अफगानिस्तान अगले महीने के तीसरे हफ्ते में लोया जिरगा यानी राष्ट्रीय असेंबली का सम्मेलन आयोजित करेगा, जो 4 से 7 दिन चलेगा। अफगान सरकार ने 19 अक्तूबर को इसकी घोषणा की। आयोजकों ने सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तालिबान के नेता समेत अफगानिस्तान के विभिन्न लोगों का स्वागत किया। उसी समय कबीलों के सरदार और सामाजिक जगतों के जाने-माने व्यक्ति करीब 3000 लोग राजधानी काबुल में अफगान-अमेरिका सुरक्षा समझौते को पारित करने या न करने पर विचार-विमर्श करेंगे।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान और अमेरिका ने पिछले नवंबर से द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर वार्ता शुरू की। 12 अक्तूबर को अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई और यात्रा पर गए अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। दोनों पक्षों ने कहा कि सुरक्षा समझौता संपन्न करने पर कुछ सहमति हासिल की गई है। लेकिन भविष्य में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के ठिकानों की संख्या और तैनाती के तरीके आदि मुख्य मुद्दों पर दोनों पक्षों ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। करजई ने कहा कि समझौते में अहम मुद्दों को अफगान राष्ट्रीय असेंबली में विचारार्थ करने के लिए पेश करना पड़ेगा।
नाटो योजनानुसार अफगानिस्तान से सेना हटा रहा है। अफगानिस्तान में तैनात सैनिकों की संख्या 87000 है, जिनमें 52000 अमेरिका से हैं। अमेरिका आशा करता है कि 2014 के बाद भी अफगानिस्तान में 5000 से 10, 000 सैनिक तैनात रहेंगे। अगर द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता संपन्न नहीं होता, तो पहले के समझौते के अनुसार अमेरिकी सेना अगले साल के अंत में सभी सैनिकों को हटा लेगी।
(ललिता)