चीन के प्राचीन वाक्यों में छिपा हुआ है सहनशीलता का ज्ञान

2022-11-14 15:41:54

हर वर्ष के 16 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय सहनशीलता दिवस मनाया जाता है। एक साल में कम से कम एक बार विश्व के विभिन्न देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों का ध्यान सहनशीलता पर आकर्षित होता है, और इस बारे में योगदान दिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय सहनशीलता दिवस यह जागरूकता बढ़ाता है कि शांति, लोकतंत्र और अनवरत विकास प्राप्त करने के लिए सहनशीलता एक आवश्यक शर्त है।

यूनेस्को द्वारा इस दिवस की स्थापना करने का उद्देश्य यह है कि विविध समाज में हमें सहनशीलता से जुड़ी शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना चाहिये, ताकि सभी लोग सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण ढंग से एक साथ जीवन बिता सकें। वास्तव में वर्ष 1945 में पैदा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रस्तावना में यह कहा गया था कि लोगों को सहनशीलता पर कायम रहना चाहिये, अच्छे पड़ोसी जैसे संबंधों को निभाना चाहिये, और सामंजस्य से जीवन बिताना चाहिये।

गौरतलब है कि चीन के कई प्राचीन वाक्यों में भी सहनशीलता की बुद्धि छिपी हुई है। उदाहरण के लिये चीन के कन्फ़्यूशियसवाद की प्रसिद्ध क्लासिक पुस्तक एनालेक्ट्स में यह लिखा हुआ है कि आप जो करना पसंद नहीं करते, उसे दूसरों पर न थोपें। इस वाक्य में चीनी लोगों के मानवीय संबंधों से निपटने में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रकट किया गया है।

और एक वाक्य यह है कि आदमी भगवान नहीं है, इसलिये कोई व्यक्ति गलत काम करने से नहीं बच सकता। इसका मतलब यह है कि हमें अपने आप, अपने दोस्त, अपने समाज यहां तक कि अपने दुश्मन को माफ़ करने की क्षमता होनी चाहिए। हालांकि हकीकत में कई खामियां हैं, फिर भी जीवन आगे बढ़ रहा है। इसलिये कृपया अपनी सारी ऊर्जा उन लोगों से प्यार करने में खर्च करें जिन्हें आप प्यार करते हैं और जो आपसे प्यार करते हैं।

इनके अलावा और एक वाक्य ऐसा है कि लोगों को उतना ही व्यापक होना चाहिए जैसे कि समुद्र अनगिनत नदियों को अपने अंदर समा सकता है। यह बात लिन जेशू ने कही थी, जो चीन के छिंग राजवंश में एक राजनीतिज्ञ, लेखक, विचारक और राष्ट्रीय नायक हैं। यह कहा जा सकता है कि सहनशीलता की भावना प्राचीन समय से आज तक चीनी समाज में कायम है।

चंद्रिमा

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