युवक ली ह्वा का जन्म दक्षिण-पश्चिमी चीन के छोंगछिंग शहर के पिशान जिले के एक गरीब परिवार में हुआ। बचपन में वह माता-पिता के साथ खेती करता था, लेकिन उत्पाद का पैदावार और गुणवत्ता अच्छी न होने की वजह से साल भर में मेहनत से काम करने के बाद ज्यादा पैसा नहीं मिल पाता।
ली ह्वा रोपण का परंपरागत तरीका बदलना चाहता है, तो वर्ष 2012 में विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वह शहर में रोजगार का अवसर छोड़कर गांव वापस आया। उसने किसानों से लगान पर जमीन लेकर सहकारी समिति की स्थापना की और सब्जी उत्पादन केंद्र का निर्माण भी किया।
इससे पहले किसान उच्च उपज के लिये ज्यादा कीटनाशक और रासायनिक खाद का प्रयोग करते थे, जिससे जमीन कमजोर और सख्त बनी। जब तक रासायनिक खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करता, तब तक कृषि उत्पादों का पैदावार और गुणवत्ता साल दर साल खराब हो जाता है। वहीं, ली ह्वा पारिस्थितिक विज्ञान के अनुसार मूल तरीके से सब्जी उगाता है। वह कीटनाशक का प्रयोग नहीं करता, बस जमीन में ट्रेस एलिमेंट बढ़ाने से उपजाऊपन बहाल करता है और पारिस्थितिक वातावरण सुधार कर हरित सब्जी का रोपण करता है।
हालांकि शुरू में पैदावार संतोषजनक नहीं रहा, लेकिन ली ह्वा फिर भी अपने तरीका पर कायम रहा। गर्मियों में वह भीषण गर्मी सहन कर सुबह 5 बजे से दोपहर 2 बजे तक खेती करता है, जबकि सर्दियों में वह रात को ठंडी हवा में सब्जियों को ट्रक पर लादकर बाजार तक पहुंचाता है। वह कृषि विशेषज्ञों से ज्ञान सीखने के साथ खुद रोपण तकनीक का अध्ययन भी करता है। अब जमीन सख्त होने की समस्या दूर हो चुकी है और पैदावार अच्छा हो गया है।
कई सालों के प्रयासों के बाद हरित सब्जियों की गुणवत्ता काफी हद तक उन्नत हुई। आसपास के किसान क्रमशः सहयोग करने के लिये ली ह्वा के पास आये। ली ह्वा के तकनीक से न सिर्फ रोपण की लागत कम हुई, बल्कि पैदावार और गुणवत्ता भी बढ़ी।
अब ली ह्वा की सहकारी समिति का विकास तेजी से हो रहा है, रोपण का क्षेत्रफल 67 हैक्टेयर से अधिक हो गया है। 800 से ज्यादा किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई। भविष्य की चर्चा में ली ह्वा ने आशा जतायी कि अपने ज्ञान से कृषि विकास का नया मॉडल पाया जाएगा, ताकि किसान मेहनत से खेती करने के बाद ज्यादा पैसा कमा सके।