आर्ट कॉलेज व चर्च के बाद हम उन जगहों पर गए जहां कभी माओ त्से दोंग, चाओ इन लाय समेत कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बड़ी सादगी से रहा करते थे। यहां पर मौजूद हैं उनके द्वारा इस्तेमाल की गई जरूरी चीजें, बिस्तरा व रेडियो आदि, साथ ही दीवारों पर टंगी हैं कई तस्वीरें, जिनमें क्रांति के उस दौर का वर्णन है। लंबा समय बीतने के बावजूद चीनी क्रांति के इन महान नेताओं से जुड़े सभी दस्तावेज पूरी तरह सुरक्षित हैं। चेयरमेन माओ का रेडियो, पेन और उनके व्यक्तिगत जीवन से संबंधित कई वस्तुओं को देखकर इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
इसके पश्चात् उस स्थान पर गए, जो कि क्रांति के दौरान तमाम समाचार पत्र-पत्रिकाओं का प्रमुख हाउस था, जिसमें सिंहुआ न्यूज एजेंसी, लिबरेशन डेली, पार्टी न्यूज़ पेपर, पार्टी की केंद्रीय कमेटी का प्रकाशन विभाग शामिल है, जिनके ज़रिए मार्क्सवाद व लेनिनवाद का वास्तविक रूप लोगों तक पहुंचाया जाता था। इसके साथ-साथ पार्टी के दिशा-निर्देश व नीतियों का प्रचार भी किया जाता था। यहां पर उस वक्त के चुनिंदा समाचार पत्रों का संग्रह भी मौजूद है, जिनमें 1936 में पार्टी के समाचार पत्रों व जर्नल्स के बेहतर प्रबंधन के लिए चांग वन थ्यान के नेतृत्व में पार्टी न्यूज पेपर कमेटी गठित हुई। न्यूज पेपर व दस्तावेज इस बात के गवाह हैं कि कि नए चीन के निर्माण में इनका कितना अहम रोल था। इतिहास के पन्नों की तरह ये दस्तावेज हमें उस दौर में ले जा रहे थे, जब लाल सेना लांग मार्च पूरा कर चुकी थी। और कम्युनिस्ट पार्टी में माओ की भूमिका या यूं कहें कि कद ऊंचा होता जा रहा था तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
वहीं पर हमें एक और जानकारी मिली, सिंहुआ न्यूज एजेंसी के बारे में, शायद बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि सिंहुआ को पहले रेड चायना न्यूज़ एजेंसी(नवंबर 1931 को च्यांगशी में स्थापित) के नाम से जाना जाता था, लेकिन जनवरी 1937 में इसे बदलकर सिंहुआ न्यूज एजेंसी कर दिया गया। शुरुआती दौर में सिंहुआ में बहुत कम कर्मचारी हुआ करते थे, ऐसे में वे न्यू चायना न्यूज पेपर के स्टाफ के साथ मिलकर काम करते थे। जबकि 1939 में सिंहुआ को एक स्वतंत्र संस्थान के रूप स्थापित करने का निर्णय लिया गया। कम्युनिस्ट पार्टी के साथ-साथ सिंहुआ(रेड चायना एजेंसी) का सेंटर भी बदलता रहता था, पहले 1935 में च्यांगशी से उत्तरी सानशी, फिर पाउ आन से यान आन सिटी में अलग-अलग स्थानों पर, वर्ष 1947 में हबेई प्रांत के श स्यान काउंटी और बाद में हबेई में ही फिंग शान काउंटी, आखिर में मार्च 1949 में सिंहुआ एजेंसी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी(सीसीसीपीसी) के साथ पेकिंग यानी पेइचिंग में आ गयी। और फिर धीरे-धीरे उत्तर चीन की कई जगहों पर उसकी शाखाएं खुली।