वसंतोत्सव की प्रथा--- मंगलसूचक चीनी शब्द“फ़ू”चिपकाना
वसंतोत्सव के अवसर पर घर घर के दरवाजों, दीवारों या द्वार-चौखटों पर बड़े छोटे अक्षर में मंगल सूचक चीनी शब्द“फ़ू”चिपकाये जाते हैं। वसंतोत्सव पर कागजी“फ़ू”चिपकाना चीन का चिर पुराना रीति-रिवाज है।
आधुनिक युग में चीनी शब्द“फ़ू”का अर्थ है“सुखमय”, जबकि प्राचीन काल में इस का तात्पर्य सुख के अलावा“सौभाग्य”भी था। चाहे अतीत में हो या आज, वसंतोत्सव में“फ़ू”लगाने की प्रथा में सुखमय जीवन के प्रति लोगों की अभिलाषा और सुन्दर भविष्य के प्रति कामनाएं गर्भित है। इस तरह की अभिलाषा व शुभकामना को और पूरी तरह प्रतिबिंबित करने के लिए चीनी लोग“फ़ू”शब्द को उलटा चिपकाते हैं, चीनी भाषा में उलटे का उच्चारण पहुंचने के उच्चारण के समान है, इसलिए उलटा फ़ू का यह अर्थ निकल सकता है“सुख आ पहुंचा है”या“सौभाग्य आ पहुंचा है”।
चीनी लोग“फ़ू”शब्दों से दीर्घायु, जन्मदिन के शुभसूचक आड़ू, ड्रैगन के द्वार को लांघने वाली काप मछली, शानदार फ़सल और ड्रैगन-फ़ीनिक्स के मिलन के चित्रों में भी बनाकर घर को सजाते हैं। अतीत में यह कहावत प्रचलित था कि“साल के अंतिम माह की 24वीं तारीख पर हर परिवार में सुलेखन लिखता है”। उस जमाने में“फ़ू”का शब्द हाथों से बड़े बड़े आकार में लिखा जाता था, किन्तु आज बाजारों और दुकानों में कलात्मक फ़ू खूब बिकते हैं।
कहा जाता है कि“फ़ू”को उलटा करके चिपकाने की प्रथा छिंग राजवंश के राजकुमार कुंग छिंग के महल से आयी थी। एक साल के वसंतोत्सव की पूर्वबेला में राजकुमार महल के प्रबंधक ने अपने स्वामी की खुशामद करने के लिए पहले की ही तरह अनेक“फ़ू”लिखकर नौकरों को गोदामों व द्वारों पर चिपकाने की आज्ञा दी। लेकिन एक नौकर ने अनपढ़ होने की वजह से द्वार पर“फ़ू”शब्द को उलटा लगाया।
इसे देखकर राजकुमार कुंग छिंग की पत्नी को बड़ा गुस्सा आया। राजकुमार महल के वह प्रबंधक बहुत चतुर और वाक्यपटु थे और जमीन पर दंडवत् कर कहा,“आप का दास मैं सुनता हूं कि राजकुमार और आप दीर्घायु भी हैं और सौभाग्य भी। आज फ़ू वाकई आ पहुंचा है। यह बिलकुल खुशहाली व सौभाग्य का संकेत है।”
यह सुनकर राजकुमार की पत्नी ने मन ही मन सोचा कि इस दास की बातें सचमुच ठीक है, हमारे महल के सामने गुजरने वाले सब लोग यदि कहते हैं कि कुंग वांग महल में“फ़ू दाओ ला”( अर्थात“फ़ू”पहुंच गया है)। शुभ बातें हज़ारों बार कहने से घर में जरूर सोने व चांदी के ढेर लगेंगे। खुशी के मारे राजकुमार की पत्नी ने प्रबंधक और उलटा“फ़ू”लगाने वाले नौकर को भारी इनाम दिया।
इस के बाद“फ़ू”को उलटा देकर लगाने की प्रथा पदाधिकारियों के घरों से आम जनता के घरों में आ पहुंची। सभी लोगों को यह सुनना पसंद है कि राहचर या शरारत बच्चे“फ़ू दाओ ला”“फ़ू दाओ ला”कहते हुए अपने द्वार के सामने गुजरते हैं।