गरीबी से निकलने के बाद तुलोंग जातीय लोगों का सुखमय जीवन

2020-09-30 21:00:01 CRI

गरीबी से निकलने के बाद तुलोंग जातीय लोगों का सुखमय जीवन

तुलोंग जाति चीन की 28 कम जनसंख्या वाली जातियों में से एक है, जिसकी जनसंख्या सिर्फ कुछ हजार है। दक्षिण-पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत की कोंगशान काउंटी के तुलोंगच्यांग गांव में तुलोंग जाति की सघन आबादी है।

तुलोंगच्यांग गांव समुद्र की सतह से 1200 से 5000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पूरे गांव में जनसंख्या 4000 से अधिक है और प्रति व्यक्ति कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल करीब 666 वर्गमीटर है। वहां पर पारंपरिक फसलें मकई और आलू हैं, लेकिन उत्पादन बहुत कम है। नए चीन की स्थापना से पहले तुलोंग जातीय लोग लम्बे समय से पहाड़ पर शिकार करने और जंगली फल खाने से आदिम जीवन बिताते थे। तुलोंगच्यांग गांव चीन का सबसे दूरदराज, गरीब और मुहरबंद क्षेत्रों में से एक था।

पुराने समय की याद करते हुए 78 वर्षीय पिंग श्योफांग ने कहाः

“पहले हम पेट नहीं भर सकते थे और गर्म कपड़े भी नहीं पा सकते थे। अनाज जो हमने खुद उगाया, काफी कम था। हर साल हमें पेट भरने के लिए पहाड़ पर सब्जियां और फल तोड़कर खाना पड़ता था। उस समय हमारे पास जूते भी नहीं थे। नंगे पैर में पहाड़ पर जाते थे। बहुत मुश्किल था।”

25 वर्षीय तिचंगतांग गांव के गांववासी मू छुनलोंग बचपन में अकसर मां-बाप के साथ औषधिक जड़ी-बूटियां इकट्ठा करने के लिए पहाड़ पर जाते थे।

“बचपन में करीब तीन चार साल की उम्र में मैं मां-बाप के साथ पहाड़ पर जाता था। वे औषधिक जड़ी-बूटियां इकट्ठा करते थे और मैं तंबू में सोता था। पहाड़ जाने के बाद 20 दिन के बाद वापस आते थे। हम जड़ी-बूटियां बेचते थे, साल में करीब 4000 से 5000 चीनी युआन कमाते थे।”

उस समय तुलोंगच्यांग गांव के बहुत से परिवार मू छुनलोंग के परिवार की तरह पहाड़ पर निर्भर रहते हुए घर चलाते थे और मुश्किल से ज़िंदगी बिताते थे। वर्ष 2010 से चीन सरकार के समर्थन में तुलोंगच्यांग गांव में उत्पादन और जीवन के वातावरण में बड़ा सुधार आया है। 2014 में तुलोंगच्यांग राजमार्ग के खुलने के बाद वहां की यातायात स्थिति पूरी तरह बदल गई।

अब मू छुनलोंग, पिंग श्योफांग और अन्य 4000 से अधिक तुलोंग जातीय लोग झोंपड़ी छोड़कर आरामदेह कमरे में रहते हैं। वहां पर 14 सालों की मुफ्त शिक्षा को सर्वव्यापी बनाया गया, जिससे हरेक बच्चे को पढ़ने का अवसर मिल सकता है। इसके साथ साथ स्थानीय सरकार गांववासियों को इन फसलों को रोपने का निर्देश देती है, जिसका वन संसाधन पर कम असर पड़ता है। स्थानीय लोग खुद पर निर्भर रहते हुए जीवन बिताते हैं।

मू छुनलोंग का परिवार अपने खेत में पेरिस पॉलीफाइला नाम की जड़ी-बूटी उगाता है। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले गांव की सरकार ने आधुनिक तकनीक से परिचय करवाकर पेरिस पॉलीफाइला के रोपण को बढ़ावा देना शुरू किया। तुलोंगच्यांग गांव में मौसम इसके रोपण के लिए उचित है, इसलिए पेरिस पॉलीफाइला बहुत अच्छे से विकसित हो रहा है। उन्होंने कहाः

“अगले साल पकने के बाद बेच सकते हैं। 666 वर्गमीटर में 40 से 50 किलोग्राम की फसल होगी। इस साल आधे किलोग्राम पेरिस पॉलीफाइला की कीमत 400 से 500 युआन रही। अगर हम बेचते हैं, तो करीब 1 लाख युआन कमाएंगे।”

तुलोंगच्यांग गांव में वन का फैलाव 93 प्रतिशत है, जो रोपण उद्योग के विकास के लिए बहुत उचित है। वर्ष 2012 से तुलोंगच्यांग गांव में जड़ी-बूटी के रोपण को प्राथमिकता दी गई। गांव के प्रमुख खोंग युछाई ने परिचय देते हुए कहाः

“जड़ी-बूटियां जो हमारे यहां उगाई जाती हैं, सब पारिस्थितिकी पर बुरा असर नहीं डालती हैं। इससे स्थानीय लोगों की आय में बढ़ोतरी भी हुई। शुरू में गांववासियों को लाभ नहीं मिला, इसलिए वे सक्रिय नहीं थे। बाद में जब उनकी आय में इजाफा हुआ, वे खुद अपने खेत में उगाते हैं।”

इसके चलते तुलोंगच्यांग गांव में प्रति किसानों की शुद्ध आय वर्ष 2009 में 900 युआन से बढ़कर वर्ष 2018 के अंत तक 6122 युआन तक जा पहुंची। तुलोंग जाति चीन में पहली अल्पसंख्यक जाति बन गई है, जिसके पूरे जातीय लोग गरीबी से बाहर निकल गए हैं।

गांव के कृषि सेवा केन्द्र में काम करने वाले छू सोंगफंग ने कहाः

“पहले गांववासी नए प्रकार के फसल स्वीकार नहीं करते और रोपण तकनीक भी नहीं जानते। शुरू में पेशेवर तकनीशियन आमने-सामने किसानों को सिखाते थे। अब गांववासी खुद फलस का रोपण कर सकते हैं।”

गांव के प्रमुख खोंग युछाई ने कहा कि तुलोंगच्यांग गांव में सबसे बड़ा परिवर्तन है लोगों के विचारों में बदलाव। गांववासी न सिर्फ पारिस्थितिकी पर्यावरण का संरक्षण करते हैं, बल्कि अपनी आय भी बढ़ाते हैं।

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