गया। शॉफर ने जैसे ही समारोह में शिरकत की उन्हें मार्चिंग बैंड द्वारा बधाई दी गई और संगीत की प्रस्तुति दी गई। स्कूल के प्रिंसिपल डैन फोस्टर ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि रेमंड ने न केवल अपने देश की सेवा की, बल्कि उन्होंने दुनिया की सेवा भी की। उन्हें उनका हाईस्कूल डिप्लोमा देते हुए हम सभी को गर्व महसूस हो रहा है।

नीलमः अब पेश है अगली जानकारी... 'दुनिया में हर चीज बीकती है, बस जरूरत बाजार की होती है', ये कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी। लेकिन इन दिनों कुछ ऐसे काम हो भी रहे हैं। प्रकृति ने हम सबको मुफ्त में पानी दिया है। लेकिन अब ये पीने का पानी कुछ जगहों पर इतने ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है, जिसे सुनकर आपको यकीन करना थोड़ा मुश्किल होगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्वे की राजधानी ओस्लो एक ऐसे शहर के रूप में उभरा है, जहां एक लीटर पानी की कीमत 1.85 डॉलर यानी करीब 134 रुपये है।

होलिडू नाम के एक सर्च इंजन ने दुनिया के 120 शहरों में पानी की कीमत को लेकर एक सर्वे किया है। सर्वे में ये पाया गया कि ओस्लो के बाद अमेरिका का वर्जीनिया बीच, लॉस एंजिलिस, न्यू ओरनिल और स्वीडन के स्टॉकहोम में पानी की कीमत सबसे अधिक है। वहीं ओस्लो में पानी की कीमत 120 शहरों की औसत कीमत से लगभग तीन गुनी है।

होलिडू ने अपने सर्वे में अमेरिका के 30 और पूरी दुनिया के 120 शहरों में नल और बोतल बंद पानी का तुलनात्मक विश्लेषण किया है। इन शहरों को पर्यटन के तौर पर लोकप्रियता के कारण चना गया। वर्जीनिया में एक बोतल पानी के लिए आपको 115 रुपये, लॉस एंजिलस में 111 रुपये, बाल्टीमोर में 107 रुपये, न्यू ऑरलियन्स में 107 रुपये और सैन जोश में 90 रुपये मिलता है।

पानी की कीमत के मामले में ओस्लो शिर्ष स्थान पर है। इसके बाद लॉस एंजिलिस, फीनिक्स, सैन फ्रांसिस्को और सैन डिएगो दुनिया में 20 सबसे महंगे शहर हैं। सर्वे में शामिल 120 शहरों की तुलना में ओस्लो में पानी की कीमत 212 फीसदी महंगी और बोतलबंद पानी 195 फीसदी महंगा है।

अनिलः समुद्र में रहने वाले ऐसे कई जीव हैं, जो तैरते समय अक्सर गोलाकार दिशा में घूमते रहते हैं। ऐसी गतिविधि खासतौर पर बड़े जीव जैसे शार्क, व्हेल, पेंग्विंन्स और कछुए में ज्यादा देखने को मिलती है। बता दें कि वैज्ञानिकों के लिए काफी लंबे समय से यह अनसुलझी पहेली बनी हुई थी कि ये जीव गोल-गोल क्यों तैरते हैं? हाल ही में हुए एक शोध में शोधकर्ताओं ने इसका कारण जानने का प्रयास किया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के चोमोको नाराजाकी की अगुआई में हुए इस शोध में ये सामने आया है कि समुद्री जीवों की ऐसी गतिविधि के लिए कोई एक कारण नहीं है। शिकारी समुद्री जीव जैसे शार्क अपने शिकारी भोजन की तलाश के लिए ऐसा करते हैं। वहीं कुछ जीवों के साथ रूमानी कारण हैं जो अपने साथी को रिझाने के लिए ऐसा करते हैं। बता दें कि इस अध्ययन में व्हेल शार्क, टाइगर शार्क, किंग पेंग्विन, हरे कछुए आदि जैसे प्रजातियों को शामिल किया गया था।

शोधकर्ताओं की टीम ने सबसे पहले एक विस्थापन प्रयोग के दौरान हरे कछुओं में रहस्यमय तरीके से गोल-गोल घूमने की प्रवृति पाई। ऐसे में उन्होंने कुछ कछुओं को एक दूसरी जगह पर छोड़ दिया था, जिससे उनके दिशा और स्थान पता करने की क्षमता का पता लगाया जा सके। शोध की अगुवाई कर रहे चोमोको नाराजाकी को आंकड़े देख विश्वास ही नहीं हो रहे थे। क्योंकि कछुए एक मशीन की तरह घूमते दिख रहे थे और घूमते हुए अपनी घर वापसी का रास्ता खोजने की कोशिश कर रहे थे।शोधकर्ताओं का कहना है कि भोजन की तलाश करने वाले इलाके में कुछ जीवों में गोल घूमने की घटनाएं देखी गई। इससे यह पता चलता है कि उन्हें इस गतिविधि से भोजन तलाशने में मदद मिलती होगी टीम ने पाया कि टाइगर शार्क दो से तीस बार अलग अलग गहराइयों में चक्कर लगाती दिखीं।

हालांकि, सभी घूमने वाली घटनाओं का संबंध भोजन की तलाश से नहीं था। नर शार्क मादा शार्क को रिझाने का प्रयास करते समय भी गोल घूमते हुए दिखा।

नीलमः अब पेश करते हैं एक और रोचक जानकारी... जलवायु परिवर्तन का असर वैसे तो पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव अंटार्कटिका प्रायद्वीप पर हो रहा है। इस वजह से दुनियाभर के वैज्ञानिक अंटार्कटिका में आए बदलावों को काफी गंभीरता से लेते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, साल 2044 तक इस प्रायद्वीप में जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान आधे से डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा।

बता दें कि यह अध्ययन क्लाइमेट डायनामिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने सिम्यूलेशन का विश्लेषण कर ये पाया कि 19 क्लाइमेट मॉडल इस बात को दर्शाते हैं कि अंटार्कटिका प्रायद्वीप में तापमान में बढ़ोत्तरी तय है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि इसी दौरान इस प्रयाद्वीप में वर्षण की मात्रा में भी 5 से 10 फीसदी की वृद्धि होने की संभावना है।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के बिर्ड पोलर क्लाइमेट सेंटर में रिसर्च प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख डेविड ब्रोमविक बताते हैं कि उनकी टीम इस प्रायद्वीप में हो रहे बदलावों का अवलोकन कर रही है। प्रायद्वीप लगातार गर्म होते जा रहा है। ऐसे में नरम बर्फ की चट्टानें और ग्लेशियर पिघल कर ठोस बर्फ में बदल रहे हैं। इससे पहले भी हुए कई शोध इस बात का इशारा कर चुके हैं।

प्रोफेसर डेविड ब्रोमविक इसका कारण बताते हुए कहते हैं कि "अंटार्कटिका प्रायद्वीप के साथ समस्या यह है कि यह संकरा है, लेकिन इसकी पर्वत शृंखला ऊंची है। बड़े मॉडल पूरे महाद्वीप को अपने अध्ययन में शामिल करते हैं और इस तथ्य को अपने शोध में शामिल नहीं करते हैं। हमारा लक्ष्य इन अनुमानों को और ज्यादा विस्तृत जानकारी देना है।"

अनिलः इसी के साथ प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यही संपन्न होता है। अब पेश करते हैं श्रोताओं की टिप्पणी।

सबसे पहला पत्र आया है केसिंगा, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का। लिखते हैं, आदरणीय अनिलजी एवं नीलमजी, नमस्कार। दिनांक 18 मार्च का साप्ताहिक "टी टाइम" सुना और उस पर अपनी प्रतिक्रिया प्रेषित कर रहा हूँ, आशा है कि आपको यथार्थतापूर्ण लगेगी।

कार्यक्रम की शुरुआत जापान में एक स्टेम-सेल वैज्ञानिक द्वारा किये जा रहे पशुओं के गर्भ में मानव-कोशिकाओं के विकास सम्बन्धी शोध पर जानकारी से किया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण लगा। वैसे किसी जानवर की कोख में इन्सानी भ्रूण प्रत्यारोपण की बात प्रकृति के विरुध्द जान पड़ती है। 

वहीं जर्मनी के 72 वर्षीय वोल्फगांग किर्श द्वारा अपने शरीर के लगभग 98 फीसदी अंगों पर टैटू गुदवाने की सनक वाक़ई हैरान करने वाली लगी। 

जबकि सऊदी अरब के बहुआयामी निओम प्रोजेक्ट पर दी गयी जानकारी भी चौंकाने वाली लगी। वैसे देखा जाये, तो जिनके पास ज़रूरत से ज़्यादा संसाधन मौज़ूद हों, तो उन्हें ही ऐसे प्रोजेक्ट याद आना स्वाभाविक है।   

जॉर्डन स्थित मोहम्मद अल-मालाहिम नामक शख़्स के दुनिया के सबसे छोटे होटल पर दी गयी जानकारी भी रोचक एवं अनूठी लगी। रिकॉर्ड क़ायम करने लोग न जाने क्या-क्या कर लेते हैं। वैसे देखा जाये, तो इस होटल का एक दिन का 56 डॉलर किराया कोई ज़्यादा नहीं है। इन तमाम जानकारियों के साथ कार्यक्रम में पेश श्रोता-मित्रों की प्रतिक्रिया एवं चुटीले जोक्स भी जानदार लगे। धन्यवाद फिर एक उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये।

सुरेश जी प्रोग्राम के बारे में टिप्पणी भेजने के लिए शुक्रिया।

नीलमः दोस्तो, अब प्रस्तुत है, खंडवा, मध्य प्रदेश से दुर्गेश नागनपुरे का पत्र। लिखते हैं, नमस्कार और वेरी गुड इवनिंग । प्रिय भैया अनिल पांडेय जी और बहन नीलम जी, हमें दिनांक 18 मार्च दिन गुरुवार का टी टाइम प्रोग्राम बेहद शानदार लगा।

इस दिन के टी टाइम कार्यक्रम मे आपने जर्मनी के एक 72 वर्षीय शख्स वोल्फगांग किर्श जी के बारे में विस्तार से बताया। इसके लिए आपका दिल से आभार प्रकट करते हैं और साथ ही आपके कार्यक्रम के माध्यम से दुनिया के सबसे छोटे और अनोखे होटल के बारे में जानकर भी बहुत अच्छा लगा । वही कार्यक्रम में चुटकुले, हिन्दी गीत और श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं काफी आनंददायक लगी । धन्यवाद

दुर्गेश जी पत्र भेजने और कार्यक्रम के बारे में टिप्पणी करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

अनिलः अब बारी है अगले खत की। जिसे भेजा है, खुर्जा यूपी से तिलक राज अरोड़ा ने। लिखते हैं, भाई अनिल पांडेय जी, बहन नीलम जी, सप्रेम नमस्ते। पिछला प्रोग्राम सुना, बहुत पसंद आया। पहली जानकारी जापान से सुनवायी गयी। जिसमें यह बताया गया कि पशुओं के गर्भ में मानव कोशिकाओं का विकास भी संभव हो सकेगा। जबकि जर्मनी के वोल्फगांग ने 98 फीसदी अंगों पर टैटू गुदवा लिये हैं। यह कोई बहादुरी का काम नही है हमारी नजर में।

कार्यक्रम में एक जानकारी सऊदी अरब से सुनवायी। जिसमें यह बताया गया कि एक ऐसा शहर बसाने की तैयारी हो रही है जहाँ पर निजी गाड़ियां नही चल सकेंगी। यह बहुत ही खुशी की बात है, जाहिर है कि इस शहर में प्रदूषण भी बहुत कम होगा।

नीलमः जबकि जार्डन संबंधी जानकारी में बताया कि दुनिया का यह सबसे छोटा होटल किसी इमारत में नही, बल्कि एक कार में है। यह जानकारी क़ाबिले तारीफ लगी।

कार्यक्रम में फिल्मी गीत डोला रे डोला मन डोला सुनकर बहुत ही आनंद आया।

कार्यक्रम में श्रोताओ के पत्र सराहनीय लगे। साथ ही कार्यक्रम में जोक्स सुनकर बहुत ही मजा आया।

हमारी तरफ से चायना रेडियो के सभी आर जे को होली पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। कार्यक्रम टी टाइम में इस बार हो सके तो कोई होली का गीत सुनवायें। बेहतरीन कार्यक्रम टी टाइम सुनवाने के लिये आप का बहुत बहुत शुक्रिया।

अरोड़ा जी, आपको होली के पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं....साथ ही पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।

अनिलः इसी के साथ, श्रोताओं की टिप्पणी संपन्न होती है। अब पेश करते हैं जोक्स यानी हंसगुल्ले।

पहला जोक... एक महिला ने एम्बुलेंस बुलाने के लिए 108 नंबर पर कॉल किया।

ऑपरेटर - आपको क्या समस्या है...?

.महिला - मेरे पैर की अंगुली टेबल से टकरा गई है।

.ऑपरेटर - हंसते हुए... इसके लिए आप एम्बुलेंस बुलाना बुलाना चाहती हैं।

.महिला - नहीं, एम्बुलेंस तो मैं पति के लिए मंगा रही हूं, उन्हें हंसना नहीं चाहिए था।

दूसरा जोक..

पति और पत्नी में जबरदस्त लड़ाई छिड़ी थी।

.इतनी भंयकर कि पति ने मरने की धमकी दे डाली

और स्टूल पर चढ़कर फंदा पंखे में डालने की कोशिश करने लगा।

.पत्नी (एकदम रिलैक्स होकर) - हो गया क्या जो करना चाहते हो,

जरा जल्दी करो, देर मत लगाओ,

मुझे स्टूल की जरूरत है...!

तीसरा जोक..

छात्र - सर जी...

.मास्टर - हां बोलो...

.छात्र - मैंने जो काम नहीं किया क्या आप उसकी सजा मुझे देंगे...?

.मास्टर - नहीं, बिल्कुल नहीं...!

बोलो क्या बात है...?

.छात्र - मैंने आज होमवर्क नहीं किया...!

रेडियो प्रोग्राम