भारतीय सरकार ने 28 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2013-2014 का बजट पेश किया, साथ ही इस पर ज़ोर दिया कि इस बजट का मकसद है आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
इस वित्तीय वर्ष में भारत का बजट 166 खरब 50 अरब रूपए हैं, जो मौजूदा वित्तीय वर्ष के 143 खरब रूपए से अधिक है। इस वित्तीय वर्ष में भारतीय सरकार का जीडीपी में घाटा 5.2 प्रतिशत रहा, नए वित्तीय वर्ष में इसे 4.8 प्रतिशत तक नियंत्रित करने की योजना है। साथ ही भारतीय सरकार इस वर्ष मानव संसाधन विकास, प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल में दोपहर के भोजन में सब्सिडी, खाद्य सुरक्षा आदि क्षेत्रों में पूंजी ज्यादा लगाएगी।
भारतीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने संसद में कहा कि वर्तमान में वैश्विक आर्थिक हालात ठीक नहीं है, भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। वे हैं वित्तीय घाटा, आर्थिक विकास में कम वृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति दर। उनका मानना है कि ज़्यादा विदेशी निवेश आकर्षित करना वित्तीय घाटे को कम करने का सही रास्ता है।
उधर विश्लेषकों का मानना है कि भारत की क्रेडिट रेटिंग कम करने की आशंका और अगले साल आम चुनाव में ज़्यादा मत हासिल करने की उम्मीद से भारतीय सरकार ने नए बजट में इजाफा किया।
(दिनेश)