फ़ॉकलैंड द्वीप की संप्रभुता पर ब्रिटेन को अर्जेंटीना के साथ बातचीत करनी चाहिए

2022-11-08 14:43:19

ब्रिटिश विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने हाल ही में बताया कि ब्रिटेन और मॉरीशस ने चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता के बारे में बातचीत करने का फैसला किया है और उम्मीद जतायी है कि अगले साल की शुरुआत में एक समझौता हो जाएगा। इसे संप्रभुता के प्रश्न को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। लेकिन अगर ब्रिटेन चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता पर बातचीत करना चाहता है, तो उसे अर्जेंटीना के साथ फ़ॉकलैंड द्वीप की संप्रभुता के बारे में भी बातचीत करनी चाहिए, और उसे नहीं भूलना चाहिए कि उसने फ़ॉकलैंड द्वीपों पर अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है।

चागोस द्वीपसमूह हिंद महासागर के मध्य में स्थित है, जो मॉरीशस की भूमि थी। साल 1965 में, मॉरीशस की स्वतंत्रता की अतिरिक्त शर्तों के रूप में, ब्रिटेन ने द्वीप को अलग कर दिया और इसे हिंद महासागर में ब्रिटिश भूमि बना दिया और दावा किया कि इसे उचित समय पर वापस कर दिया जाएगा। साल 1968 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, मॉरीशस ने लंबे समय से ब्रिटेन से चागोस द्वीपसमूह की वापसी की मांग की है। लेकिन ब्रिटेन ने इस सवाल से परहेज किया और विभिन्न तरीकों से द्वीप पर बसे नागरिकों को निकाला और वहां अमेरिकी सैन्य अड्डे के निर्माण का समर्थन किया।

चागोस द्वीपसमूह का इतिहास बहुत स्पष्ट है। इसलिए मॉरीशस की न्यायसंगत मांग को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन मिला है। अब ब्रिटेन ने कहा है कि वह मॉरीशस के साथ बातचीत के लिए तैयार है। यह प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का कार्यान्वयन है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा उपनिवेशवाद के विरोध में नई प्रगति भी है। आज दुनिया में 17 क्षेत्र औपनिवेशिक शासन के अधीन हैं, जिनमें से 10 ब्रिटेन के अधीन हैं। ब्रिटेन को न सिर्फ मॉरिश्यस के साथ यथाशीघ्र ही चागोस द्वीपसमूह के प्रश्न को संबोधित करना चाहिए, बल्कि अर्जेंटीना की मांग पर सक्रिय प्रतिक्रिया देते हुए फ़ॉकलैंड द्वीप को भी लौटाना चाहिए। (वेइतुंग)

रेडियो प्रोग्राम