“सितारे की इच्छा” नामक घर में वसंत त्योहार की खुशी मनायी

2021-02-10 21:01:46

चीनी परंपरा के अनुसार, वसंत त्योहार की खरीददारी व परिवार मिलन सबसे आकर्षक व अहम होता है। साथ ही, रिश्तेदारों व दोस्तों के घर जाकर उन्हें नये साल की शुभकामनाएं देना एक अनिवार्य पहलू होता है। बेटे बेटियां चाहे कहीं पर काम करते या पढ़ते हो, वसंत त्योहार की लम्बी छुटटी में माता पिता के घर जाकर मिलन की खुशियां जरूर मनाते हैं। लेकिन इस वर्ष में कोविड-19 महामारी की रोकथाम करने के लिये सरकार ने लोगों से अपने काम करने या रहने के स्थान में ठहरकर वसंत त्योहार की खुशी मनाने का आह्वान किया। इसलिये बहुत लोग अपने परिजनों से नहीं मिल सके। पर उन्हें इस वसंत त्योहार में खास खुशी मिलती है।

वसंत त्योहार के एक हफ्ते पहले सुश्री ल्यू श्याओसोंग सुबह जल्द ही उठी और कैंटीन की रसोई में आयी। उन्होंने पहले से तैयार मांस व सब्ज़ियों को बाहर निकाला। क्योंकि आज वे महामारी के कारण घर में वापस नहीं लौटने वाले बच्चों के साथ डम्पलिंग्स खाएंगी।

सुश्री ल्यू की उम्र 49 वर्ष की है। वे हपेइ प्रांत के थांगशान शहर की फ़ंगनान जिल्ले में स्थित “सितारे की इच्छा” नामक ऑटिज्म सेवा केंद्र की संस्थापक हैं। साथ ही वे एक ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे की मां भी हैं। सुश्री ल्यू ने डम्पलिंग बनाते हुए कहा कि मेरे बनाये हुए डम्पलिंग बहुत स्वादिष्ट है। बच्चों को ये बहुत पसंद है। डम्पलिंग खाकर शायद उन्हें घर की याद नहीं आएगी।

वर्ष 2017 में स्थानीय सरकार व महिला संघ के समर्थन के तले सुश्री ल्यू ने थांगशान शहर में कई साथियों के साथ इस ऑटिज्म सेवा केंद्र की स्थापना की। ल्यू ने संवाददाता से कहा कि अब केंद्र में कुल 49 बच्चे रहते हैं। वे हपेई, पेइचिंग, च्यांगसू, शानशी, भीतरी मंगोलिया और क्वांगतुङ आदि क्षेत्रों से आए हैं।

वर्ष 2021 की शुरूआत में क्योंकि हपेई प्रांत में महामारी की स्थिति गंभीर हो गयी, इसलिये “सितारे की इच्छा” केंद्र में कुल 24 बच्चे अपने घर नहीं वापस लौटेंगे, और यहां वसंत त्योहार मनाएंगे। इस की चर्चा में सुश्री ल्यू ने कहा कि क्योंकि बच्चे यहां ठहरते हैं, इसलिये शिक्षक भी नहीं चले जाएंगे। हमने इस केंद्र में वसंत त्योहार मनाने के लिये अच्छी तरह से तैयारी की है। हाल ही में “सितारे की इच्छा” केंद्र रंगारंग झंडे व लालटेन से भरा हुआ है। द्वार पर त्वील्येन चिपकाये गये हैं, जिन पर नये साल की शुभकामनाएं लिखी हुई हैं। कॉरिडोर के दीवार पर बड़े-बड़े सुन्दर चित्र दिखते हैं। ये सभी बच्चों के हाथों से बनाये गये हैं। हॉल में सभी बच्चे शिक्षक के साथ सुन्दर पोशाक में गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं, और हंसते हैं।

उन के बीच एक लड़का है। उनके हाथ में एक ढोल है, कभी कभार वे ढोल बजाते हैं। इस लड़के का नाम है तुंगतुंग। वह 10 वर्ष का है। वर्ष 2019 के मई में वे यहां आये हैं। उन्हें ढोल बजाना और खिलौना कार चलाना सबसे पसंद है। तुंगतुंग के पिता जी अपने जन्मस्थान शिंगताए में काम करते हैं। महामारी की रोकथाम के लिये उठाये गये कदम के कारण वे शिंगताए से थांगशान नहीं जा सकते हैं। इसलिये तुंगतुग को केंद्र में ठहरना पड़ा।

13 वर्षीय लड़के चेचे ने संवाददाता से कहा कि क्या आप मेरे सपना को जानते हैं? बड़े होकर मैं एक पुलिस कर्मी बनना चाहता हूं। चेचे का जन्मस्थान शानतोंग प्रांत के होज़े शहर में है। बचपन में उन्हें इन्सेफेलाइटिस था, फिर सीक्वेल प्राप्त है। कई सालों में वे निरंतर रूप से दवा खाते हैं। उन के मां-बाप अब फ़ूच्येन प्रांत में काम करते हैं।

चेचे को गोद में लाकर सुश्री ल्यू ने उन्हें सभी लोगों के लिये एक कविता पढ़ने की सलाह दी। फिर चेचे खड़े होकर छोटे ब्लैकबोर्ड के सामने आये। उन्होंने एक हाथ से ब्लैकबोर्ड पर लिखी कविता को इशारा करते हुए ऊंची आवाज़ में इसे पढ़ने लगे: पटाखे की आवाज़ में गत साल बित चुका है। वसंत की कोमल हवा आयी है। और घर घर द्वार खोलकर नये साल का स्वागत करते हैं।

सुश्री ल्यू ने कहा कि उन बच्चों को अपना देखभाल करने की क्षमता बहुत कमजोर है। इसलिये आम जीवन में हम उन पर खास ध्यान देते हैं। हाल के दो दिनों में शिक्षक एक एक करके बच्चों को स्नान कराते हैं। फिर वे नये कपड़े पहनते हैं। ताकि वे खुशी से वसंत त्योहार मना सकें।

सुश्री ल्यू के अनुसार इस वसंत त्योहार में मैं केवल एक मां हूं, मुझे आशा है कि इस केंद्र में मेरे सभी बच्चे त्योहार मनाने से खूब मज़ा ले सकेंगे।

चंद्रिमा

रेडियो प्रोग्राम