दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन की उत्पादन कार्यशाला उपयोग के लिए तैयार

2020-09-23 21:00:01 CRI

दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन की उत्पादन कार्यशाला उपयोग के लिए तैयार

दुनिया की पहली और सबसे बड़ी कोरोना इनैक्टिवैट वैक्सीन की उत्पादन कार्यशाला इस्तेमाल के लिए तैयार है। चाइना नेशनल फार्मास्युटिकल ग्रुप कंपनी लिमिटेड (Sinopharm) के अधीनस्थ चीनी जैव प्रौद्योगिकी निगम ने घोषणा की कि पेइचिंग स्थित जैविक उत्पाद अनुसंधान संस्थान में स्थित कोरोना इनैक्टिवैट वैक्सीन की उत्पादन कार्यशाला पर राष्ट्र स्तरीय जैव सुरक्षा निरीक्षण पारित हो चुका है। अब उत्पादन कार्यशाला उपयोग के लिए तैयार है। इससे पहले इसे कोरोना टीके का उत्पादन लाइसेंस मिला है।

चीनी जैव प्रौद्योगिकी निगम के दो जैविक उत्पाद अनुसंधान संस्थान पेइचिंग और वुहान में स्थित हैं। दोनों में उच्च स्तरीय जैव सुरक्षा के उत्पादन उपकरण उपलब्ध हैं। पेइचिंग स्थित जैविक उत्पाद अनुसंधान संस्थान ने सिर्फ दो महीनों में उत्पादन कार्यशाला का निर्माण पूरा किया, जिसकी गति बहुत तेज है। इन दो अनुसंधान संस्थानों की उत्पादन कार्यशाला को काम में लाने के बाद हर साल 22 करोड़ कोरोना वैक्सीन का उत्पादन होगा।

अब चीन के कई टीकों का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हो चुका है। कोरोना वैक्सीन के अनुसंधान में चीन दुनिया के पहले स्थान पर रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपात परियोजना के प्रमुख माइकल रयान ने कहा कि अब दुनिया में करीब 165 टीकों का परीक्षण किया जा रहा है, 26 टीकों का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हो चुका है और 6 टीके तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण में प्रवेश हुए हैं, जिनमें 3 चीन के हैं। बहुत कम समय में इतनी ज्यादा उपलब्धियां हासिल हुई हैं, यह अविश्वसनीय है।

टीके का अनुसंधान तेज करने के साथ इसका उचित वितरण करने में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है। क्योंकि वैश्वीकरण की स्थिति में दुनिया एक साथ ठीक होने पर ही तेज पुनरुत्थान हो जाएगा। इसलिए चीन ने घोषणा की है कि चीन द्वारा विकसित टीकों का अनुसंधान पूरा होने और प्रयोग में लाने के बाद इसे वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद बनाया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि विकासशील देशों के लोगों को भी टीका लग सके और लोग इसका खर्च उठा सकेंगे।

हम जानते हैं कि वैक्सीन कोविड-19 महामारी की रोकथाम में सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद है, लेकिन टीके का अनुसंधान लंबा, जटिल और खतरे से भरा है। दुनिया को विभिन्न प्रकार के टीकों की जरूरत है, ताकि महामारी की सफल रोकथाम में ज्यादा अवसर मिल सके। चीन ने अपने कोरोना टीके को वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद बनाने की घोषणा की। यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए ठोस योगदान है, जो दुनिया के खुलेपन और विश्व अर्थव्यवस्था के तेज पुनरुत्थान के लिए लाभदायक होगा। यह निश्चित है कि टीके का अनुसंधान पूरा होने के बाद मांग अवश्य ही आपूर्ति से अधिक होगी। इसलिए दुनिया के एकजुट होने और सार्वजनिक विभागों की भागीदारी होने पर ही टीके का उचित वितरण सुनिश्चित होगा।

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