इधर के दिनों में तिब्बत की राजधानी ल्हासा के विभिन्न स्कूलों में संगोष्ठियों व चित्र प्रदर्शनियों के जरिए भूदास मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है, जिससे छात्र-छात्राएं बहुत प्रभावित हुई। एक प्राइमरी स्कूल के छात्र तानजङ तात्से ने का कहना है:
"भूदासों के बच्चे जन्म लेने के बाद से ही मालिक के भूदास बन जाते थे। हमें आज के जीवन को मूल्यवान समझना चाहिए। हम मेहनत से पढ़ेंगे और भविष्य में मातृभूमि के लिए अपना योगदान देंगे। "