एक्शन एड इंटरनेशनल और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साऊथ एशिया आदि संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से जारी अनुसंधान रिपोर्ट से जाहिर है कि 2050 तक जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री सतह के ऊँचा होने, सूखा और फसलों में कटौती आदि परिणामों से दक्षिण एशिया में करीब 6.2 करोड़ लोगों को अपने जन्मस्थानों को छोड़ना पड़ेगा, जिसमें भारत के मौसम आप्रवासियों की संख्या 4.5 करोड़ से अधिक होगी।

2020-12-21 16:37:30

एक्शन एड इंटरनेशनल और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साऊथ एशिया आदि संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से जारी अनुसंधान रिपोर्ट से जाहिर है कि 2050 तक जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री सतह के ऊँचा होने, सूखा और फसलों में कटौती आदि परिणामों से दक्षिण एशिया में करीब 6.2 करोड़ लोगों को अपने जन्मस्थानों को छोड़ना पड़ेगा, जिसमें भारत के मौसम आप्रवासियों की संख्या 4.5 करोड़ से अधिक होगी।

एक्शन एड इंटरनेशनल और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साऊथ एशिया आदि संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से जारी अनुसंधान रिपोर्ट से जाहिर है कि 2050 तक जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री सतह के ऊँचा होने, सूखा और फसलों में कटौती आदि परिणामों से दक्षिण एशिया में करीब 6.2 करोड़ लोगों को अपने जन्मस्थानों को छोड़ना पड़ेगा, जिसमें भारत के मौसम आप्रवासियों की संख्या 4.5 करोड़ से अधिक होगी।

इस रिपोर्ट ने बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका आदि पाँच दक्षिण एशियाई देशों का आकलन किया, इस संबंधित मॉडल से यह परिणाम निकाला गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा कदम उठाए जाने और निकासी के लक्ष्य को साकार करने के बावजूद 2030 तक दक्षिण एशिया में 3.74 करोड़ मौसम आप्रवासी पैदा होंगे। और यह संख्या 2050 तक 6.29 करोड़ तक पहुंचेगी।

रिपोर्ट ने विकसित देशों से ग्रीन हाऊस गैस की निकासी में नेतृत्वकारी भूमिका अदा करने और विकासमान देशों के जलवायु आपदा से छुटकारा पाने का समर्थन करने की अपील भी की।

(श्याओयांग)

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