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13-07-23:बचपन से बड़ा कोई स्कूल नहीं, जिज्ञासा से बड़ी कोई टीचर नहीं
2013-07-27 15:14:56

चाइना रेडियो इंटरनेशनल के न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में ,मैं हेमा कृपलानी करती हूँ आप सबका हार्दिक स्वागत। होम स्कूलिंग, घर पर दी जाने वाली स्कूली शिक्षा, जहाँ बच्चों को सार्वजनिक या निजी स्कूलों में न भेजकर घर पर ही माता-पिता या ट्यूटर्स द्वारा शिक्षा दी जाती है। हालांकि, स्कूलों में अनिवार्य उपस्थिति, कानूनों की शुरुआत से पहले, दुनिया में अधिकतर बचपन में शिक्षा परिवार या समुदाय के भीतर ही दी जाती थी, आधुनिक अर्थों में घर पर दी जाने वाली स्कूली शिक्षा किसी सार्वजनिक या निजी स्कूलों में जाने का एक विकल्प है। आज होम स्कूलिंग, घर पर दी जाने वाली स्कूली शिक्षा, चीन में एक बढ़ती प्रवृत्ति बन गई है। हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह हर किसी के लिए नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है, इसे लेकर।

आज के कार्यक्रम में, हम बीजिंग में यहाँ कई घरों में दी जाने वाली स्कूली शिक्षा के स्कूलों का दौरा करेंगे और पता लगाने की कोशिश करेंगे कि कुछ माता- पिता को क्या प्रेरित कर रहा है जो उन्होंने अपने बच्चों के लिए होम स्कूलिंग चुना। उसके साथ-साथ हम विशेषज्ञों और पेशेवरों द्वारा होम स्कूलिंग के पक्ष और विपक्ष का वर्णन भी सुनेंगे।

तो स्टे ट्यून्ड टू न्यूशिंग स्पेशल

झांग च्याओफंग सात साल के बच्चे के पिता हैं। लूंग अकादमी नाम के एक छोटे से स्कूल के केवल एक संकाय सदस्य हैं जो उनके घर पर ही है और अधिकतम छह छात्रों को ही लेते हैं। झांग ने 2011 में इस स्कूल की स्थापना की जब उन्होंने अपने बेटे झांग होंगवू को स्कूल में सिर्फ तीन हफ्तों के बाद देखा कि वह बहुत उदास रहने लगा है। जब मेरा बेटा 6 साल का हुआ तब मैंने उसे लगभग 40 हजार युआन की वार्षिक शिक्षण शुल्क लेने वाले एक निजी स्कूल में भर्ती किया। लेकिन मेरे बेटे को वहाँ बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। उसने कठोर स्कूल प्रबंधन के बारे में और ढेर सारे होमवर्क के बारे में शिकायत की। मैं खुद नहीं समझ पा रहा था कि पहली कक्षा में पढ़ने वाले प्राथमिक विद्यालय के छात्र के लिए पूरे सत्र के लिए केवल दो पतली-सी पाठ्यपुस्तकें काफी होंगी। तो उन्हें इतना सारा होमवर्क हर रोज़ कैसे दिया जा सकता है। झांग ने तब सोच लिया कि वे अपने बेटे को प्राथमिक स्कूल से निकाल कर घर पर खुद ही पढ़ाएँगे। वे मानते हैं कि यह निर्णय लेना उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि, मैं उस समय एक कंपनी चला रहा था। मुझे एहसास हुआ कि मैं एक साथ दो चीज़ें नहीं कर सकता। इसलिए मैंने अपना व्यवसाय छोड़ दिया और केवल अपने बेटे की शिक्षा पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया। उसकी माँ और मेरा तलाक हो गया था। मैं अपने बेटे की परवरिश अकेले कर रहा था। अगर मैं अपनी इस जिम्मेदारी में फेल हो जाता हूँ तो मैं खुद को दोषी महसूस करूँगा। झांग च्याओफंग का यह फैसला एक पिता ने प्यार और जिम्मेदारी के आधार पर सिर्फ अपने बेटे को खुश देखने और स्वस्थ बचपन देने के लिए किया था। चीन के प्रतिष्ठित पेइचिंग विश्वविद्यालय से स्नातक, झांग को विश्वास था कि वे एक योग्य शिक्षक साबित होंगे। लेकिन उन्हें इस बात की भी चिंता थी। उन्होंने कहा, ईमानदारी से कहूँ तो शुरुआत में मैं अपने अंग्रेजी उच्चारण को लेकर थोड़ा चिंतित था। लेकिन घर पर मेरे साथ आठ या नौ महीने के अध्ययन के बाद, मेरे बेटे ने अंग्रेजी भाषा में तेज़ी से प्रगति की और वह किसी ऐंक्सेंट के साथ बात नहीं करता। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, वह घर पर सीखने में बहुत खुश है और बहुत प्रभावी भी। अपने बेटे को घर पर पूरा एक साल पढ़ाने के बाद झांग ने पाया कि उसकी शिक्षण पद्धति उसके बेटे के लिए अच्छे से काम करती है तो उसे विश्वास था कि वह अन्य बच्चों के लिए भी ज़रूर काम करेगी। बस घर स्कूली शिक्षा में उन्हें एक कमी खलती है वह यह कि उनके बेटे को सहपाठियों का साथ नहीं मिल पा रहा। तो झांग ने कई अन्य बच्चों को अपने स्कूल में शामिल कर स्कूल का विस्तार किया।

पिता ने बताया कि उनका बेटा फ्री और आसान क्लास संरचना के बावजूद अपने प्राथमिक स्कूल के संक्षिप्त निवास के दौरान इतना ऑउटगोइंग, एकटिव नहीं था। झांग अपनी कक्षा में अनुशासन बनाए रखते हैं और बच्चों को अपनी मन-मर्जी करने की अनुमति नहीं है।

मैंने सुबह तीन कक्षाओं की व्यवस्था की है। एक गणित और दो अंग्रेजी की कक्षाएँ। दोपहर को चीनी भाषा और रीडिंग की। हम कई अतिरिक्त किताबों को पढ़ते हैं और आमतौर पर हम पढ़ी हुई कहानियों के बारे में बाद में चर्चा भी करते हैं। दोपहर बाद पौने तीन बजे तक बच्चे फ्री हो जाते हैं और उसके बाद वे जो चाहे वह कर सकते हैं। उदाहरण के लिए मार्शल आर्ट, संगीत, फुटबॉल या पेंटिग। मैं इन कक्षाओं के लिए व्यावसायिक शिक्षकों को आमंत्रित करता हूँ।

झांग च्याओफंग कहते हैं कि वे नहीं चाहते कि उनका बेटा अक्षम और बेकार के और दर्दनाक गृहकार्य और परीक्षाओं में अपना पूरा समय बर्बाद करें। और अन्य छात्राओं की तरह केवल अच्छे अंक प्राप्त करें और चूहा दौड़ में शामिल हो जाए और मानक उत्पाद बन कर रह जाए। मैं अपने बच्चे को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ देखना चाहता हूँ और चाहता हूँ। वह ईमानदार बने। मैं नहीं चाहता कि वह अपने अंदर इतना सारा डेटा भरे या तथाकथित ज्ञान रखने की इतनी ज़रूरत नहीं है। मैं उसे जीवन के सत्य, सामान्य ज्ञान, और उपकरणों के सही उपयोग सीखाना चाहता हूँ। योजना अनुसार झांग अपने बेटे को उसके 18 साल का होने तक शिक्षित करेंगे। उसके बाद इस युवा वयस्क को फैसला लेना होगा कि वह चीन के राष्ट्रीय कॉलेज प्रवेश परीक्षा में भाग लेगा या विदेश में अध्ययन करने के लिए जाना चाहेगा। झांग कहते हैं कि आने वाले 10 सालों में वह समय आएगा जब वह अपनी शिक्षा ,विचारों का अभ्यास करेगा। यह वही समय होगा जब वह अपने बेटे के साथ उसकी कंपनी यानी उसके साथ, का आनंद ले पाएगा और उसके ज्यादा करीब हो पाएँगे। मैं अपने बेटे को बड़ा होते हुए देख बहुत खुश होता हूँ। इतने सारे प्यारे बच्चों को अपने आसपास घिरा हुआ देख, मैं खुद को संपूर्ण और शुद्ध महसूस करता हूँ।

झांग का आत्मविश्वास कुछ सफल उदाहरणों पर आधारित है। जून 2011 में छन जिएदी,चीन के दक्षिण पश्चिम स्छवान प्रांत की राजधानी छंगदू से 17 साल की लड़की को न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सहित अमेरिका जैसे काफी प्रसिद्ध उच्च शिक्षण संस्थानों से आने का प्रस्ताव मिला। हालांकि, इस लड़की ने कभी प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई नहीं की। झंग युएनजिए, एक प्रसिद्ध बच्चों की किताब के लेखक भी झांग की प्रेरणा है। झंग युएनजिए, चीन में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी के रूप में माने जाते हैं। 1990 में अपने बेटे झंग याची, जिसने प्राथमिक स्कूल पास कर लिया के साथ चर्चा के बाद उन्होंने अपनी ही पाठ्यपुस्तकों का संकलन घर में किया और घर पर ही अपने बेटे को शिक्षित करने लगे। बच्चों के पूर्ण विकास में शिक्षकों का अहम रोल होता है। वे जो कहते हैं या करते हैं उससे एक बच्चे की आत्म छवि और दुनिया प्रभावित होती है। कई शिक्षक केवल बच्चों को परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने के अलावा कुछ नहीं करते हैं। एक बार मेरे बेटे में मुझे बताया कि एक शिक्षिका ने एक लड़की को 20 मिनट तक पूरी कक्षा के सामने सिर्फ इसलिए डाँटा क्योंकि वह अपनी पाठ्यपुस्तक लाना भूल गई थी और इस कारण मेरा बेटा अपनी शिक्षिका से बहुत डरने लगा। पुरुष हो या महिला गरिमा दोनों के लिए महत्व रखती है। 20 मिनट तक शिक्षिका ने पूरी कक्षा के सामने उस लड़की को नीचा दिखाया। उस क्षण से मैंने अपने बेटे को स्कूल से बाहर निकालने के बारे में सोचना शुरू किया। झंग ने अपने बेटे को घर पर ही खुद पढ़ाना शुरू कर दिया। जिन पाठ्यपुस्तकों को उसने संकलित किया वह परियों की कहानियों के रूप में लिखी गई थीं और सामग्री को परंपरागत पाठ्यपुस्तकों के साथ कुछ नहीं करना था। उदाहरण के लिए, मुझे लगता है बच्चों को यह पढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें आत्मरक्षा के साथ-साथ कानून का पालन करना चाहिए। इसलिए मैंने कानून में वर्णित अपराधों की जाँच की और हर अपराध के लिए मैंने परी की कहानी बनाई और अपने बेटे को समझाया कि हमें बुरे काम नहीं करने चाहिए। अब झंग याची 29 साल का हो गया है और वह एक प्रकाशन कंपनी के साथ-साथ एक फोटोग्राफी स्टूडियो का मलिक भी है। वह अपने पिता के शिक्षण तरीके के बारे में कुछ कहना चाहते हैं। घर पर दी जाने वाली स्कूली शिक्षा की सबसे अच्छी बात यह है कि उसने मेरे सपनों और जिज्ञासा की रक्षा की। मुझे दुनिया के बारे में पता करने के लिए प्रेरित किया है और मुझे एहसास दिलाया कि अध्ययन जीवन का हिस्सा है और इसे खेल-खेल में हंसी-खुशी किया जा सकता है।

ऐसा लगता है कि घर पर दी जाने वाली स्कूली शिक्षा क्रांति चीन में जगह बनाने वाली है। लेखक झंग युएनजिए से झांग च्याओफंग के परिवारों से घर पर स्कूली शिक्षा पर बढ़ता ध्यान लोगों का आकर्षित कर रहा है। इसकी संख्या इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कि होम स्कूलिंग एलायंस ने अपने अनुभवों और शिक्षण सामग्री अपने 5000 से ज्यादा सदस्यों के साथ साझा करने के लिए आनलाइन मंच दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि समय, पैसे,वित्तीय साधनों और शैक्षिक पृष्ठभूमि के बावजूद होम स्कूलिंग हर किसी के लिए नहीं है।

ली युअर, बाल शिक्षा विशेषज्ञ, घर पर दी जाने वाली शिक्षा का समर्थन नहीं करते।

पहली समस्या यह है कि अगर एक माता-पिता एक शिक्षक की भी भूमिका निभाते हैं तो बच्चा एक शिक्षक से साथ उचित मनोवैज्ञानिक दूरी बनाए रखने में सक्षम नहीं हो सकता। जो एक निश्चित स्तर का अधिकार भी बनाए रखता है। दूसरा कारण यह है कि स्कूली शिक्षा समाज की आवश्यकताओं के अनुसार एक सुनियोजित और संगठित सामाजिक गतिविधि है। मेरा मानना है कि चीन में अब भी 98 प्रतिशत बच्चों को नियमित रूप से स्कूली शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, विशेष रूप से चीन में जहाँ परिवार में एक ही बच्चा है ,जो अपने साथियों के साथ रहकर सामाजिक होना सीखता है और सामूहिक जीवन के अनुभवों से सीख सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार एक और अहम मुद्दा है वह यह कि चीन के कानून अनुसार सभी स्कूली आयु वर्ग के बच्चों को अनिवार्य स्कूली शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। तकनीकी तौर पर, चीन में घर पर दी जाने वाली स्कूली शिक्षा कानून के खिलाफ है। हालांकि, ए यी, मीडिया कर्मी के अनुसार घर पर दी जाने वाली स्कूली शिक्षा भविष्य में एक नए उभरते ट्रैंड के रूप में देखी जा रही है। मानक स्कूली शिक्षा शायद कुछ माता-पिता जो अपने बच्चों को विविध शिक्षा देना चाहते हैं की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रही। पब्लिक स्कूल, छात्रों के व्यक्तित्व के निर्माण पर ज्यादा ध्यान नहीं देते,जो वास्तव में ज्यादा महत्वपूर्ण है। उनका पूरा ध्यान केवल बच्चों के उच्च अंक प्राप्त करने में लगा रहता है। उच्च शिक्षित माता-पिता को हमें समझना चाहिए जिन्होंने अपने बच्चों के लिए होम स्कूलिंग का फैसला किया है। यह उल्लेखनीय सामाजिक घटना है।

आजकल बच्चों के अरली चाइल्डहुड शिक्षा पर माता-पिता अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। और ऐसे माता-पिता की संख्या भी बढ़ रही है जो अपने बच्चों को ऐसे किंडरगार्टन में भेज रहे हैं जहाँ पारंपरिक चीनी और पश्चिमी प्रीस्कूल शिक्षा के रूप में विभिन्न प्रणालियों के माध्यम से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

चीनी मुख्यभूमि के प्रीस्कूल अंतरराष्ट्रीय मानकों के बराबर पहुँचने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं। लेकिन उसके बावजूद चीन में शिक्षा प्रणालियों के बीच विकसित देशों की तुलना में अब भी काफी अंतर है, सामग्री और शैली दोनों के संदर्भ में। जो भी हो, मैंने कल एक टी.वी विज्ञापन देखा कि बचपन से बड़ा कोई स्कूल नहीं और जिज्ञासा से बड़ी कोई टीचर नहीं तो इन्हें खेलने दो, इन्हें सीखने दो, इन्हें बढ़ने दो। इसी के साथ आज का न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। हेमा कृपलानी को दीजिए इज्जाजत। नमस्कार।

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