दोस्तों, बड़ी ब्रेड खाना, मुकेडेन नामक लकड़ी वाले मकान में रहना, बास्क महोत्सव मनाना, ये सभी भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में स्थित इरगुन शहर में रहने वाली रूसी जाति की विशेष परंपराएं और रीति-रिवाज़ हैं।
गौरतलब है कि इरगुन नदी के एक तट पर उत्तर-पश्चिम इरगुन शहर है, और दूसरे तट पर रूस है। दोनों के बीच सीमा की कुल लंबाई 670 से अधिक किलोमिटर है। यहां चीन की रूसी जाति और चीनी रूसी वंशज के 7800 से अधिक लोग रहते हैं। जिससे चीनी रूसी वंशज की समृद्ध सभ्यता बनी हुई है।
73 वर्षीय शिन क्वेईयून रूसी जाति की हैं। उनका अपना मधुर रूसी नाम वरवरा भी होता है। शिन क्वेईयून दूसरी पीढ़ी वाली चीनी रूसी वंशज हैं। वे अच्छी तरह से रूसी भाषा बोल सकती हैं। उन के पिता जी हपेई प्रांत के छांगचो शहर के व्यक्ति थे। इसके बाद स्थानांतरित होकर वे इरगुन आये। उन की माता जी रूस के चिता स्टेट से आयी हैं। 14 वर्ष की उम्र में वे रूस के गृहयुद्ध से बचने के लिये चाचा जी के साथ चीन में आयीं। अभी तक शिन क्वेइयून के दिमाग में बचपन में मां के मुंह से निकली लोरी की यादें ताज़ा हैं। वह एक पुरातन रूसी लोक गीत है। जिसमें मां के प्रति उनकी यादें छिपी हुई हैं।
शिन क्वेईयून चीन के मानजोली और छिनह्वांगताओ आदि क्षेत्रों में पश्चिमी भोजन वाले रेस्तरां में काम करती थीं। उनका छोटा बेटा डोरिया भी उन के साथ इधर उधर घूमता था। और वह भी कुछ रूसी भाषा बोल सकता है। सरकार की मदद के तले उन्होंने इरगुन में एक रूसी शैली वाले लोक होटल की स्थापना की, और पारिवारिक पर्यटन का विकास करने से रूसी जाति की परंपरागत संस्कृति का प्रसार प्रचार किया।
रूसी लोक गीत गाने के अलावा शिन क्वेईयून ने अपनी मां से रूसी परंपरागत ड्रिंक ग्वास चलेबोवी बनाने की तकनीक भी सीखी। वर्ष 2019 में रूसी जाति की ग्वास चलेबोवी बनाने की तकनीक भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों के सूची में शामिल की गयी। और शिन क्वेईयून इस कार्यक्रम की वारिस बन गयीं। इस की चर्चा में उन्होंने कहा, सरकार ने हमें बहुत समर्थन दिया। हमने उदार नीति के माध्यम से होटल की स्थापना की, और पर्यटन का व्यापार शुरू किया। पर्यटक मौसम में हर दिन दो या तीन सौ लोग मेरे रेस्तरां में भोजन करते हैं। उन्हें रूसी भोजन को बहुत पसंद है, और मुझ से बनाये गये ग्वास चलेबोवी पीना भी पसंद है।
शिन क्वेईयून की तरह वर्तमान में इरगुन क्षेत्र में रूसी जाति के गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों के 40 से अधिक वारिस रहते हैं। जो वहां के सांस्कृतिक विरासतों के नेमकार्ड बन चुके हैं। रूसी जाति के बास्क महोत्सव, लोक नृत्य, विशेष बड़ी ब्रेड, और परंपरागत लकड़ी वाले मकान मुकेडेन सभी गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासत हैं।
चाओ यूलिंग राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासत “रूसी जाति के बास्क महोत्सव” की वारिस हैं। उन का घर रूसी जाति का परंपरागत मुकेडेन मकान है। घर में बड़ी ब्रेड बनाने वाले ओवन, रूसी शैली वाला स्टीम बाथ रूम मौजूद हैं। और तहखाने में उन के अपने हाथों से बनाये गये रूसी अचार रखे हुए हैं। हर वर्ष के बास्क महोत्सव पर वे अपनी बहनों के साथ गुरिच नामक बड़ा केक बनाती हैं। साथ ही रंगारंग अंडे भी तैयार करती हैं। यह रूसी जाति की पीढ़ी दर पीढ़ी की शिल्प है। इस की चर्चा में चाओ की बेटी ने कहा कि,रूसी जाति के लिए एक वर्ष में दो दिवस सब से महत्वपूर्ण होते हैं। एक है बास्क महोत्सव और दूसरा है वसंत त्योहार। हम दादी जी के साथ रहते हैं, इसलिये रूसी जाति के रीति रिवाज़ों को बनाए रखा है। यहां तक कि दिवस के 40 दिनों से पहले दादी जी ने तो हमें मांस या अंडे जैसे भोजन न खाने की रीति का पालन करने को कहा।
दसेक वर्षों में इरगुन शहर में भीतरी मंगोलिया की रूसी जाति का अनुसंधान संघ स्थापित किया गया। साथ ही रूसी जाति की रीति-रिवाज़ के संग्रहालय का निर्माण करने, रूसी जाति के इतिहास से जुड़ी पुस्तक लिखने, रूसी जाति की सांस्कृतिक गतिविधियों का विकास करने, और रूसी जाति के ऐतिहासिक मकानों की रक्षा करने आदि कार्यक्रमों द्वारा बड़े हद तक रूसी जाति की सभ्यता की रक्षा की गयी।
इरगुन से उत्तर की ओर नंबर 201 राज्य मार्ग पर गाड़ी से डेढ़ घंटे तक चलने के बाद लोग चीन स्थित एकमात्र रूसी जाति के गांव अनहो पहुंच सकते हैं। रास्ते पर सब से सुन्दर दृश्य तो अनंत भूर्ज वन हैं। स्थानीय रूसी जाति और चीनी रूसी वंशज के प्रति भूर्ज वन तो अपनी जाति के द्योतकों में से एक हैं।
अनहो स्थानीय लोगों के मुंह में कारवां भी है। इस का मतलब है पैक परिवहन टीम। इस नाम से यह देखा जा सकता है कि यहां इतिहास में चीन-रूस सीमांत क्षेत्र में व्यापार व आदान-प्रदान से घनिष्ठ संबंध कायम हुए हैं।
वर्ष 2005 से चीन की सीमांत क्षेत्रों का विकास करने और सीमांत जनता के जीवन स्तर को उन्नत करने की नीति के समर्थन से अनहो रूसी जातीय गांव में विशेष ग्रामीण पर्यटन का बड़ा विकास किया गया। रूसी जाति के रीति-रिवाज़ों को महसूस करना एक मुख्य विषय है। रूसी जाति का परंपरागत दिवस, भोजन, खेल, गीत व नृत्य आदि का गहन रूप से विकास करके विशेष पर्यटन उत्पाद पैदा हुआ। पर शुरू में बहुत मुश्किलें सामने आयीं। इस की चर्चा में भीतरी मंगोलिया की रूसी जाति के अनुसंधान संघ के अध्यक्ष च्यांग बाओशान ने कहा, सब से पहले जब सरकार ने लोगों से पर्यटन का विकास करने का आह्वान किया, तो बहुत लोग इसे नहीं समझे। क्योंकि यह गांव दूरस्थ क्षेत्र में स्थित है। यातायात भी सुविधाजनक नहीं है। जीवन का वातावरण भी अच्छा नहीं है। हम पर्यटकों को कैसे आकर्षिक कर सकते हैं?
वर्ष 2006 में अनहो जातीय गांव में वैसिली नामक पहला लोक होटल खुला। इसके मालिक हैं छू बो, जो चौथी पीढ़ी वाले रूसी जाति के व्यक्ति हैं। अधिकतर लोगों के मन में शक होने की पृष्ठभूमि में उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य के रूप में सक्रिय रूप से सरकार के आह्वान की प्रतिक्रिया की, और सब से पहले अपने ऐतिहासिक मुकेडेन मकान में लोक पर्यटन का व्यापार शुरू किया। इस की चर्चा में छू बो ने कहा, प्रथम वर्ष में हमने पाँच सौ से अधिक पर्यटकों का स्वागत किया, और दस हजार युआन कमाये। दूसरे साल से पर्यटकों की संख्या ज्यादा से ज्यादा बन गयी। फिर हमारा पैमाना भी ज्यादा बड़ा हो गया। हमारा व्यापार धीरे धीरे से विकसित हो गया है। साथ ही हमारी सफलता को देखकर अनहो गांव में ज्यादा लोगों ने पर्यटन व्यापार करना शुरू किया। अब 130 से अधिक परिवार यह व्यापार कर रहे हैं।
चंद्रिमा