अमेरिका द्वारा आयोजित तथाकथित "लोकतंत्र शिखर सम्मेलन" 9 दिसंबर को शुरु हुआ। "थाईवान स्वतंत्रता" शक्तियों के समर्थन के लिए अमेरिकी राजनयिकों ने हाल ही में अक्सर बात की है। उदाहरण के लिए, व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने हाल ही में धमकी दी थी कि अमेरिका हर संभव कार्रवाई करेगा, ताकि चीन की मुख्य भूमि द्वारा बल का प्रयोग कर थाईवान को कभी नहीं एकीकृत करने को सुनिश्चित किया जा सके।
सुलिवन ने कहा कि पिछले आठ महीनों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका द्वारा किए गए प्रयास चीन की मुख्य भूमि द्वारा सशस्त्र आक्रमण की घटना से बचने के लिए हैं। उनका यह कथन वास्तविक स्थिति के विपरीत है। बड़ी संख्या में तथ्यों ने साबित कर दिया है कि अमेरिका और थाईवान सांठ-गांठ करके आग से खेलते हैं, यह थाईवान जलडमरूमध्य में बढ़ते तनाव का मूल कारण है।
थाईवान जलडमरूमध्य क्षेत्र में युद्धपोतों को बार-बार भेजने से लेकर कई बार थाईवान में अमेरिकी सैन्य विमानों के उतरने तक, "अंतर्राष्ट्रीय स्थान" के विस्तार के लिए थाईवान का समर्थन करने से लेकर तथाकथित "लोकतंत्र शिखर सम्मेलन" में थाईवान की भागीदारी के आमंत्रण तक, ये सब पिछले आठ महीनों में अमेरिका द्वारा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किए गए "प्रयास" थे!
अमेरिकी सरकार एक तरफ़ एक-चीन की नीति का पालन करना, “थाईवान स्वतंत्र” के समर्थन न करना कहती है, और उसने थाईवान जलडमरूमध्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की आशा जताई। लेकिन दूसरी तरफ़ वह थाईवान को "देश" कहती है और "थाईवान स्वतंत्रता" बलों का समर्थन भी करती है। अमेरिकी की कार्रवाई अविश्वसनीय है, जो बहुत घृणित है।
एक-चीन का सिद्धांत और चीन-अमेरिका तीन संयुक्त विज्ञप्तियां चीन-अमेरिका संबंध का राजनीतिक आधार है, अमेरिकी सरकार ने इसके लिए स्पष्ट प्रतिबद्धताएं जतायी हैं। लेकिन इधर के सालों में कुछ अमेरिकी राजनयिकों की कार्रवाइयों ने तीन संयुक्त विज्ञपतियों का उल्लंघन किया और वे 1.4 अरब से अधिक चीनी लोगों के विपरीत दिशा में खड़े हैं!
चीन ने स्पष्ट रूप से अपना रूख बताया है कि थाईवान जलडमरूमध्य के दोनों तटों के शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए सबसे बड़ी ईमानदारी के साथ सबसे बड़ा प्रयास करने को तैयार है। लेकिन अगर "थाईवान स्वतंत्रता" अलगाववादी ताकतें उकसाती हैं, या यहां तक कि लाल रेखा को तोड़ती हैं, तो मुख्य भूमि को "कड़ा कदम" उठाना पड़ेगा।
अमेरिका की तथाकथित सैन्य और कूटनीतिक धमकी का कोई प्रभाव नहीं है, तथाकथित "लोकतंत्र शिखर सम्मेलन" थाईवान की भागीदारी के आमंत्रण से दुनिया में अधिकांश देशों द्वारा पालन किए गए एक-चीन सिद्धांत को नहीं तोड़ा जा सकता। राष्ट्रीय संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा के लिए चीनी लोगों का दृढ़ संकल्प और इच्छा अटूट है, और चीन के एकीकरण की ऐतिहासिक प्रक्रिया अजेय है। "चीन के नियंत्रण के लिए थाईवान के उपयोग" वाली कोई भी कुचेष्टा अवश्य ही विफल होगी।
(श्याओ थांग)
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