इटली में नवंबर 2019 में ही कोविड-19 से संक्रमित हो गया था एक बच्चा

2021-01-08 09:24:19

दोस्तों, इटली के मिलान विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में जारी एक अनुसंधान परिणाम से यह जाहिर हुआ है कि एक चार वर्षीय स्थानीय बच्चा शायद वर्ष 2019 के नवंबर के अंत में कोविड-19 वायरस से संक्रमित हो गया था। अनुसंधान दल के सदस्य, मिलान विश्वविद्यालय के वैश्विक स्वास्थ्य-विज्ञान के प्रोफेसर मारियो रविग्लियोन ने सीएमजी के संवाददाता को दिए इंटरव्यू में कहा कि पिछले वर्ष फ़रवरी में कोविड-19 महामारी के इटली में फैलने से पहले कोविड-19 वायरस शायद वहां कई महीनों से फैल रहा था।

हाल ही में इटली के मिलान विश्वविद्यालय के अनुसंधान दल ने वर्ष 2019 के सितंबर से वर्ष 2020 के फ़रवरी तक इटली में इकट्ठा हुए ऑरोफेरीन्जियल स्वैब के 39 नमूनों का विश्लेषण किया। उन में एक नमूने में कोविड-19 वायरस राइबोन्यूक्लिक एसिड से पता लगा। यह नमूना मिलान क्षेत्र में रहने वाले एक चार वर्षीय बच्चे का है। मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार इस बच्चे में वर्ष 2019 के 21 नवंबर से खांसी जैसे लक्षण दिखने शुरू हुए। दस दिन के बाद सांस लेने में मुश्किल और उलटी के कारण उसे उपचार के लिये आपातकालीन कक्ष में भेजा गया। वर्ष 2019 के 1 दिसंबर को उस के शरीर पर खसरे जैसे चकत्ते दिखे। फिर 5 दिसंबर को उसका न्यूक्लिक एसिड परीक्षण किया गया। बाद में उस का नमूना निरंतर रूप से प्रयोगशाला में रखा गया।

मिलान विश्वविद्यालय के वैश्विक स्वास्थ्य-विज्ञान के प्रोफेसर मारियो रविग्लियोन ने कहा कि सावधानी के मद्देनज़र अनुसंधान दल ने कई बार उसका न्यूक्लिक एसिड परीक्षण किया। ऐसे में "गलत पॉज़िटिव रिपोर्ट" की कोई संभावना नहीं है। साथ ही प्रयोगशाला में और परीक्षण के दौरान दूषित होने की संभावना भी नहीं है। इसलिये यह अनुमान लगाना उचित है कि यह इतालवी बच्चा वर्ष 2019 के नवंबर में कोविड-19 वायरस से संक्रमित था। इस की चर्चा में उन्होंने कहा, यह संभावना बहुत बड़ी है। क्योंकि हमने कोविड-19 वायरस का राइबोन्यूक्लीक एसिड ढूंढा है। इस बच्चे में वर्ष 2019 के 21 नवंबर को लक्षण दिखाई दिए। तीन या चार दिन ऊष्मायन अवधि होने के नाते वह शायद मध्य नवंबर में कोविड-19 वायरस से संक्रमित हो गया था। पर यह पता नहीं लगा कि वह किस से संक्रमित हुआ। अब हम जानते हैं कि कई संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखता है। ऐसी स्थिति में लोग आसानी से कोविड-19 वायरस का फैलाव नहीं देख सकते हैं। वह हिमशैल की तरह है, सिर्फ बहुत बड़ा होकर इस का प्रभाव संपूर्ण रूप से दिख सकेगा। उदाहरण के लिये बुजुर्गों में इसका फैलाव। मिलान के इस बच्चे की स्थिति भी इस परिकल्पना से मेल खाती है।

कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद इटली में वायरस के स्रोत ढूंढ़ने का कार्य लगातार जारी रहा। गत वर्ष के नवंबर में मिलान राष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान प्रतिष्ठान द्वारा किये गये एक अनुसंधान से यह जाहिर हुआ है कि वर्ष 2019 के सितंबर में इकट्ठे हुए इतालवी नागरिकों के रक्त नमूनों में कोविड-19 वायरस एंटीबॉडी मौजूद हुए हैं। उधर इटली के उच्च स्तरीय स्वास्थ्य अनुसंधान प्रतिष्ठान द्वारा गत वर्ष के जून में जारी अनुसंधान के एक परिणाम से यह पता लगा कि मिलान व ट्यूरिन दो शहरों में वर्ष 2019 के दिसंबर में इकट्ठा हुए जल के नमूनों में कोविड-19 वायरस की आनुवंशिक सामग्री ढूंढी  । रविग्लियोन ने कहा कि हालांकि प्रारंभिक गले के स्वाब के नमूनों में कोविड-19 वायरस राइबोन्यूक्लीक एसिड की खोज का बहुत महत्व है, लेकिन वर्तमान में वायरस के स्रोत को ढूंढ़ने में बहुत मुश्किलें सामने आयीं। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा, हमने केवल कोविड-19 वायरस के विशेष जीन अनुक्रम की जांच की है, संपूर्ण जीन अनुक्रम की जांच नहीं की। इसलिये वायरस के जीन में हुए बदलाव से इस के स्रोत की खोज नहीं की जा सकेगी। मेरे विचार में जीनोम वंशावली विश्लेषण स्रोत ढूंढ़ने का एकमात्र अच्छा उपाय है। लेकिन वास्तविक ऑपरेशन बहुत मुश्किल है। इस के लिये एक साल पहले अच्छी स्थिति में रखे गये पूर्ण वायरस जीनोम की आवश्यकता होती है। अगर मिलान में पहले के कोविड-19 वायरस के पूर्ण जीनोम प्राप्त होते हैं, तो हमें ज्यादा जानकारियां मिल सकती हैं। लेकिन खेद की बात है कि हमारे पास पूर्ण जीनोम नहीं हैं।

महामारी के प्रकोप के दौरान चीन की कार्रवाई की चर्चा में रविग्लियोन ने कहा कि महामारी के सामने चीन ने तेजी से प्रतिक्रिया की। चीन ने सब से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन को महामारी की रिपोर्ट दी, और कोविड-19 वायरस का जीन अनुक्रम जारी किया। महामारी की रोकथाम करने में चीन ने अच्छा काम किया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि चीन की प्रतिक्रिया बहुत तेज है। चीन ने अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम में शामिल संबंधित कर्तव्य निभाया है। साथ ही चीन ने अनुसंधान के बहुत प्रारंभिक परिणाम भी जारी किये। चीन में महामारी का नियंत्रण अच्छी तरह से किया गया। लॉकडाउन लागू किये जाने के बाद वर्ष 2020 के फ़रवरी में चीन में महामारी की स्थिति एक शिखर पर पहुंची। लेकिन एक या दो महीनों के बाद वह मुख्य तौर पर नियंत्रण में है। यह क्षमता का प्रकटीकरण ही है। निष्पक्ष रूप से कहें तो चीन ने महामारी की रोकथाम में बहुत अच्छा काम किया है।

चंद्रिमा

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