31 दिसंबर 2020

2020-12-31 16:49:07

अनिलः दोस्तो, यह इस साल यानी 2020 का अंतिम कार्यक्रम है। अब आपसे अगली मुलाकात अगले साल होगी। आप सभी को नए साल की ढेर सारी शुभकामनाएं। उम्मीद करते हैं कि 2021 आप सभी के जीवन में खुशियां लेकर आएगा। साथ ही कोरोना वायरस महामारी का अंत भी इस साल होगा, ऐसी हम कामना करते हैं।

सबसे पहले यह जानकारी।

सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी (एसपीए) ने बताया है कि सऊदी अरब में चार नए तेल और गैस क्षेत्रों की खोज हुई है। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान ने रविवार को इसकी घोषणा की है।

उत्तर-पश्चिम धाहरन के अल-रीश तेल क्षेत्र में ग़ैर-पारंपरिक तेल की खोज हुई है। पूर्वी प्रांत में मौजूद यह शहर देश के तेल उद्योग का एक प्रमुख प्रशासनिक केंद्र है।

अल-रीश के दो नंबर कुएं से हर रोज 4,452 बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल और 32 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस का उत्पादन होगा। वहीं, 4 नंबर कुएं से 3,654 बैरल प्रतिदिन और 16 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिट फीट गैस का उत्पादन होगा। 3 नबंर कुएं का शुरुआती उत्पादन 2,745 बैरल प्रतिदिन और 30 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिक फीट गैस प्रतिदिन होगा।मंत्री के मुताबिक, अल-रीश क्षेत्र की खोज खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि तुवैक पहाड़ों से अरब एक्स्ट्रा लाइट क्रूड ऑयल निकालना संभव है। अल-मिनहाज कुएं पर स्थित अल-सराह तालाब में भी गैर-पारंपरिक तेल की खोज हुई है। यह दक्षिण-पश्चिम के घावर तेल क्षेत्र में है।

अल-रीश के दो नंबर कुएं से हर रोज 4,452 बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल और 32 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस का उत्पादन होगा। वहीं, 4 नंबर कुएं से 3,654 बैरल प्रतिदिन और 16 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिट फीट गैस का उत्पादन होगा। 3 नबंर कुएं का शुरुआती उत्पादन 2,745 बैरल प्रतिदिन और 30 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिक फीट गैस प्रतिदिन होगा।

मंत्री के मुताबिक, अल-रीश क्षेत्र की खोज खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि तुवैक पहाड़ों से अरब एक्स्ट्रा लाइट क्रूड ऑयल निकालना संभव है। अल-मिनहाज कुएं पर स्थित अल-सराह तालाब में भी गैर-पारंपरिक तेल की खोज हुई है। यह दक्षिण-पश्चिम के घावर तेल क्षेत्र में है।

नीलमः अब दूसरी जानकारी का समय हो गया है। जापान की एक कंपनी और क्योटो विश्वविद्यालय साथ मिलकर दुनिया की पहली लकड़ी की सैटेलाइट बनाने पर काम कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि साल 2023 तक वो इसे बनाने में कामयाब होंगे।सुमितोमो फॉरेस्ट्री कंपनी के मुताबिक उन्होंने इसके लिए पेड़ की ग्रोथ और अंतरिक्ष में लकड़ी की सामग्री के उपयोग पर शोध शुरू कर दिया है। पहले इस मटीरियल का प्रयोग पृथ्वी के अलग-अलग वातावरण में किया जाएगा। उपग्रहों की बढ़ती संख्या के कारण अंतरिक्ष में कचरा बढ़ता जा रहा है, इसे स्पेस जंक कहते हैं।लकड़ी के सैटेलाइट पृथ्वी के वातावरण में लौटने पर जल जाएंगें, इनसे किसी तरह के हानिकारक पदार्थ नहीं निकलेंगे और किसी तरह का मलबा भी धरती पर नहीं गिरेगा।

जापान के अंतरिक्ष यात्री और क्योटो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ताका दोई के मुताबिक "सभी उपग्रह जो पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते हैं, वो छोटे एल्यूमिनियम कण बनाते हैं, जो कई वर्षों तक ऊपरी वायुमंडल में तैरते रहते हैं, इस बात से हम चिंतित हैं," "ये पृथ्वी के पर्यावरण को प्रभावित करेंगे।"

लकड़ी के सैटेलाइट पृथ्वी के वातावरण में लौटने पर जल जाएंगें, इनसे किसी तरह के हानिकारक पदार्थ नहीं निकलेंगे और किसी तरह का मलबा भी धरती पर नहीं गिरेगा।

अनिलः जापान के अंतरिक्ष यात्री और क्योटो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ताका दोई के मुताबिक "सभी उपग्रह जो पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते हैं, वो छोटे एल्यूमिनियम कण बनाते हैं, जो कई वर्षों तक ऊपरी वायुमंडल में तैरते रहते हैं, इस बात से हम चिंतित हैं," "ये पृथ्वी के पर्यावरण को प्रभावित करेंगे।"

उन्होनें बताया, “अगले चरण में उपग्रह के इंजीनियरिंग मॉडल का विकास किया जाएगा, फिर हम उड़ने वाले मॉडल बनाएंगे," दोई ने मार्च 2008 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा किया था।

इस मिशन के दौरान, वह अंतरिक्ष में बूमरैंग फेंकने वाले पहले व्यक्ति बन गए। बूमरैंग को विशेष रूप से माइक्रोग्रैविटी में उपयोग के लिए डिजाइन किया गया था।सुमितोमो फॉरेस्ट्री, सुमितोमो समूह का हिस्सा, जिसे 400 साल से ज्यादा समय पहले स्थापित किया गया था। उन्होंने ने कहा कि वो तापमान परिवर्तन और सूरज की रोशनी का सामना करने वाली प्रतिरोधी लकड़ी की सामग्री को विकसित करने पर काम करेंगे। उन्होंने अभी रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली लकड़ी के बारे जानकारी नहीं दी और कहा वो गोपनीय है।

नीलमः राजस्थान में अजमेर जिले के बिजनेसमैन धर्मेंद्र अनीजा इन दिनों देशभर में चर्चा में हैं। उन्होंने चांद पर जमीन खरीदने के सपने को अपनी पत्नी सपना के लिए साकार कर दिखाया है। उन्होंने 24 दिसंबर को अपनी शादी की आठवीं सालगिरह पर पत्नी को चांद पर जमीन का तोहफा दिया है।बीबीसी से बातचीत में धर्मेंद्र अनीजा ने बताया, "मैंने एक साल पहले ही तय कर लिया था कि शादी की अगली सालगिरह पर पत्नी के लिए चांद पर जमीन का तोहफा देना है। यह सरप्राइज देना इतना आसान नहीं रहा। कई पड़ावों को पार कर सपना के लिए चांद पर जमीन खरीदने का सपना पूरा हुआ है। चांद पर जमीन खरीदना आसान नहीं है, यदि आसान होता तो कोई भी खरीद लेता।"

धर्मेंद्र अनीजा की पत्नी सपना अनीजा कहती हैं, "तोहफे में चांद पर जमीन के सरप्राइज से इतनी खुश हुई कि कई बार तो रोना ही आ रहा था। शायद मैं दुनिया की सबसे भाग्यशाली महिला हूं जिसे ऐसा तोहफा मिला है।"

वह कहती हैं, "कार्यक्रम में जब मुझसे पूछा गया कि अंदाजा लगाइए कि आपको क्या सरप्राइज दिया जा रहा है। तो मुझे लगा कि कोई गाड़ी, ज्वेलरी या कुछ खास होगा। लेकिन, चांद पर जमीन का इतना बड़ा खास तोहफा होगा। यह सोचा नहीं था।" सपना के नाम से चांद पर 14।3 नॉर्थ लैटीट्यूड 5।6 ईस्ट लोंगीट्यूड, लेक्ट 20 पार्सल्स 377, 378 और 379 पर तीन एकड़ जमीन खरीदी गई है।

अनिलः धर्मेंद्र अनीजा और सपना अनीजा अजमेर के ही निवासी हैं, उनकी स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई यहीं पर हुई है। अजमेर गवर्नमेंट कॉलेज में ही दोनों की मुलाकात हुई और बाद में शादी। शादी के बाद से धर्मेंद्र अनीजा ब्राजील में टूर एंड ट्रैवल का बिजनेस करते हैं और उनके माता-पिता अजमेर में ही रहते हैं। बीते करीब दस महीनों से धर्मेंद्र अनीजा अजमेर में ही अपने परिवार के साथ हैं, उनकी सात साल की एक बेटी रिद्धि है। धर्मेंद्र के पिता रामदयाल अनीजा कॉन्ट्रेक्टर हैं और सपना के पिता गीसुलाल अर्नोडिया रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं।

नीलमः गिरगिट अपने रंग बदलने की प्रकृति के वजह से  काफी लोकप्रिय हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल गिरगिट ही रंग बदलते हैं। दुनिया में एक ऐसी मछली भी है, जो गिरगिट की तरह ही रंग बदल सकती है। हालांकि, यह मछली दुर्लभ है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मछली की खोज भारत में पहली बार की गई है। सेंट्रल मरीन फिशरीज इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इसे मन्नार की खाड़ी में खोजा है।

इस दुर्लभ मछली का नाम है स्कॉर्पियन फिश, जिसका वैज्ञानिक नाम स्कॉर्पिनोस्पिसिस नेगलेक्टा है। सेंट्रल मरीन फिशरीज इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. जेयाबास्करन ने बताया, 'जब हमने पहली बार इसे देखा तो वह घास में छिपी हुई थी। पता ही नहीं चल रहा था कि वो कोई मछली है या पत्थर का छोटा टुकड़ा। लेकिन चार सेकंड के बाद ही उसने जब अपने शरीर का रंग बदल कर काला कर लिया, तब समझ में आया कि यह दुर्लभ स्कॉर्पियन फिश है।'

स्कॉर्पियन फिश शिकार करते समय या शिकारियों से बचाव के समय ही अपना रंग बदलती है। रंग बदलने में माहिर यह मछली बेहद जहरीली भी है। इसके रीढ़ की हड्डी में जहर भरा हुआ रहता है। इसे पकड़ने के लिए बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है, नहीं तो यह पल भर में जहर उड़ेल देती है। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो अगर इंसान के शरीर में चला जाए तो भयानक दर्द होता है।

अनिलः इसी के साथ प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला समाप्त होता है। अब बारी है श्रोताओं के पत्रों की।

पहला पत्र हमें आया है, खंडवा मध्य प्रदेश से दुर्गेश नागनपुरे का। लिखते हैं, प्रिय भाई अनिल पांडेय जी और बहन नीलम जी नमस्कार और शुभ संध्या। हमें दिनांक 24 दिसंबर दिन गुरुवार का टी-टाइम कार्यक्रम बेहद पसंद आया। उक्त कार्यक्रम में आपने हम सभी श्रोताओं को बहुत सारी रोचक जानकारियों से अवगत कराया। सबसे पहले मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक अनोखे तरीके से नौ साल की बच्ची सौम्या का ऑपरेशन करने वाला समाचार सुना। साथ ही आपने बिहार के राजगीर पर्यटन स्थल के बारे में बताया ।वहीं ब्राजील की प्यूर्स नदी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा । कार्यक्रम में पेश मजेदार जोक्स , हिन्दी गीत और श्रोताओं की टिप्पणियां बहुत अच्छी लगी ।

धन्यवाद ।

दुर्गेश जी हमें पत्र भेजने के लिए आपका भी बहुत-बहुत शुक्रिया।

नीलमः अब पेश है अगला पत्र। जिसे भेजा है खुर्जा यूपी से तिलक राज अरोड़ा ने। लिखते हैं, भाई अनिल पाण्डेय जी बहन नीलम जी, सप्रेम नमस्ते। पिछला कार्यक्रम आपकी बेहतरीन प्रस्तुति में सुना और पसंद आया। कार्यक्रम की जितनी भी प्रंशसा की जाये उतनी ही कम है।मुरैना जिले के बानमेर की रहने वाली 9 वर्षीय सौम्या का ब्रेंन ट्यूमर का डॉक्टर अभिषेक चौहान जी ने मुश्किल ऑपरेशन किया और सफल रहा जानकारी प्रंशसा योग्य है।जबकि चीन की तर्ज पर बना बिहार के राजगीर शहर में ग्लास स्काई वॉक ब्रिज पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र बना है और भगवान बुद्ध की विरासत और भारतीय इतिहास को समेटे हुए है। यह जानकारी सुनकर बहुत ही खुशी प्राप्त हुई।

ब्राजील की एक नदी में साउथ अमेरिकन रिवर टर्टल्स की दुर्लभ प्रजाति के कछुओं की संख्या बढ़ रही है वाली जानकारी सुनी औऱ पसंद आयी।

गीत रब्बा रब्बा देखो देखो क्या हो गया रब्बा रब्बा सुनकर बहुत ही आनंद आया।

कार्यक्रम में श्रोताओ के पत्र सराहनीय लगे। खण्डवा के दुर्गेश नागनपुरे जी टी टाइम कार्यक्रम के प्रंशसक हैं यह इनके पत्रो से जाहिर होता है।

कार्यक्रम में जोक्स सुनकर दिल खुशी से झूम उठा। बेहतरीन कार्यक्रम टी टाइम सुनवाने के लिये आप का बहुत बहुत शुक्रिया। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायों सहित।

पत्र भेजने के लिए शुक्रिया। आपको भी नए साल की ढेर सारी शुभकामनाएं।

अनिलः अब पेश है दरभंगा बिहार से शंकर प्रसाद शंभू का पत्र। लिखते हैं, हम सभी ने साप्ताहिक कार्यक्रम "टी टाईम" ध्यान से सुना, जिसमें बताया गया कि मध्य प्रदेश के मुरैना जिला की बानमोर निवासी 9 वर्षीय सौम्या नामक बच्ची के ब्रेन ट्यूमर को ग्वालियर के बिरला अस्पताल में 'अवेक क्रेनोटामी पद्धति' से ऑपरेशन करके निकाल दिया गया और बच्ची पियानो बजाती रही। अनोखे तरीके से हुए ऑपरेशन की जानकारी सुन कर हमलोग आश्चर्य चकित हो गये।

वहीं पर्यटन से जुड़ी जानकारी में सुना कि बिहार में राजगीर पर्यटकों के बीच काफी पसंदीदा जगह है, जहाँ देश के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं। वास्तविकता यह है कि राजगीर को अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है।

कछुओं की 'साउथ अमेरिकन रिवर टर्टल्स' प्रजाति दक्षिणी अमेरिका में मीठे पानी के सबसे विशालकाए कछुए में से एक है, जो ब्राजील के अमेजन नदी की सहायक प्यूर्स नदी किनारे प्रत्येक वर्ष प्रजनन के लिए आते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह पर्यावरण संरक्षण के सहायक भी है।

कार्यक्रम से यह जानकारी पाकर खुशी मिली कि चालू वर्ष में पूरी दुनिया को तबाह करने वाले "कोरोना वायरस" को एलईडी लाइट्स की मदद से खत्म किया जा सकता है। इसके साथ ही अन्य जानकारियां भी शानदार लगी।

मनोरंजन खण्ड में दोनों हिन्दी गीत अच्छे लगे। श्रोताओं की टिप्पणी और जोक्स भी बेहद पसन्द आये। कष्टमय वर्ष 2020 दी विदाई के साथ ही आने वाले वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ। शंभू जी, आपको भी नए साल की शुभकामनाएं।

नीलमः अगला पत्र हमें किसी श्रोता ने भेजा है, लेकिन इसमें उन्होंने अपना नाम नहीं लिखा है। लिखते हैं नमस्कार, नी हाउ - 

सबसे पहले मैं आपसे माफी मांगना चाहता हूं ,लंबे समय के बाद टी टाइम प्रोग्राम में शिरकत कर रहा हूं ।  24 दिसंबर का टी टाइम प्रोग्राम का एक नया सुना - जिसमें  सबसे पहले ग्वालियर की रहने वाली सौम्या का ब्रेन ट्यूमर का सफलता पूर्वक इलाज डॉक्टर अभिषेक चौहान द्वारा किया गया जो कि मात्र 9 वर्ष की थी और वह ऑपरेशन के दौरान पियानो बजाती रही। शायद ऐसे बच्चों की गिनती बिरलों में ही होती होगी । और डॉक्टर अभिषेक चौहान सचमुच बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस बच्ची की जान  ही नहीं बल्कि एक जोखिम भरे कार्यों को सफलता पूर्वक अंजाम दिया ।  और वही  पर्यटकों के बीच काफी पसंदीदा जगह राजगीर , और अमेजन के जंगलों में  कछुओ  की प्रजाति जो कि पारिस्थितिकी तंत्र  में किस तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है को लेकर दी गई विस्तृत में जानकारी अच्छी लगी । सीआरआई की वेबसाइट के फॉर्मेट में नए चेंजेज देखने को मिले जो कि बहुत अच्छी तरह से डिजाइन किया गया है । सुंदर प्रोग्राम की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और सीआरआई परिवार वह सभी श्रोता बंधुओं को नव वर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ।। धन्यवाद। आपको भी शुभकामनाएं।

अनिलः अब प्रस्तुत है आज का आखिरी पत्र। जिसे भेजा है, हमारे पुराने श्रोता केसिंगा से सुरेश अग्रवाल ने। जो आजकल डॉक्टर की सलाह पर आराम कर रहे हैं। लिखते हैं आदरणीय अनिलजी एवं नीलमजी, नमस्कार एवं क्रिसमस तथा नव-वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं।

दिनांक 24 दिसम्बर का "टी टाइम" भी पूरी तल्लीनता से सुना, प्रस्तुति रुचिकर लगी। स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से कार्यक्रम पर फ़िलहाल विस्तृत टिप्पणी करने में असमर्थ हूँ। चंद पंक्तियां महज़ अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने को लिख रहा हूँ। आशा है कि आप मेरी विवशता को समझेंगे। धन्यवाद। सुरेश जी पत्र भेजने के लिए शुक्रिया। आपको नया साल मुबारक हो और उम्मीद करते हैं कि नव वर्ष में आप वही पुराने जोश के साथ हमें पत्र भेजने लगेंगे। धन्यवाद।

अब बारी जोक्स की।

पहला जोक

पप्पू एटीएम गया... तभीवहां एक आंटी मिल गईं....आंटी- अरे, तुम यहां कैसे..?.पप्पू - बस आंटी, एटीएम सेपराठे निकलवाने आया था...!!!

दूसरा जोक

एक हवाई जहाज तूफान में फंस गया....पायलट (यात्रियों से) बोला- किसी कोबचने की दुआ आती है क्या..?.एक बाबा खुश होकर बोले- हां,मुझे आती है।.पायलट - ठीक है बाबा, आप दुआ कीजिए,एक पैराशूट कम है...!!!.बाबा बेहोश...

तीसरा जोक

पप्पू - स्वामी जी, यहां पहाड़ के ऊपर बहुत ठंड है,इतनी ठंड में भी आपकी खुशी का राज क्या है..?.स्वामी जी - 21 वर्ष की तपस्या और ग्रीन टी मुझेठंड से बचाते हैं..! वैसे तुम क्या पसंद करोगे,तपस्या या ग्रीन टी..?.पप्पू - जी ग्रीन टी...!.स्वामी जी - तपस्या, दो कप ग्रीन टी लाना...!!!.पप्पू बेहोश...

रेडियो प्रोग्राम