10 सितंबर 2020

2020-09-10 11:25:58 CRI

अऩिलः ब्लू व्हेल को दुनिया का सबसे बड़ा जीव माना जाता है, जो कि एक विशालकाय मछली है और समुद्र में रहती है। बेहद भारी भरकम शरीर होने के बावजूद भी यह मछली बहुत कम देखने को मिलती है। इस जीव पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक इसे खोजने के लिए गहरे समुद्र में बहुत दूर तक जाते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों की किस्मत उन्हें ब्लू व्हेल से मिलवाती है। ऐसा ही कुछ मामला ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हुआ है। सिडनी के समुद्र तट के पास ब्लू व्हेल नजर आई है।

दरअसल, सिडनी में एक फोटोग्राफर हंपबैक व्हेल की तस्वीरें ले रहा था। इसी दौरान उसके कैमरे में ब्लू व्हेल की तस्वीरें कैद हो गईं। वैसे ब्लू व्हेल की तस्वीरों का कैमरे में कैद होना कोई नई घटना नहीं है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि ऐसा पिछले 100 साल में तीसरी बार हुआ है, जब सिडनी के तट के पास ब्लू व्हेल दिखाई दी हो।

न्यू साउथ वेल्स नेशनल पार्क एंड वाइल्डलाइफ सर्विस के अधिकारियों के मुताबिक, इस ब्लू व्हेल की लंबाई 82 फीट से ज्यादा और इसका वजन 100 हजार किलोग्राम से भी अधिक है। ब्लू व्हेल पृथ्वी पर सबसे बड़ा जीव है, और समुद्र के किनारे इतने करीब से इसे शायद ही देखा जाता है। लगभग एक सदी तक लगातार इनका शिकार होने की वजह से यह लुप्तप्राय यानी दुर्लभ जीवों की लिस्ट में शामिल है।

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लू व्हेल की कुल आबादी 10,000 से 25,000 के बीच है। नेशनल पार्क एंड वाइल्डलाइफ सर्विस के रेंजर एंड्रयू मार्शल के अनुसार, इतना बड़ा आकार होने के बाद भी ब्लू व्हेल को आसानी से इतने करीब से नहीं देखा जा सकता है। यहां तक कि इनके प्रवास और निवास स्थान के बारे में भी कोई पर्याप्त डेटा नहीं मौजूद है।


नीलमः वहीं जीव-जंतुओं को देखने और उनके बारे में जानने के लिए आप कई चिड़ियाघर या वाइल्ड लाइफ पार्क आदि में घूमने गए होंगे। इन जगहों पर आप जानवरों को बाड़ों में या पिंजरों में बंद देखा होगा। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में एक ऐसा भी चिड़ियाघर है, जहां जानवरों की जगह इंसान ही पिंजरे में बंद हो जाते हैं।

इस चिड़ियाघर में जानवर की जगह टूरिस्ट को ही पिंजरे में कैद कर दिया जाता है। चीन में एक ऐसा चिड़ियाघर है, जिसका नाम है लेहे लेदु वाइल्डलाइफ जू है। यहां पर जानवर खुलेआम घूमते हैं और यहां घूमने वाले लोग पिंजरे में बंद होकर जीव-जंतुओं को देखते हैं।

चीन के छोंगछिंग शहर में स्थित इस अनोखे चिड़ियाघर को साल 2015 में खोला गया था। लेहे लेदु वाइल्डलाइफ जू नाम के चिड़ियाघर में इंसानों को जानवरों के करीब जाने का अनोखा मौका मिलता है। यहां टूरिस्ट जानवरों को अपने हाथों से खाना भी खिला सकते हैं। इंसानों से भरे पिंजरों को जानवरों के आसपास ले जाया जाता है, मतलब शिकारी के शिकार को पिंजरे में रखकर ललचाया जाता है। खाने की लालच में जानवर पिंजरे के पास आते हैं। कभी-कभी पिंजरे के ऊपर भी चढ़ जाते हैं।

वैसे इस चिड़ियाघर में सुरक्षा को लेकर विजिटर्स को सख्त निर्देश तो दिए ही जाते है। लेकिन इसके अलावा भी यहां सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतेजाम किये गये हैं। कैमरों से पिंजरों और जानवरों पर 24 घंटे निगाह रखी जाती है और आपातकाल स्थिति में 5-10 मिनट में मदद पहुंचाई जा सकती है।

इस चिड़ियाघर के संरक्षकों का कहना है की हम अपने दर्शको को सबसे अलग और रोमांचकारी अनुभव फील करवाते हैं। चिड़ियाघर के प्रवक्ता चान लियांग का कहना है कि जब कोई जानवर आपका पीछा करता है या जब वह हमला करता है, हम उस वक्त की फीलिंग को अपने दर्शकों को महसूस करवाना चाहते हैं।


अनिलः अब अगली जानकारी। फूड इंडस्ट्री और दूसरी मांगों के बढ़ने को देखते हुए ग्रेगसन की फर्म यूरोप और उत्तरी अमरीका में समुद्री शैवालों की कतार के बीचोंबीच है। वो कहते हैं, "आपके पास बायोमास है, जिसका इस्तेमाल खाने और खिलाने के लिए किया जा सकता है। साथ ही यह जीवाश्म आधारित उत्पादों की भी जगह ले सकता है।"

समुद्री शैवाल तेजी से बढ़ने वाली शैवाल है। ये शैवाल सूरज की रोशनी से ऊर्जा लेती है और समुद्री पानी से पौष्टिक तत्व और कार्बन डाईऑक्साइड। वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि समुद्री शैवाल जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मददगार साबित हो सकते हैं और कार्बन उत्सर्जन की भरपाई भी कर सकते हैं। ओशियन रेनफॉरेस्ट को हाल ही में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी से फंड मिला है ताकि वे कैलिफोर्निया में भी ऐसा ही सिस्टम बनाएं। समुद्री शैवाल को निकालने का काम हो तो जल्दी जाता है लेकिन यह काम काफी गंदगीभरा है।

लेकिन कंपनी तेजी से बढ़ रही है और इसकी क्षमता को इस साल दोगुना किये जाने की योजना है। हालांकि इससे तुंरत अभी पैसा नहीं बन रहा है लेकिन ऐसी उम्मीद है कि बहुत जल्दी ही इससे पैसा भी मिलने लगेगा। ग्रेगसन कहते हैं, "हम देख सकते हैं कि हम इसे कैसे इसका मशीनीकरण कर सकते हैं और कैसे हम इसे एक बड़े पैमाने की गतिविधि बना सकते हैं।"

समुद्री शैवाल को तुरंत प्रोसेस करने की जरूरत होती है। फारोइस गांव में एक छोटे से प्लांट में, कटाई के बाद लाए गए समुद्री शैवाल को साफ किया जाता है। कुछ को सुखा दिया जाता है और फूड मैन्युफैक्चरर को भेज दिया जाका है। इसके बाद जो बचता है कि उसे फर्मन्टेड (किण्वित) किया जाता है और पशु चारा बनाने वाली कंपनियों को भेज दिया जाता है।


नीलमः अब एक और जानकारी। अमेरिका में एक ऐसा स्कूल है, जहां हर रोज कई बच्चे इंटरनेशनल बॉर्डर पार करके पढ़ने आते हैं। यह स्कूल ऐसा है, जहां पासपोर्ट के बिना बच्चे का पढ़ना लगभग नामुमकिन है। इस स्कूल का नाम है कोलंबस एलीमेंट्री स्कूल। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्कूल में कुल 600 बच्चे पढ़ते हैं, जिसमें से करीब 420 बच्चे अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके आते अपने क्लासरूम तक पहुंचते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर बच्चे अपने नजदीकी स्कूलों में जाने के बजाय बॉर्डर पार करके पढ़ने क्यों जाते हैं।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेक्सिको के प्योर्तो पालोमस में ऐसे बच्चों की संख्या बहुत है, जिनका जन्म तो अमेरिका में हुआ है, लेकिन चूंकि यह जगह मेक्सिको में पड़ती है, इसलिए उन्हें अमेरिका आने के लिए पासपोर्ट दिखाने की जरूरत पड़ती है।

प्योर्तो पालोमस में रहने वाले बच्चे जब भी स्कूल जाने के लिए तैयार होते हैं तो सबसे पहले वो अपना पासपोर्ट अपनी बैग में रख लेते हैं। इसके बाद जब वो अमेरिकी सीमा के चेक पोस्ट पर पहुंचते हैं तो वहां मौजूद गार्ड को अपना पासपोर्ट दिखाते हैं और जब उन्हें गार्ड की तरफ से सीमा में दाखिल होने की इजाजत मिल जाती है तो वो अमेरिका सीमा में दाखिल हो जाते हैं।


अनिलः दोस्तो, इसी जानकारी के साथ संपन्न होता है जानकारी देने का सिलसिला।

अब बारी है श्रोताओं के पत्रों की। पहला पत्र हमें भेजा है, खुर्जा यूपी से तिलक राज अरोड़ा ने। लिखते हैं, सप्रेम नमस्ते।

3 सितंबर का कार्यक्रम सुना और पसंद आया। कार्यक्रम में जो जानकारियां सुनवायी गयी बहुत ही काबिले तारीफ़ लगी।

सर्वप्रथम पेश जानकारी कि पुरातत्व विद सर्जियो गेमेज ने सुरंग की खोज की पसंद आयी।

आकिनो शिमा आइलेड टापू वाली सूचना प्रशंसा के योग्य है।


नीलमः वहीं शार्क द्वारा इंसानों का शिकार किए जाने पर विस्तारपूर्वक जानकारी भी सुनी और पसंद आयी। कार्यक्रम में इटली की जेनेटी ट्रेन का गायब हो जाना, जिसे भूतिया ट्रैन भी कहते है वाली जानकारी इस कार्यक्रम में नंबर वन लगी। जबकि प्रोग्राम में फिल्मी गीत सुनकर दिल खुशी से झूम उठा। वहीं श्रोताओं के पत्र भी सुने, बहुत अच्छे लगे।

जोक्स सुनकर आनंद आ गया।

कहना चाहूंगा कि कार्यक्रम का समय बेशक पच्चीस मिनट ही है, फिर भी कार्यक्रम सुनने का आनंद दिल में घंटों तक महसूस किया गया।

बेहतरीन कार्यक्रम की प्रस्तुति के लिए आपको बधाई। टी टाइम का दीवाना तिलक राज...तिलक जी बहुत बहुत शुक्रिया तारीफ के लिए।


अनिलः अब पेश है अगला ख़त, जिसे भेजा है पंतनगर, उत्तराखंड से वीरेंद्र मेहता ने।

लिखते हैं, नमस्कार , नी हाउ -

सर्जियो गोमेज द्वारा मैक्सिको में स्थित सुरंग जो 2000 साल पहले ' तियोथिहुआकेन शहर ' ने बनाई थी , का खोजा जाना सचमुच एक इतिहास को खोजे जाने के बराबर लगता है । तियोथिहुआकेन शब्द का मतलब बतलाया गया, जिसका अर्थ होता है - "जहां आदमी भगवान बनता है " सबसे रोचक बात तो यह लगी कि यह सभ्यता ईसा के जन्म से 450 साल पहले भी थी और ईसा के जन्म के बाद भी !! बहरहाल मैंने इस टॉपिक को इंटरनेट पर सर्च किया और इसके बारे में जानने की कोशिश की जिससे कुछ और नई जानकारियां मिली - इस सुरंग में चार मूर्तियां मिली हैं जिनमें से तीन महिलाओं और एक पुरुष की हैं । महिलाओं की मूर्तियां पुरुष के मुक़ाबले लंबाई में बड़ी हैं और कपड़े पहने हुए हैं । वहीं, पुरुष की मूर्ति नग्न अवस्था में है। इस सभ्यता में महिलाओं ने ताकत और धार्मिक मामलों में अहम किरदार निभाया था । पहली मूर्ति महिला देवी की है जो कि महिलाओं को भूमि और उर्वरता की वजह से सम्मान देती है । और पुरुष की मूर्ति जंग को प्रतिबंबित करती है । ये उत्पादन की अर्थव्यवस्था से स्वायत्तीकरण की अर्थव्यवस्था का बदलाव है , यह गुफा बेहद संकरी है और ज़्यादा लोगों के घुसने की वजह से टूट सकती है इसलिए इसको आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है । वही ओकिनोशिमा आइलैंड के बारे में शायद आप कुछ महीने पहले ही बता चुके थे टी टाइम के प्रोग्राम में । वही शार्क मछली का इंसानों पर हमला एक चिंताजनक है पर वह तो एक जीव ही है तो इंसानों को भी उससे दूर रहना या बचना चाहिए । और वही नीलम जी द्वारा दी गई जानकारी बड़ी रोचक लगी जिसमें उन्होंने बताया की इटली में साल 1911 में 106 लोगों को ले जा रही एक ट्रेन सुरंग में घुसते ही गायब हो गई और यह ट्रेन अपने समय से 71 साल पीछे भूतकाल में चली गई इस घटना से मुझे टाइम मशीनऔर टाइम ट्रेवल की थ्योरी याद आती और ऐसी ही घटनाएं शायद हम सभी ने हॉलीवुड मूवी में देखा ही है जिसमें टाइम मशीन का इस्तेमाल होता है पता नहीं यह घटना कितनी सच है , पर साइंस में तो यह घटना एक काल्पनिक है । सुंदर प्रोग्राम की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद !!

वीरेंद्र जी बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने इस बारे में विस्तार से जानकारी खोजने की कोशिश की। शुक्रिया।


नीलमः अब बारी है अगले पत्र की। जिसे भेजा है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं, हर बार की तरह दिनांक 3 सितम्बर के साप्ताहिक "टी टाइम" का भी पूरा लुत्फ़ उठाया एवं कार्यक्रम में दी गयी तमाम जानकारियों को बेहद उम्दा एवं सूचनाप्रद पाया।

पुरातत्त्वविद् सर्जियो गोमेज की 'पिरामिड ऑफ तियोथिहुआकेन' तथा उससे जुड़ी दो हज़ार साल पुरानी सुरंग की खोज़ पर दी गई जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण लगी। देखा जाये, तो चीज़ों का पता लगाने पुरातत्वविद अपनी जान की भी परवाह नहीं करते।

वहीं जापान के ओकिनोशिमा आइलैंड और उससे जुड़े अजीबोगरीब नियमों के बारे में जानकर भी काफी हैरानी हुई। यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल ओकिनोशिमा टापू चौथी से नौवीं शताब्दी तक कोरियाई प्रायद्वीप और चीन के बीच व्यापार का अहम केंद्र हुआ करता था, यह जानकारी भी हमारे लिये बिलकुल नई थी।

जानकारियों के क्रम में शार्क के स्वभाव पर दी गयी जानकारी भी अहम लगी। देखा जाये, तो आज इन्सान ही प्राणी-जगत का सबसे ख़तरनाक जीव है, जो कि सभी का अस्तित्व मिटाने पर आमादा है।

यह जान कर शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी कि इटली में सन 1911 में कुल 106 लोगों को ले जा रही एक ट्रेन सुरंग में घुसते ही रहस्यमय तरीके से गायब हो गई थी और जिसका आज तक पता नहीं चल पाया है कि वो आखिर कहां गई ?

इन तमाम जानकारियों के अलावा श्रोता-मित्रों की टिप्पणियों एवं जोक्स आदि को समुचित स्थान दिया जाना भी कार्यक्रम को रुचिकर बनाने में मददगार साबित होता है। धन्यवाद फिर एक शानदार प्रस्तुति के लिये।

सुरेश जी कार्यक्रम के बारे में टिप्पणी करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।


अनिलः दोस्तो, अब बारी है आज के आखिरी पत्र की। जिसे भेजा है, खंडवा मध्य प्रदेश से दुर्गेश नागनपुरे ने। लिखते हैं 3 सितम्बर दिन गुरुवार का टी टाइम कार्यक्रम बेहद अच्छा लगा ।

प्रोग्राम में आपके द्वारा दी गई सभी जानकारियां एक से बढ़कर एक थी। जो कि हमें बहुत ही पसंद आयी। कार्यक्रम मे जापान के ओकिनोशिमा आइलैंड के बारे में आपके द्वारा दी गई जानकारी बहुत ही रोचक लगी । साथ ही समंदर में रहने वाले और विभिन्न प्रकार के जीवों का शिकार करने वाली शार्क के बारे में प्रस्तुत विस्तृत जानकारी बहुत पसंद आई । साथ ही ट्रेनों के बारे में आपने जो हम सभी को इतने विस्तार से बताया इसके लिए आपका दिल से आभार व्यक्त करते हैं। इस बार के टी टाइम प्रोग्राम में मानिटर सुरेश अग्रवाल जी का पत्र और जोक्स ने कार्यक्रम टी टाइम मे चार चांद लगा दिए । जोक्स सुनते ही तुरंत हमारे चेहरे पर मुस्कान आ गई । धन्यवाद

दुर्गेश जी शुक्रिया।


अब पेश करते हैं जोक्स यानी हंसगुल्ले।

पहला जोक

एक महाकंजूस अपने बेटे को पीट रहा था...

पड़ोसी- क्यों पीट रहे हो इस मासूम को?

कंजूस- ये और मासूम?

अरे! एक नंबर का शरारती है ये, मैंने इसे

1-1 सीढ़ी छोड़-छोड़ कर चढ़ने को कहा था।

चप्पल कम घिसेगी...

नालायक, 2-2 सीढ़ी छोड़-छोड़ कर चढ़ा

पजामा फट गया...


दूसरा जोक...

जब बच्चा जमीन पर गिरकर रोने लगता है तो घरवालों का रिएक्शन...

विदेशों में: Baby Dont Cry बोलकर चॉकलेट पकड़ा देते हैं।

भारत में: जमीन को दो बार मारते हुए। ले मार दिया जमीन को अब चुप हो जा।


तीसरा जोक

टीचर- बताओ बच्चों वास्कोडिगामा भारत कब आया?

टिल्लू- जी सर्दियों में आया था

टीचर- पागल है क्या? किसने कहा?

टिल्लू- टीचर आपकी कसम…

मैंने बुक में फोटो देखी थी

उसने कोट पहन रखा था...

रेडियो प्रोग्राम