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तिब्बती बौद्ध भिक्षु व भिक्षुणियां सामाजिक बीमा से लाभांवित
2012-11-16 10:13:53

तिब्बत में पोटाला मेहल, जोखान मठ, ड्रेपुंग मठ और सेरा मठ आदि बड़े व छोटे तिब्बती बौद्ध धर्म के करीब 1800 मठ होते हैं, जिन में 46 हज़ार भिक्षु और भिक्षुणियां रहते हैं। शायद हमें लगता है कि भिक्षु व भिक्षुणी तपस्या करते हैं और वे भौतिक जीवन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजकल तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षु और भिक्षुणियां आम नागरिकों की तरह सामाजिक बीमा व्यवस्था में शामिल किए जा चुके हैं।

"कुछ दिन पहले, एक भिक्षु ने खुशी के साथ मुझे फ़ोन किया था कि स्वायत्त प्रदेश ने उनके लिए एक विशेष बीमा नीति अपनाई, जिसका नाम है दुर्घटना चोट बीमा। यह मुफ्त बीमा है, अगर बाद में साइकिल चलाते समय गिर कर चोट आई, तो हम बीमा का इस्तेमाल कर सकते हैं।"

उक्त बात तो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में भाग लेने वाली तिब्बत की प्रतिनिधि आ-मेई का कहना है। वे नाछ्यु प्रिफैक्चर की पाछिंग कांउटी के लाशी कस्बे की पार्टी समिति की सचिव है, और साथ ही स्थानीय मठ का प्रबंधन कार्य संभालती हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि नवम्बर के शुरू से ही तिब्बत सरकार ने प्रदेश के सभी शहरी एवं देहाती लोगों को दुर्घटना संबंधी बीमा में शामिल कर लिया है। खास बात यह है कि तिब्बती बौद्ध-भिक्षुओं को भी यह सुविधा मिली है। आ-मेई लाशी कस्बे में स्थित लू-बू नामक एक मंदिर के कामकाज की देखरेख करती हैं। उन्होंने कहा कि यह मंदिर तिब्बत के मूल धर्म"बोन"का है और उसमें रहने वाले बौद्ध-भिक्षुओं ने बीमा कराने की सरकार के कदम की प्रशंसा की।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में इस साल के शुरू में बौद्ध-भिक्षुओं की सामाजिक बीमा में भागीदारी संबंधी अधिनियम लागू होना शुरू हुआ। इसके अनुसार मंदिरों में रहने वाले 18 वर्ष की या इससे अधिक उम्र के सभी बौद्ध भिक्षु व भिक्षुणियां सदिच्छा से दुर्घटना संबंधी बीमा की सुविधा ले सकते हैं और सामाजिक बीमा एवं चिकित्सा बीमा में भाग ले सकते हैं। सामाजिक बीमा और चिकित्सा बीमा के लिए लगातार 15 सालों तक पैसा खर्च करने के बाद वे 60 वर्ष की उम्र से पैंशन लेना शुरू कर सकते हैं। वर्तमान में उन्हें चिकित्सा बीमा के लिए हर साल व्यक्तिगत तौर पर केवल 60 युआन खर्च करने होते हैं, बाकी आवश्यक 220 युआन का खर्च सरकार उठाती है।

आ-मई ने कहा कि अतीत में बौद्ध-भिक्षु का सब कुछ मंदिर की आय और श्रद्धालुओं के दान पर निर्भर रहता था। अब सामाजिक प्रतिभूति-व्यवस्था का वे भी एक हिस्सा बन गया है। यह उनके लिए एक बहुत अच्छी बात है। इससे बौद्ध-भिक्षु व भिक्षुणियां अपने भावी जीवन के लिए निश्चिंत हो गए हैं। यह तिब्बत के मंदिरों के इतिहास में अभूतपूर्व है और भिक्षुओं व भिक्षुणियों के कल्पना के बाहर था। इसकी चर्चा में आ-मई ने कहा:"पहले कुछ भिक्षुओं का जीवन बहुत गरीब था, कभी बीमार होने पर अस्पताल जाना भी मुश्किल था। अगर बीमार होता, तो डॉक्टर नहीं देखता। लेकिन चिकित्सा बीमा में शामिल होने के बाद बीमार होने के तुरंत बाद भिक्षु हमें फोन कर अपनी शारीरिक स्थिति बताकर अस्पताल में जाने को कहता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद वे लगन से तपस्या कर सकते हैं और कोई चिंता नहीं होती।"

सूत्रों के अनुसार तिब्बत में बौद्ध भिक्षुओं व भिक्षुणियों को न्यूनतम जीवन-स्तर सुरक्षा-व्यवस्था से भी लाभ मिला है। नियम के अनुसार अब मंदिरों में रहने वाले हरेक बौद्ध-भिक्षु के जीवन सुरक्षा का न्यूनतम स्तर प्रति महीने 400 य्वान का है। अगर वह मंदिर में काम करने से प्रति माह केवल 260 य्वान की कमाई करता, तो सरकार उसे भत्ते के रूप में 140 य्वान देती, जिससे उसका जीवन 400 युआन के मापदंड पर पहुंच जाए।

ल्हासा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी है। उसकी पार्टी-कमेटी और सरकार ने बौद्ध भिक्षुओं व भिक्षुणियों की सामाजिक बीमा व्यवस्था में भागीदारी को बढाने ही नहीं, बल्कि उनके जीवन स्तर को उन्नत करने की भी कोशिश की हैं। सीपीसी की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में भाग लेने वाले ल्हासा की पार्टी-कमेटी के सचिव छी ज़ाला ने जानकारी देते हुए कहा:"तिब्बत में हरेक ऐसे मंदिर में, जहां 20 या 20 से ज्यादा बौद्ध-भिक्षु रहते हैं, एक भोजनालय, एक ग्रीन हाउस, एक स्नान-गृह और एक कचरा-तालाब बनाए गए हैं। प्रत्येक मंदिर में एक चिकित्सक भी तैनात हैं। अब यह सब सुविधाएं ल्हासा के बड़े व छोटे मंदिरों में उपलब्ध हो गए हैं।"

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में बौद्ध भिक्षुओं व भिक्षुणियों की जीवन गुणवत्ता को उन्नत करने के साथ साथ स्थानीय पार्टी समिति और सरकार व्यापक क्षेत्रों पर भी सोचविचार करते हैं। इधर के सालों में बुनियादी संस्थापनों के निर्माण, मठों में पेय जल, बिजली, सड़क, टेलिफ़ोन, इन्टरनेट, रेडियो और टेलीविज़न आदि सुविधाएं भी उपलब्ध हो गए। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं राष्ट्रीय अधिवेशन में तिब्बत की पार्टी-कमेटी के स्थाई सदस्य लोसांग ग्याल्ट्सेन ने भी पार्टी-प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। उन्होंने कहा कि उक्त कदम तिब्बती बौद्ध धर्म के मठों के अच्छी तरह प्रबंधन व सेवा के लिए है, ताकि सारे प्रदेश के धार्मिक व्यक्तियों व अनुयायियों को ज्यादा वातावरण तैयार कर सके। उन्होंने कहा:"हमारी स्थानीय सरकार ने मंदिरों के लिए सड़क, बिजली और पानी की समस्याओं को दूर किया है। आइंदे हम सभी बौद्ध भिक्षुओं व भिक्षुणियों को मुफ्त मेडिकल टेस्ट की सेवा दी गई, व्यापक बौद्ध भिक्षु व भिक्षुणियां सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था में शामिल होकर उनकी जीवन गुणवत्ता बड़ी हद तक उन्नत हुई। हमारा लक्ष्य है कि मठ के भिक्षु व भिक्षुणियां समान रूप से सामाजिक अधिकारों, सामाजिक प्रगति और सुधार एवं खुलेपन के कार्य में प्राप्त उपलब्धियों का बराबरी से उपभोग कर सकेंगे, ताकि वे एक बहतीरन वातावरण धार्मिक तपस्या कर सके।"

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