चीन और भारत के बीच कृषि सहयोग में मौजूद व्यापक संभावनाएं

2021-01-25 13:48:12

खाद्य सुरक्षा जन जीवन की प्राथमिकता, चीन-भारत सहयोग से लोगों को मिलेगा लाभ

चीन और भारत दो पारंपरिक कृषि प्रधान देश हैं। लंबे समय से, खाद्य सुरक्षा का मुद्दा दोनों देशों के सामने मौजूद समान आम समस्या रही है।

हाल ही में, चीनी राष्ट्रीय अनाज और सामग्री भंडार ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में चीन में अनाज का भंडारण अपेक्षाकृत उच्च स्तर पर है। गेहूं और चावल जैसे अनाज एक साल की खपत की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। इसके साथ ही, चीनी "हाइब्रिड धान के पिता" के नाम से मशहूर युआन लोंगफिंग की टीम ने घोषणा की कि इस साल औपचारिक तौर पर "समुद्री धान" के औद्योगीकरण और व्यावसायीकरण को लॉन्च किया जाएगा। 8 से 10 वर्षों तक लगभग 66 लाख 66 हज़ार 667 हेक्टेयर के खारी व क्षारिय भूमि को सुधारने की योजना बनाई गयी।

बताया गया है कि साल 2020 में युआन लोंगफिंग की टीम ने हेलोंगच्यांग, चीलिन, ल्याओनिंग, चच्यांग, च्यांगसू, शानतोंग, हाईनान प्रांतों और भीतरी मंगोलिया स्वायत्त, क्वांगशी च्वांग स्वायत्त प्रदेश और शिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश दस स्थलों में 6,667 हेक्टेयर "समुद्री धान" रोपण प्रदर्शन केंद्र शुरु किया, जिनका प्रति हैक्टेयर में लगभग 27 किलो उत्पादन होता है।

समुद्री धान खारा-क्षार-सहिष्णु धान है, अन्य धान की तुलना में उसका ज्यादा मजबूत  अस्तित्व है, और इसमें जलभराव, नमक-क्षार, और कीटों का विरोध करने की क्षमता है। चीन में लगभग 10 करोड़ हेक्टेयर खारी क्षारिय भूमि है, जो दुनिया के सबसे ज्यादा वाले देशों में से एक है। अब जब "समुद्री धान" तकनीक की सफलता से "करोड़ों बंजर समुद्र से खेती योग्य भूमि तक बदलना" एक वास्तविकता बन गई है, जो दुनिया के लोगों के लिए और भी अच्छी खबर लाएगी।

खाद्य सुरक्षा जन जीवन की प्राथमिकता, चीन-भारत सहयोग से लोगों को मिलेगा लाभ

चीन का पड़ोसी भारत भी एक बड़ा कृषि प्रधान देश है। भारत में विशाल उपजाऊ भूमि उपलब्ध है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में 16 करोड़ हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है। लेकिन बड़ी आबादी, लगातार बाढ़ और सूखे, कम कृषि उत्पादन दक्षता, पिछड़े उत्पादन तकनीक आदि कारक भारत में अनाज का उत्पादन बाधित करते हैं। 2020 के बाद से, तूफ़ान, टिड्डियां, और कोविड-19 महामारी के आदि प्रभावों की वजह से भारत को गंभीर खाद्य समस्या का सामना करना पड़ा।

वास्तव में, भारत में "समुद्री धान" पर शोध भी दशकों से चला आ रहा है, लेकिन ज्यादा प्रगति हासिल नहीं हुई है। संबंधित अनुसंधान और विकास के क्षेत्रों में द्विपक्षीय आदान-प्रदान और सहयोग की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। दुनिया भर में दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों के रूप में, चीन और भारत की कुल आबादी 2.7 अरब से अधिक है। दुनिया की कुल आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की खाद्य सुरक्षा समस्या का समाधान दोनों देशों के सामने मौजूद समान समस्या है।

वर्तमान में, चीन ने कृषि के परिवर्तन को बखूबी अंजाम दिया है। अधिक अनाज के उत्पादन के लिए कम जनसंख्या पर निर्भर है, जिसने उत्पादन क्षमता में सुधार करते हुए किसानों की आय में भी बहुत वृद्धि की है। चीन के सफल अनुभव और उन्नत तकनीक भारत में अनाज उत्पादन मात्रा को बढ़ाने में मदद दे सकता है। दूसरी तरफ़, चीन विश्व में सबसे बड़ा चावल आयातित देश और गेहूं का प्रमुख आयातित भी देश है। वहीं, भारत विश्व में सबसे बड़ा चावल निर्यातित देश है और साथ ही गेहूं का निर्यात भी बहुत ज्यादा है। कृषि क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग मजबूत होने से भविष्य और उज्ज्वल होगा।

( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )

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