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13-03-19
2013-04-23 16:31:48

न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में हमारी कोशिश रहती है कि आपको स्वास्थ्य,सेहत के बारे में जानकारी के साथ-साथ चीन के लोग, उनकी जीवनशैली के बारे में भी आपको बताते रहें। तो चलिए करते हैं आज के कार्यक्रम की शुरुआत.......

शाकाहारी बनिए, दूर रहेगी दिल की बीमारी

अगर आप शाकाहारी हैं तो ये आपके लिए खुशखबरी हो सकती है। एक शोध कहता है कि मांसाहारी खाना छोड़कर अगर आप शाकाहारी खाने का रुख करेंगे तो ये आपके दिल की सेहत के लिए अच्छा होगा। ये शोध इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के 44,500 लोगों पर किया गया। अध्ययन में पाया गया कि मांसाहारी लोगों के मुकाबले शाकाहारी लोगों में मौत का खतरा और दिल की बीमारी का जोखिम 32 फीसदी तक कम हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर, रक्तचाप और वज़न में अंतर किसी भी व्यक्ति की अच्छी सेहत की संभावनाओं को बढ़ाता है। ये अध्ययन अमेरिकी जर्नल क्लिनिकल न्यूट्रीशन में छपा है। पश्चिमी देशों में दिल की बीमारी को एक बड़ा अभिशाप माना जाता है। ब्रिटेन में हर साल 94, 000 लोगों की इस बीमारी से मौत होती है और 26 लाख लोग इस बीमारी के साथ जीते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 15, 100 शाकाहारी और 29, 400 मांसाहारी लोगों पर इस संबंध में अध्ययन किया। पिछले 11 सालों में देखा गया कि इन लोगों में 169 लोगों की दिल की बीमारी की वजह से मौत हो गई तो 1,066 लोगों को इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ा और इनमें से शाकाहारी के मुकाबले ज्यादातर ऐसे लोग थे जो मांसाहारी थे। डॉक्टर फ्रांसेस्का क्रो का कहना था कि बड़ी बात ये है कि दिल की सेहत के लिए खानपान महत्वपूर्ण होता है। मैं इस बात की वकालत नहीं कर रहा हूं कि सभी को शाकाहारी ही भोजन लेना चाहिए। उनका कहना है कि दरअसल खानपान थोड़ा अलग होता है। शाकाहारी लोग संतृप्त वसा (सेच्यूरेटेड फैट्स) कम लेते है जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। इन लोगों पर किए गए शोध के नतीजे में ये बात सामने आई कि शाकाहारियों का रक्तचाप कम होता है, सेहत के लिए खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है और उनके सही वज़न होने की भी संभावना होती है। ब्रिटिश हर्ट फॉउंडेशन के ट्रेसी पार्कर का कहना है कि ये अध्ययन बताता है कि हमें संतुलित आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए। चाहे इसमें मांस हो या नहीं। लेकिन यहां ये भी याद रखना होगा कि मेन्यू में केवल शाकाहारी विकल्प चुनने से ही दिल की सेहत अच्छी नहीं रहेगी, क्योंकि ऐसे कई खानपान हैं जो शाकाहारियों के लिए सही हैं लेकिन उनमें सेच्यूरेटेड फैट्स और नमक की मात्रा ज्यादा होती है। अगर आप शाकाहारी खानपान अपनाने की सोच रहे हैं तो आप खाने में क्या लेंगे, इसकी योजना बना लें ताकि मांस से मिलने वाले विटामिन और मिनरल आपको मिल सकें।

सेहत के बाद बात करते हैं..........

चीनी नव वर्ष को शुरु हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन इसका असर अब भी बाकी है। अगर आप सोच रहें कि यहाँ चीन में लोग अब भी मौज-मस्ती, सेलिब्रेशन के मूड में हैं तो नहीं ऐसा कुछ नहीं हैं। सब लोग अपने-अपने काम पर लग गए हैं और आजकल की बढ़ती मँहगाई किसी को इतना मौका कहाँ देती है कि दिल खोल कर ऐश करो क्योंकि आजकल हर चीज़ के दाम जो आसमान छूँ रहे हैं। जी हाँ, तो मैं बात कर रही थी, नव वर्ष के असर के बारे में तो वो खर्चे से ही संबंधित हैं। इतना खर्चा तो हो गया है अब उसकी भरपाई का असर तो बाकी रहेगा ही। और हम न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में आपको चीन के लोगों की दिलों की बात, उनकी भावनाओं-विचारों, उनकी आदतों और जीवनशैली के बारे में समय-समय पर जानकारी देते रहते हैं। तो किसी भी त्योहार में बाकि ज़रुरी खर्चों के साथ एक अहम खर्चा होता है, अपने से छोटों को लाल लिफाफों में हुंग पाओ देना यानी जिसे हमारे यहाँ खर्ची या आशीष के रुप में दिए पैसे कहा जाता है। उसे चीन में हुंग पाओ कहा जाता है और जिसे मिलने वाला होता है, वो बहुत उत्साहित रहते हैं लेकिन जिसे देना होता है, उसका बजट तो हिल ही जाता है। पारंपरिक तौर पर लुनार न्यू ईयर के मौके पर शादी-शुदा जोड़े या घर के बड़े अपने से छोटों को या कुंवांरे भाई-बहनों को गुड-लक के तौर पर हुंग पाओ देते हैं। वैसे हुंग पाओ देने का चलन परिवार में अन्य मांगलिक मौकों जैसे शादी या जन्मदिन के अवसर पर भी दिए जाते हैं। तो जाहिर है कि इस साल सर्प वर्ष का स्वागत करने के समय भी इन हुंग पाओ देने का चलन खूब ज़ोर-शोर से किया गया। लेकिन इस बार के लुनार न्यू ईयर पर दिए जाने वाले हुंग पाओ को ज्यादा इंटरेसटिंग(रोचक) बनाने के लिए इंटीरियर डिजाइनर ल्युकस गोह ने एक नायाब आइडिया सोचा। इस बार उन्होंने अपने घर आने वाले अनुजों को दिए जाने वाले हुंग पाओ लकी ड्रा की तरह दिए। गोह ने कहा कि उन्होंने कई अलग-अलग लाल लिफाफों में 5 से 50 युआन तक के नोट रखे और सभी लिफाफों को एक डिब्बे में रखा जिसे 15 दिन तक चलने वाले नव वर्ष के त्योहार पर उनके घर में जो भी उनसे अनुज मेहमान आएँगे वे अपने लिफाफे यानी खर्चियाँ वहाँ से उठा सकते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी उन्होंने ऐसा ही किया था जिसे उनके रिश्तेदारों ने बहुत पसंद किया। लेकिन उनका यह भी कहना है कि अपने भांजे-भतीजों को अब भी अलग-अलग हुंग पाओ ही देंगे। हमममम..........सुना आपने रिश्तेदारी निभाने के लिए सब कुछ करेगा। एक और ऐसे ही इंटरेसटिंग(रोचक) व्यक्तित्व के बारे में बताते हैं आपको। यह हैं पेशे से वकील डेनिस न्गूं, इन्होंने भी इस साल लाल लिफाफों में पैसे देने के बजाय लॉटरी की टिकट डाल कर दी अपने मेहमानों को। अरे वाह, जिसकी जैसी किस्मत। जाओ और आजमाओ लॉटरी लगी तो तुम्हारी नहीं, तो भी तुम्हारी किस्मत। उन्होंने 5 युआन की 100 लॉटरी की टिकटें खरीदीं। डेनिस का कहना है कि आजकल के युवाओं की अपेक्षाएँ बढ़ गई हैं, वे लाल लिफाफों में बड़ी रकम की इच्छा करते हैं और उनमें से कुछ तो केवल लिफाफों को देख उन्हें छूकर अंदाज़ा लगा लेते हैं कि इसके अन्दर कितने पैसे हैं। इस बात पर 94 वर्षीय दादीमाँ वी जिओक पेक का कहना है कि आजकल का जमाना तो भई हमारे समय से बहुत अलग है। वो कहती हैं मुझे आज भी याद है कि हमें हुंग पाओ के नाम पर अपने माता-पिता और रिश्तेदारों से नव वर्ष के पहले दिन एक सेंट मिला करता था। लाल लिफाफों की जगह लाल रंग के छोटे से कागज़ के टुकड़े में लपेटा एक सेंट मिलता था, साथ में मिलते थे दो मैंडरिन ऑरेंजिस। दादी माँ बताती हैं कि उस समय यानी पुराने समय में चौकोर आकार का एक सेंट होता था जिस पर ब्रिटिश सरकार का ताज बना हुआ होता था जिसकी कीमत बहुत ज्यादा होती थी। उस सिक्के से हम 3 शक्करकंदी(मीठे आलू) खरीद सकते थे। वाह, कितनी सस्ताई का जमाना था, वो दादी माँ। मुझे याद है मेरी दादी भी मुझे अपने समय के एक पाई, दो पाई,एक आना-दो आने की कीमत बताती थीं कि हम उससे इतने सेर देसी घी खरीद सकते थे। आजकल तो पैसे की कोई कीमत ही नहीं रही। कितना सही थीं वो, आज मतलब समझ आता है उसका। दादी माँ वी कहती हैं कि उनकी शादी के समय तक एक सेंट के सिक्के की जगह 20 सेंट मिलने लगे लेकिन लाल कागज़ वही रहा। उन्होंने बताया कि जैपनीस ऑक्यूपेशन के दौरान जापान सरकार ने नोट निकाले थे जिन पर केले का पेड़ छपा था। उन्होंने उस समय अपने से छोटों को उसे हुंग पाओ के रुप में दिया था, लेकिन उसकी कीमत बहुत कम होती थी। आज दादी माँ के 7 पोते-पोतियाँ है और 5 पड़पोते-पड़पोतियाँ हैं , कहती हैं कि आजकल मँहगाई के जमाने में उनकी उम्मीदें भी बढ़ती जा रही हैं। वे सबको 200-200 युआन हुँग पाओ के रुप में देती हैं। वहीं 42 वर्षीय सेल्स एक्जिक्युटिव मार्गेट बोंग का कहना है कि आजकल त्योहार की खुशियाँ मनाना मँहगा सौदा हो गया है। इसलिए बहुत सारे लोग आजकल अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ त्योहार मनाने की बजाए बाहर कहीं छुट्टियों पर चले जाते हैं। तो वहीं कुछ ऐसे हैं जो समाज की नुक्ताचीनी से बचने के लिए और अपनी झूठी शान बनाए रखने के लिए हैसियत से ज्यादा हुंग पाओ दे रहे हैं। वहीं ट्यूशन सेंटर के संस्थापक जैक्सन अंग का कहना है कि मैं अपने ऐसे कुछ दोस्तों को जानता हूँ जो अपना मान रखने के लिए हुंग पाओ में बड़ी-बड़ी रकम देते हैं। एक दोस्त ने तो रिश्तेदारों के बीच मज़ाक का मुद्दा बनने से बचने के लिए लोन तक लिया ताकि वह सबको 50-50 युआन हुंग पाओ के रुप में दे सके। मुझे लगता है इससे ज्यादा मूर्खतापूर्ण बात क्या हो सकती है। जैक्सन ने कहा।

जितनी समर्थता हो उतना ही देना चाहिए। अगर यह आपके बजट में नहीं है तो मत दीजिए नहीं तो आप कर्जे के बोझ तले दबे रहेंगे। वहीं पाल और जैनिस जिनकी अभी-अभी शादी हुई है, वे भी हुंग पाओ के खर्चे का बोझ उठाने का दबाव महसूस कर रहे हैं। क्योंकि दिसंबर में अपनी शादी पर वे काफी खर्चा कर चुके हैं और कम समय में सिर पर पड़ा ये दूसरा खर्चा उठाना उन्हें भारी पड़ रहा है। उसके अलावा घर, गाड़ी और रोज़मर्रा के खर्चे तो वैसे ही चालू हैं। उन्होंने कहा हालांकि अपनी शादी के दौरान हमने उन्हें हुंग पाओ दिए थे। मेरी बस एक ही चिंता है कि उन्हें याद होगा कि शादी के समय उन्हें कितने पैसे मिले थे और अब वे उतने की ही अपेक्षा करेंगे। वहीं,35 वर्षीय जैसेन मोक ने कहा कि हुंग पाओ देना अपने आप में सौभाग्य है। मुझे ऐसा करते हुए बहुत खुशी होती है। यहाँ मान-प्रतिष्ठा बीच में नहीं आनी चाहिए लेकिन आप जितना दे रहे हैं, उससे आपकी आर्थिक स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मुझे लगता है लोगों को यहाँ देने वाले की भावना की कद्र करनी चाहिए न की लिफाफे में कितने पैसे हैं, उसकी। वहीं वकील सेन्ड़्रा इसे बोझ नहीं समझती। उनका कहना है कि बच्चों के लिए ये आशीर्वाद और माता-पिता के लिए हुँग पाओ का मतलब दीर्घ आयु होता है। 38 वर्षीय जोऑन थैम, मानती हैं कि जब वे छोटी बच्ची थीं तब दो-दो युआन देने वालों को वो कंजूस या चीप मानती थी। लेकिन अब जब वह खुद पैसे कमाती हैं तो मेहनत की कमाई का मोल अच्छे से जानती हैं। वहीं 56 वर्षीय बिजनिस वुमन पंग येन लिन, का कहना है कि उन्हें आज भी याद है कि जब वे बच्ची थी तो उन्हें 1970 के दौरान गोल्डन कागज़ में लिपटे चॉकलेट के गोल सिक्के मिलते थे। जो आज भी बाज़ार में दिखते हैं। तब हम में से कोई भी नाराज़ या उदास नहीं होता था कि हमें क्या मिला है। हम तो बस ये देखकर खुश होते थे कि हमें कुछ मिला है। अब समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है। अगर अब आप चॉकलेट के साथ किसी जानकार के भी बच्चे को 5 युआन से कम देते हैं तो वे सोचते हैं कि कितना कंजूस है देने वाला। लेकिन वहीं मेडिकल की छात्रा साराह जैसे लोग भी हैं जिनका मानना है कि अपने परनाना से मिले 1 युआन भी 100 युआन के बराबर हैं उनके लिए। मेरे परनाना 96 साल के हैं और इस उम्र में कोई पैसे नहीं कमाता। उनका प्यार मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है। हममम.....यह दुनिया गोल है और इस गोल दुनिया में मिलते हैं भांति-भांति के लोग। सच में प्यार की कोई कीमत नहीं होती। ना ही प्यार को पैसों में तोलना चाहिए।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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