पिछले साल चीन दुनिया में विदेशी निवेश का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना

2021-03-02 08:32:49

पिछले साल चीन दुनिया में विदेशी निवेश का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना_fororder_2020年全球外国直接投资下降42%

संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन द्वारा हाल ही में जारी ताज़ा "वैश्विक निवेश रुझान निगरानी रिपोर्ट" के अनुसार 2020 में वैश्विक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 42 प्रतिशत गिर गया और 2021 में इसमें और गिरावट आने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में चीन के विदेशी निवेश ने पहली बार अमेरिका को पीछे छोड़ा। इस तरह चीन दुनिया में विदेशी निवेश का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना।

रिपोर्ट की सामग्री के आधार पर संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन के निवेश और उद्यम विभाग के निदेशक चेन श्याओनिंग ने चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी) को दिये एक विशेष साक्षात्कार में 2020 में वैश्विक निवेश के रुझान के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि पिछले साल वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बड़े हद तक घटकर 8 खरब 59 अरब डॉलर तक जा पहुंचा है, जो 2019 के 15 खरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 42 प्रतिशत कम हुआ और यहां तक कि 2009 के वित्तीय संकट के बाद के निचले स्तर से भी 30 प्रतिशत कम हुआ।

उन्होंने कहा कि गिरावट विकसित देशों में केंद्रित रही। विकसित देशों का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 69 प्रतिशत घटकर केवल 2 खरब 29 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। यह पिछले 25 वर्षों में सबसे निचला स्तर है। विकासशील आर्थिक समुदायों में विदेशी पूंजी का प्रवाह 12 प्रतिशत गिरकर लगभग 6 खरब 16 अरब डॉलर हो गया, जो कि वैश्विक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का 72 प्रतिशत था और इतिहास में उच्चतम स्तर तक पहुंच गया। कुछ प्रमुख आर्थिक समुदायों के लिए, ब्रिटेन, इटली, रूस, जर्मनी, ब्राजील और अमेरिका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में तेज गिरावट आयी है। लेकिन चीन और भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हुई है।

अमेरिका और यूरोपीय संघ की स्थिति की चर्चा करते हुए चेन श्याओनिंग ने कहा कि 2020 में अमेरिका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 49 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1 खरब 30 अरब डॉलर से अधिक हो गया। सीमा पार से विलय और अधिग्रहण में 41 प्रतिशत की कमी आई। ब्रिटेन, जर्मनी और जापान के बहुराष्ट्रीय निगमों ने अमेरिका के निवेश में सबसे बड़ी गिरावट देखी। ब्रिटेन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2019 में 45 अरब अमेरिकी डॉलर से गिरकर नकारात्मक वृद्धि पर पहुंच गया। यह मुख्य रूप से वैश्विक महामारी और यूरोपीय संघ से हटने से प्रभावित है।

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