सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत दुनिया को चीनी सभ्यता दिखाते हैं

2022-11-11 12:56:53

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 16 नवंबर, 1972 को विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण की संधि पारित की। इसमें निर्धारित किया गया है कि सभी सदस्य देश खुद को अपनी भूमि में मौजूद सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत तय कर सकता है और विश्व धरोहर समिति को विरासत सूची प्रस्तुत कर सकता है। विश्व धरोहर समिति इसकी समीक्षा करती है। जो भी स्थल विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के रूप में निश्चित किया जाता है, इसकी रक्षा उस देश को करने की जिम्मेदारी है, जहां वह स्थल मौजूद है। इस साल विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण की संधि के पारित होने की 50वीं वर्षगांठ है।

चीन वर्ष 1985 में विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण की संधि में शामिल हुआ। अब तक चीन में 14 विश्व प्राकृतिक विरासत और 4 प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत मौजूद हैं, जो दोनों दुनिया के पहले स्थान पर हैं। प्राकृतिक विरासत की सुंदरता पारिस्थितिक सभ्यता को दिखाती है।

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत मानव सभ्यता के विकास और प्रकृति के विकास व परिवर्तन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो विभिन्न सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान बढ़ाता है। इस मूल्यवान संपत्ति की अच्छे से रक्षा, विकास और प्रयोग हमारी समान जिम्मेदारी है और विश्व अनवरत विकास की आवश्यकता है।

शी चिनफिंग ने घरेलू दौरे के दौरान कई बार सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासतों की रक्षा पर जोर दिया। पेइचिंग की निरीक्षण यात्रा में उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक संस्कृति शहर की आत्मा है। अपनी जान की तरह शहर में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करनी चाहिए। शीआन के दौरे के दौरान शी चिनफिंग ने कहा कि चीनी राष्ट्र की पारंपरिक संस्कृति से जमे सांस्कृतिक अवशेष की अच्छे से रक्षा करनी चाहिए। फूच्येन प्रांत के वुह्वीशान राष्ट्रीय पार्क में शी चिनफिंग ने कहा कि पारिस्थितिक संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए संरक्षण और विकास का साथ में बढ़ाना चाहिए, ताकि पारिस्थितिक संरक्षण, हरित विकास और जन जीवन में सुधार का मिश्रित विकास हो सके।

सभ्यता विविध होने के कारण आदान-प्रदान करती है और आदान-प्रदान के माध्यम से एक दूसरे से सीखती है, फिर पारस्परिक शिक्षा के माध्यम से विकसित होती है। दुनिया रंगीन है। शांतिपूर्ण अस्तित्व से समान विकास और समान समृद्धि होगी। चीन विभिन्न देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आपसी समझ बढ़ाना चाहता है।

(ललिता)

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