दोस्तों, गत वर्ष चीन में 13वीं पंचवर्षीय योजना का अंतिम वर्ष है। पाँच वर्षों में चीन के आर्थिक व सामाजिक विकास में व्यापक व रचनात्मक ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल हुई हैं, जिससे न सिर्फ़ चीनी जनता बेहतर जीवन बिता रही हैं, बल्कि चीन में रहने वाले विदेशी लोगों को भी विकास के ज्यादा मौके मिल सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम उत्तर-पूर्वी चीन के डाछिंग में 20 वर्षों तक काम करने व जीवन बिताने वाली कजाखस्तान की नेत्र-चिकित्सक लीलिया अनातोलिवेना पोपोवा की कहानी बताएंगे।
स्लिट लैंप माइक्रोस्कोप से रोगी की आँखों की जांच करके फंडस परीक्षा और रोग की स्थिति की पूछताछ से कजाखस्तान की नेत्र-चिकित्सक लीलिया के एक दिन का काम शुरू हुआ। लीलिया लंबी नहीं है, थोड़ी मोटी ताज़ी हैं। लेकिन उन की कमर हमेशा सीधी रहती है, और आँखें भी चमकदार हैं। देखने में आप मुश्किल से यह सोच सकते हैं कि कई महीनों पहले लीलिया ने अपना 80वां जन्मदिन मनाया।
गत वर्ष से लीलिया की उम्र के मद्देनज़र अस्पताल ने उनके क्लिनिक में काम करने के समय को आधा कर दिया। एक सुबह लीलिया ने एक दर्जन मरीज़ों का इलाज किया।
अस्पताल से घर वापस लौटने के बाद वे दोपहर का भोजन करती हैं। भोजन में बटर के साथ बिग लेबा ब्रेड, चिकन और विभिन्न मसालों के साथ सब्ज़ी का सूप शामिल होता है। ये सभी लीलिया के जन्मस्थान का स्वाद है।
गौरतलब है कि लीलिया 20 वर्ष की उम्र में एक नेत्र-चिकित्सक बन गयीं। उन्होंने दशकों तक काम करने में समृद्ध अनुभव प्राप्त किये हैं। उन्हें पूर्व सोवियत संघ के चिकित्सा समुदाय में “गोल्डन हैंड” पुरस्कार और उत्कृष्ट चिकित्सक अवार्ड मिले। वर्ष 1998 में लीलिया कजाखस्तान के अल्माटी शहर के केंद्रीय अस्पताल से सेवा निवृत्त हुईं। उसी समय अभी-अभी स्थापित चीन के डाछिंग नेत्र अस्पताल के निमंत्रण पर वे पहली बार चीन आयीं। इस की चर्चा में उन्होंने कहा, मैं अभी-अभी यहां आयी थी, उसी समय डाछिंग नेत्र अस्पताल का पैमाना बहुत छोटा था। चिकित्सा उपकरण भी बहुत कम थे। उसी समय इलाज पाने के लिये मेरे यहां आने के रोगियों की संख्या बहुत थी जो एक दिन में लगभग सत्तर से अस्सी तक पहुंच सकी। उन के अलावा जब मैं गांव में मुफ्त चिकित्सा देती थी, तो मैंने यह देखा है कि वहां के लोगों का जीवन बहुत कठोर था। इसलिये उस समय मेरे विचार में डाछिंग और डाछिंग के रोगियों को मुझे चाहिये।
इस तरह लीलिया को डाछिंग में रहते हुए 20 से अधिक वर्ष हो गये हैं और आसपास के ज्यादा से ज्यादा रोगी विशेष तौर पर उन से इलाज मांगने के लिये डाछिंग नेत्र अस्पताल आये हैं।
आम तौर पर लीलिया रोगियों के लिये ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, मायोपिया आदि सामान्य नेत्र रोगों का इलाज करती हैं। पर उत्कृष्ट चिकित्सा कौशल और समृद्ध अनुभव होने की वजह से वे ठीक समय पर असाध्य रोगों का सही निदान भी कर सकती हैं। दो महीने पहले लीलिया ने एक लड़के की जांच की, क्योंकि किसी कारण के बिना उस लड़के की दृष्टि कम हो गयी। उस लड़के के मन में बहुत उदासी थी। जांच के बाद लीलिया ने उन्हें दिमाग में पिट्यूटरी ट्यूमर का निदान किया। फिर ठीक समय पर सर्जरी के बाद वे स्वस्थ हो गये।
कई सालों पहले एक स्थानीय सरकारी अधिकारी भी ऐसी स्थिति में थे। उनकी दृष्टि धीरे-धीरे कम हो गई। पर उन्होंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। एक संयोग वश उनकी लीलिया से मुलाकात हुई, फिर वे लीलिया के एक रोगी बन गये। विशिष्ट जांच-पड़ताल और निदान के बाद उन के रोग की वजह ढूंढ़ पायी। इस की चर्चा में लीलिया ने कहा कि, उसी समय उन की दृष्टि धीरे धीरे कम हो गयी। लेकिन पता नहीं है कि इस का कारण क्या है?बाद में आँखों की नस की विशिष्ट जांच के बाद संदेह था कि समस्या शायद मस्तिष्क में है। इसलिये जल्दी से उनकी सर्जरी की गयी। सर्जरी के बाद इस बात के लिये उन्होंने खास तौर पर फ़ोन करके मुझे धन्यवाद दिया।
और एक बार मुफ्त चिकित्सा देने के दौरान लीलिया को एक ग्रामीण महिला शिक्षक मिली। उन की बाईं आँख में अंधापन होने वाला है। जांच के बाद लीलिया ने उन्हें यूवेइटिस के कारण पैदा जटिल मोतियाबिंद का निदान किया। फिर लीलिया ने इस महिला शिक्षक को अस्पताल में भर्ती करवाया, और अपनी ओर से पैसे देकर उन के लिये सर्जरी की है। एक महीने के बाद इस महिला शिक्षक ने अस्पताल में वापस लौटकर लीलिया को धन्यवाद व प्रशंसा देने के लिये एक झंडा दिया। इस पर यह लिखा हुआ है कि आपने मेरे लिये रोशनी डाल दी, जिससे मैं फिर एक बार मंच पर शिक्षा दे सकती हूं।
किसी ने यह गिना है कि अगर लीलिया एक दिन में सात घंटे काम करती हैं, और हर दिन तीस रोगियों का इलाज करती हैं। तो अभी तक लीलिया ने दस लाख से अधिक चीनी रोगियों का इलाज किया है। वर्ष 2005 में लीलिया को चीन सरकार से “मित्रता पुरस्कार” मिला है। साथ ही उन्हें चीन लोक गणराज्य की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ और 70वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित परेड को साइट पर देखने का आमंत्रण भी मिला। वर्ष 2016 के मई में लीलिया को विदेशियों के लिए स्थायी निवास की अनुमति मिली, जो हेलुंगच्यांग प्रांत में चीनी “ग्रीन कार्ड” प्राप्त करने वाली पहली विदेशी नागरिक बन गयीं। इस के बारे में लीलिया ने कहा कि, जब मुझे यह “ग्रीन कार्ड” मिला, तो मैं बहुत गौरव महसूस करती हूं। अब चीन मेरा घर बन गया है। बाद में मैं कोई अन्य जगह नहीं जाऊंगी। मैं हमेशा के लिये चीनी जनता, कॉमरेड और रोगियों के साथ रह सकूंगी। हालांकि वह केवल एक छोटा कार्ड है, लेकिन मेरे लिये उस का खास महत्व होता है।
अवकाश में लीलिया को पियानो बजाना, मित्रों के साथ मिलना, वीचेट द्वारा दूरस्थ रिश्तेदारों के साथ बातचीत करना, और थाओबाओ पर बच्चों के लिये उपहार खरीदना बहुत पसंद हैं। चीन में लीलिया का जीवन रंगारंग है। चीन के विकास की चर्चा में उन्होंने कहा, चीन दिन-ब-दिन बदल रहा है। मैंने अपनी आंखों से डाछिंग के विकास को देखा है। यहां सड़क चौड़ी बन गयी है। दुकानों की संख्या ज्यादा से ज्यादा हो गयी है और लोगों के जीवन का स्तर भी दिन प्रति दिन उन्नत हो गया है। पहले हमारा अस्पताल बहुत छोटा था, लेकिन अब अस्पताल में चिकित्सा के लिये बहुत उन्नत तकनीक व उपाय प्राप्त हैं। साथ ही, चीन अपने विकास करने के साथ कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान आदि मध्य एशियाई देशों की मदद भी कर रहा है।
लीलिया के विचार में देश भक्त और शांति का प्यार चीन में बड़ा विकास प्राप्त करने का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा, हर व्यक्ति को अपनी जान प्यारी है। चाहें कितनी कठिनाई हो या समस्या हो, लोगों को जीवन व श्रम के प्रति अपना प्यार नहीं छोड़ना चाहिये। मैं फिर एक बार इस बात पर बल देना चाहती हूं कि चीन शांतिपूर्ण कूटनीति अपनाता है। सभी देशों को यह समझना चाहिये कि शांति बहुत महत्वपूर्ण है। चीनी लोग बहुत शांतिपूर्ण हैं और हर व्यक्ति अपने देश को प्यार करता है। यहां मैं शांत व सुखमय जीवन बिता रही हूं।
चंद्रिमा