उन्होंने कहा:
"पहले हम यहाँ समान खरीदने के लिए आते थे। सामान का आर्डर दे देने के बाद उसकी लदाई करवाते थे, फिर उसके बाद दुबारा सीमा शुल्क प्रणाली से गुजरना होता था। सभी पहलूओं को खुद से प्रबंध करना होता था। सेहतमंद जवान लोग कई वस्तुओं को उठा सकते थे, पर बूढ़े लोग नहीं कर पाते। अब एक जैसा नहीं है। यदि बाज़ार में कोई चीज़ पसंद आयी हैं और उसकी कीमत की बात तय करो, तो फैक्ट्री वाले तुम्हारी जरुरत के अनुसार मात्रा को सीधे तुम्हारे गंतव्य स्थान पर पहुंचवा देते हैं। इससे पहले के मुताबिक समय बचता हैं और काफ़ी सुविधाजनक भी हैं।"
आज के दिनों में मोहम्मद ताराकाई का व्यापार न केवल बैगों, जूते, कैप आदि का हैं बल्कि उनका व्यापार और विस्तृत हो कर मशीनों का निर्यात और पूर्वी यूरोप के निवेश व्यापार में परामर्श आदि तक हो गया हैं। भविष्य में उनका इरादा पूछे जाने पर उन्होंने बहुत ही आत्मविश्वास के साथ बताया कि उनका ध्यान आकर्षण अभी भी चीन में ही हैं। मोहम्मद ताराकाई का कहना है:
"अगर मेरी बात की जाए तो यह मेरा दूसरा घर हैं। मैं अक्सर चीन आता जाता रहता हूँ। न सिर्फ अपने कामकाज के सिलसिले से बल्कि यहाँ मेरे बहुत मित्र भी हैं। मैं अपने घरवालों को चीन लाकर हर जगह की सैर करवाऊँगा।"
एक अफगानी होने के नाते मोहम्मद ताराकाई का चीन के प्रति बहुत ही गहरी भावना जुड़ी हैं। उन्होंने अपने पिछले 30 वर्षों में चीन के आर्थिक व सामाजिक विकास को व्यक्तिगत अनुभव के साथ देखा हैं। उन्होंने बताया कि चीन के विकास से उनके जीवन का भाग्य बदल गया है, और साथ ही पड़ोसी देशों और क्षेत्रों के लोगों को भी अवसर मिला है।