निरंतर बढ़ती अमेरिकी ब्याज दर से वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ेगा

2022-11-03 17:02:00

 

3 नवंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 75 आधार अंकों की वृद्धि करने की घोषणा की। यह फेडरल रिजर्व द्वारा 75 आधार अंकों की लगातार चौथी वृद्धि है और इस साल अमेरिका में छठी बार ब्याज दर में इजाफा किया गया है। इस कदम ने दुनिया भर में व्यापक चिंता पैदा कर दी है। चाइना मीडिया ग्रुप ने चीन के रनमिन यूनिवर्सिटी के राष्ट्रीय प्रशासन व जनमत पारिस्थितिकी अनुसंधान संस्थान के साथ दुनिया भर के 100 अर्थशास्त्रियों का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के अनुसार अमेरिका द्वारा निरंतर ब्याज दर को बढ़ाने से वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ेगा और 90 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है इससे मुद्रास्फीति संबंधी मंदी का खतरा बढ़ रहा है, और 94 प्रतिशत लोगों का मानना है कि निरंतर बढ़ती ब्याज दर से विकासशील देशों के प्रति ऋण जोखिम में वृद्धि होगी।

पिछले एक साल में फेडरल रिजर्व ने दर में लगातार बढ़ोतरी के लिए मुद्रास्फीति को दोषी ठहराया है। वह मानता है कि मुद्रास्फीति अस्थायी है, लेकिन सर्वेक्षण में शामिल केवल 15 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों ने फेडरल रिजर्व के बयान पर सहमति जतायी। सर्वेक्षण में शामिल 57 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मुद्रास्फीति का मुख्य कारण बार-बार मात्रात्मक ढीली मौद्रिक नीति और अधिक मुद्रा जारी करना है। सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों के मुताबिक अमेरिका द्वारा चीन के प्रति व्यापार घर्षण शुरू करना मुद्रास्फीति के महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 72 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों ने माना कि उच्च मुद्रास्फीति अगले 1 से 2 वर्षों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सामने मुख्य समस्या बन जाएगी।

उधर, सर्वेक्षण में शामिल 72 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों ने कहा कि निरंतर बढ़ती ब्याज दर विभिन्न देशों में रोजगार की स्थिति को प्रभावित करेगी। और 80 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे विकासशील देशों की सामाजिक स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा। 70 प्रतिशत से अधिक अर्थशास्त्रियों ने बताया कि फेडरल रिजर्व द्वारा निरंतर ब्याज दर बढ़ाए जाने से वैश्विक औद्योगिक श्रृंखला और आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता, अंतर्राष्ट्रीय थोक कमोडिटी ट्रेडिंग और आयात व निर्यात व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

(मीनू)

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