अनाज प्रचुर मात्रा में है, तो लोगों को सुरक्षित महसूस होता है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कृषि और गांव विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में तिब्बत में अनाज की उत्पादन मात्रा 10 लाख 30 हज़ार टन तक पहुंची, जो लगातार 6 साल में दस लाख टन से अधिक रही।
“13वीं पंचवर्षीय योजना”(साल 2016 से 2020 तक) के दौरान तिब्बत में अनाज उत्पादन की संचयी मात्रा 52 लाख 19 हज़ार 9 सौ टन तक पहुंच गई। आंकड़ों से पता चला कि साल 2020 में पूरे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में जौ का उत्पादन 8 लाख 30 हज़ार टन तक पहुंचा, जो साल 2015 की तुलना में 1 लाख 21 हज़ार 5 सौ टन से ज्यादा है।
यहां बता दें कि“विश्व के तीसरे ध्रुव”के नाम से मशहूर छिंगहाई-तिब्बत पठार में बुनियादी जमीनी क्षमता नीची है, सालाना वर्षा की मात्रा कम है, और मध्य व कम उत्पादन वाले खेती ज्यादा है। इस तरह अनाज उत्पादन की उन्नति के लिए तिब्बत ने 20वीं सदी के 60 के दशक से ही संकरित-जौ का प्रशिक्षण शुरू किया। 21वीं सदी में खेती योग्य भूमि में सुधार, बेहतर बीजों का प्रचार, तकनीकी समर्थन आदि क्षेत्रों को मजबूत किया। परिणामस्वरूप, स्वायत्त प्रदेश में अनाज की गारंटी क्षमता लगातार उन्नत हो रही है।
“13वीं पंचवर्षीय योजना”के दौरान, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने खेती के काम करने में किसानों के कौशल को उन्नत के लिए संचयी 80 करोड़ युआन का निवेश किया। इसके साथ ही छिंगहाई-तिब्बत पठार पर हजारों वर्षों से जारी रहे पारंपरिक खेती तरीके में भी परिवर्तन हो गया। साल 2020 के अंत तक, तिब्बत में कृषि मशीनरी की कुल शक्ति 69 लाख15 हज़ार किलोवाट तक पहुंच गई , जो साल 2012 के अंत तक की तुलना में 22 लाख 75 हज़ार किलोवाट से अधिक है।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कृषि और गांव विभाग के उप प्रधान लीन मू के मुताबिक, कई वर्षों के विकास के चलते, तिब्बत में प्रमुख अनाज की आपूर्ति पर्याप्त है। आने वाले समय में जौ सहित विशेष कृषि उत्पादों के गहन प्रसंस्करण और ब्रांड निर्माण को मजबूत किया जाएगा, ताकि पठारीय अनाज लोगों के भोजन की मांग को पूरा करने के साथ-साथ उनकी आय में बढ़ोतरी के लिए भी मददगार सिद्ध हो।
(श्याओ थांग)