ऊर्जा संकट गहराते ही वित्तीय संकट का सामना कर रहे यूरोपीय देश

2022-11-24 16:48:25

रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से, यूरोपीय संघ ने अमेरिका के नक्शेकदम पर चलते हुए रूस पर कई दौर के प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन प्रतिबंधों की प्रतिक्रिया ने यूरोपीय देशों में ऊर्जा आपूर्ति को कड़ा कर दिया है और ऊर्जा की कीमतों को बढ़ा दिया है। कई यूरोपीय देश आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

जर्मनी की संसद “जर्मन बुंडेस्टैग” से इस 25 नवंबर को कुल 476 अरब यूरो का सरकारी बजट पारित होने की उम्मीद है। ऊर्जा संकट से प्रभावित, वर्ष 2023 में जर्मनी का नया शुद्ध ऋण 45.6 अरब यूरो तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले अनुमान के अनुसार 17.2 अरब यूरो से कहीं अधिक है।

जर्मन वित्त मंत्री लिंडनर ने बार-बार जोर देकर कहा कि वर्ष 2023 में जर्मनी जर्मन संविधान में "ऋण ब्रेक" खंड को फिर से लागू करेगा। जर्मन संविधान के अनुसार, जर्मनी का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 0.35 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता, जब तक कि विशेष आर्थिक परिस्थितियां उत्पन्न न हों।

महामारी के प्रकोप के बाद, जर्मनी ने उपरोक्त शर्तों के अनुपालन को निलंबित करते हुए, वर्ष 2020 में एक आर्थिक बचाव पैकेज शुरू किया। "ऋण ब्रेक" पर लौटने के अपने वादे का उल्लंघन करने से बचने के लिए, जर्मन सरकार ने नियमित बजट से अलग एक "विशेष निधि" की स्थापना की। इसमें सैन्य आधुनिकीकरण के लिए 100 अरब यूरो और ऊर्जा सब्सिडी पैकेज के लिए 200 अरब यूरो शामिल हैं।

स्थानीय समयानुसार 22 नवंबर को इटली के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2021 से सितंबर 2022 तक, इटली का "चालू खाता" घाटा 9.1 अरब यूरो था। इटली के केंद्रीय बैंक ने बताया कि इटली का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार 69.6 अरब यूरो के अधिशेष से 9.9 अरब यूरो के घाटे में तेजी से गिर गया। इसका मुख्य कारण ऊर्जा वस्तुओं की ऊंची कीमत है।

ऊर्जा सब्सिडी के कारण डच सरकार के बजट में लगभग 7.5 अरब यूरो का अंतर बनेगा। स्थानीय समय के अनुसार 22 नवम्बर को डच मीडिया के मुताबिक, एक दिन पहले डच वित्त मंत्री सिग्रिड काग ने डच प्रतिनिधि सभा को सरकार का शरद बजट ज्ञापन सौंपा और कहा कि व्यवसायों और लोगों को ऊर्जा संकट से निपटने में मदद करने के लिए डच सरकार द्वारा उठाए गये उपायों की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप से लगभग 7.5 अरब यूरो का सरकारी बजट अंतर बनेगा। अगर ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि जारी रही, तो यह अंतर आगे बढ़ जाएगा।

(हैया)

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