चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन(सीपीपीसीसी) के सदस्य, चीनी विज्ञान अकादमी में तिब्बती पठार अनुसंधान संस्थान के निदेशक याओ तानतोंग ने 7 मार्च को संवाददाता से साथ साक्षात्कार में कहा कि दक्षिण एशिया क्षेत्रों से निष्कासित कार्बन के कारण तिब्बती पठार की हिमनदियां बहुत तेज़ी से पिघल रही हैं।
50 हजार किलोमीटर के क्षेत्र में फैले तिब्बत के पठार के ग्लेशियर, पूरे देश की हिमनदियों का 80 प्रतिशत हिस्सा हैं। पिछले 20 वर्षों से तिब्बती पठार की हिमनदियाँ बहुत तेज़ी से पिघल रही हैं।
हिमनदियों के पिघलने की त्वरित गति के साथ लोगों को पर्यावरणीय दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है जिसमें नदियों के जलस्तर बढ़ने का खतरा है और बाढ़ जैसे अन्य विनाशकारी परिमाण झेलने होंगे।
याओ तान तोंग का यह मानना है कि कार्बन ही हिमनदियों के पिघलने का मुख्य कारण है। हर साल सर्दियों व वसंत ऋतु में दक्षिण एशिया क्षेत्रों में औद्योगिक उत्पादन के कारण उत्सर्जित अत्यधिक कार्बन व प्रदूषण के साथ-साथ भारत से आने वाली समुद्री हवाएँ जब तिब्बती पठार पहुंचती है तो क्षेत्रीय जलवायु,पर्यावरण,कृषि व मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं।
अंजली