चीनी निवेश पर प्रतिबंध लगाने से अन्य निवेशक भी दूर होंगे

2020-11-19 18:24:48

रिपोर्टों के अनुसार भारत के गृह मंत्रालय और वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने संयुक्त रूप से सरकार से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश समीक्षा नियम में सुधार करने का सुझाव दिया है। कार्य दल का विचार है कि कुछ क्षेत्रों में अगर विदेशी पूंजी का अनुपात 26 प्रतिशत से कम है, तो सरकार की समीक्षा करने की जरूरत नहीं होगी। रिपोर्टों के अनुसार यह नियम चीन समेत पड़ोसी देशों से संबंधित है, भारत सरकार शीघ्र ही फैसला करेगी।

इस साल अप्रैल से पहले, 49 प्रतिशत से कम विदेशी निवेश लेने वाली भारतीय कंपनियों को भारतीय सरकार की समीक्षा लेने की जरूरत नहीं होती थी, लेकिन उसके बाद भारत ने भूमि पर सभी पड़ोसी देशों की पूंजी की जांच मजबूत की। चीन के अलावा, भारत के अन्य पड़ोसी देशों की भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण करने की क्षमता नहीं होती, इसलिए इस नियम का लक्ष्य काफी स्पष्ट माना जाता है।

दुनिया में सिर्फ चीन और भारत की जनसंख्या 1 अरब से अधिक है। चीन और भारत दोनों नवोदित आर्थिक शक्तियां हैं। दोनों के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग से पैदा लाभ सभी लोग देख सकते हैं। वर्ष 2019 में 1000 से अधिक चीनी उद्यमों ने भारत को 8 अरब से अधिक डॉलर की पूंजी लगाई। बाजार मूल्य 1 अरब डॉलर से अधिक वाली 30 भारतीय नई कंपनियों में से 18 को चीन के निवेश मिले हैं। उनमें भारत के लोकप्रिय ऑनलाइन भुगतान, टेकअवे, खरीदारी, शिक्षा और मनोरंजन आदि प्लेटफॉर्म शामिल हैं।

इन सालों में चीन लगातार भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना, जबकि भारत दक्षिण एशिया में चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी रही है। दोनों के व्यापार एक दूसरे के पूरक हैं। पिछले 20 सालों में चीन और भारत के बीच व्यापार में करीब 32 गुणा की बढ़ोतरी हुई। चीन का बढ़ता निवेश दोनों के बीच सहयोग का एक्सेलरेटर माना जाता है।

भारत में अंतर्राष्ट्रीय निवेश बढ़ रहा है। विश्व बैंक के व्यवसाय। माहौल सर्वेक्षण में भारत का स्थान उन्नत हुआ है। कहा जा सकता है कि इसमें चीनी निवेश की भूमिका भी है। लेकिन भारत ने चीनी पूंजी पर प्रतिबंध लगाया। इससे न सिर्फ चीनी निवेशकों का विश्वास कमजोर होगा, बल्कि और अधिक संभावित अंतर्राष्ट्रीय निवेशक भी हिचकिचाएँगे।

दुनिया में दो सबसे बड़े विकासशील देश और नवोदित आर्थिक शक्तियां होने के नाते चीन और भारत को सहयोग मजबूत करना चाहिए। इससे न सिर्फ दोनों के विकास में नई उम्मीद जगेगी, बल्कि विश्व शांति और समृद्धि में योगदान किया जाएगा।

(ललिता)

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