पेइचिंग पहुंचने की शुरूआत में सुश्री च्यांग को पूरे दिन में काम करने के बाद अपने घर वापस जाने के बाद भी मन में चिंता रहती थी कि आन ह्वी प्रांत के अपने घर में उनके बच्चे कैसे होंगे ?सुश्री च्यांग का कहना है कि उसी समय उन्होंने शहर में काम किया, लेकिन उनका दिल फिर भी घर में अपने बच्चों के साथ है। इसलिए उन्हें लगता है वह पेइचिंग वासी नहीं है।
पेइचिंग में काम करने के 13 वर्षों बाद सुश्री च्यांग को लगता है कि उन्हें शहर में काम करने के समय सम्मान मिला था। 13 वर्षों तक उन्हें ये सुअवसर मिलता रहा। 2 साल पहले के मुकाबले अब उनका वेतन 30 प्रतिशत अधिक हो गया है। हर त्यौहार में उन्हें और ज्यादा काम मिल जाता है। उनकी हाउस्कीपिंग कंपनी ने उनके लिए बीमा खरीदा।
अब सुश्री च्यांग के दो बच्चे भी पेइचिंग में उनके साथ रहते हैं। पेइचिंग में बच्चों ने सुचारू रूप से प्राथमिक स्कूल और जूनियर मिडिल स्कूल में शिक्षा पाई। देश के नियम के अनुसार उनके दोनों बच्चों को शिक्षा पाने के लिए पेइचिंग के स्थानीय बच्चों से ज्यादा पैसा नहीं दिया जा सकता है। देश में नई कृषि नीति लागू होने के बाद आन ह्वी प्रांत के गांव में सुश्री च्यांग को अपने खेतों से भी ज्यादा आय मिल जाती है।
सुश्री च्यांग ने कहा कि आन ह्वी के गांवों में अन्य लोग मेरे खेत में काम करते हैं और हमें कृषि कर-वसूली देने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा एक एकड़ की भूमि में हमें 15 से 20 य्वान भी मिल सकता है।
वर्तमान में शहरों और कस्बों में काम करने वाले किसानों की संख्या 26 करोड़ 30 लाख है। वे लोग चीन के सामाजिक विकास के लिए बहुत योगदान देते हैं और देश के शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण शक्ति भी। लेकिन ऐतिहासिक कारण से शहरों और कस्बों में काम करने के लिए सबसे पहले किसानों के सामने यह सवाल पैदा होता है कि श्रम और प्रतिभूति के लिए कानून की स्थापना और कुछ कानूनों और नियमों में इस तरह के किसानों पर लगाया गया प्रतिबंध, जिससे शहरों और कस्बों में काम करने वाले किसानों के कानूनी अधिकार और हितों की गारंटी नहीं की जा सकती है।