सन् 1912 में आविष्कारों ने नेत्रहीन लोगों के लिये यह मशीन डिज़ाइन किया था, जिसे रोशनी की परस्पर प्रतिक्रिया करने के बाद आवाज़ प्रेरित कर सकता था।