मानव विकास पहल के सकारात्मक पहलू

2022-10-02 16:47:04

पिछले 21 अप्रैल को बोआओ फोरम फॉर एशिया के सालाना कार्यक्रम में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने जो वैश्विक सुरक्षा पहल पेश की थी, उस ने विश्व की व्यापक नजर खींची है । कई देशों के विचार में यह क्रांतिकारी है। यहां याद कर लेने के योग्य है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने जीडीआई यानी वैश्विक विकास पहल का ऐलान 21 सितंबर  2021 को संयुक्त राष्ट्र में किया था।

वैश्विक सुरक्षा पहल के संदर्भ में जहां यूक्रेन युद्ध का ज्यादा ध्यान है, वहीं वैश्विक विकास पहल में कोविड-19 की वजह से दुनिया के सामने आए वैश्विक आर्थिक संकट को ध्यान में रखा गया था। कुछ पश्चिमी राजनयिकों ने इसे कोविड की वजह से उपजे आर्थिक संकट की प्रतिक्रिया के रूप में देखा था। बहरहाल दोनों ही पहलों में राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मानवता के साझा भविष्य वाला समुदाय विकसित करने की बात कही है। अपने दोनों ही पहलों में शी चिनफिंग ने कहा है कि मानवता के साझा भविष्य विकसित करने के लिए जरूरी है कि दुनिया सोचे। क्योंकि आज पूरी मानवता एक ही जहाज पर सवार है। उन्होंने यह भी कहा था कि मानवता की नियति भी साझा है।

मानवता को लेकर इतनी गंभीर और संजीदा बात का दुनिया में विरोध होना संभव ही नहीं था। इसलिए चीन विरोधी देश भी शी चिनफिंग की पहल को नकार नहीं पाए। दुनिया के लिए इसका विरोध करना कठिन है। वैश्विक विकास पहल का इसी वजह से दुनिया के करीब सौ देशों का चीन को समर्थन भी मिला। संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले दुनियाभर में विकास और पुनर्वास का काम करने वाली एजेंसियां तक भी इसके समर्थन में हैं। हालांकि चीन विरोधी देशों का मानना है कि चीन ने ऐसा संजीदा पहला कोविड-19 महामारी की वजह से बनी नकारात्मकता को बदलने के लिए किया है। हालांकि यह भी नहीं भूलना चाहिए कि चीन की यह पहल संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 2030 से भी जुड़ी है। संयुक्त राष्ट्र संघ चीन की इस पहल को विकासशील देशों के लिए आदर्श भी मानता रहा है।

शी चिनफिंग में एक बात महत्वपूर्ण है कि चीन खुलकर स्वीकार करने लगा है कि दुनिया ने इक्कीसवीं सदी को एशिया की सदी माना था, उसे साकार करने का समय आ गया है। यह एशिया के देशों के आपसी सहयोग से ही हासिल किया जा सकता है। पिछले करीब ढाई सौ साल में यूरोप ने वैश्विक राजनीति और अर्थनीति में अपना वर्चस्व बना रखा है। एक तरह से शी ने इस पहल के जरिए उसे भी चुनौती दी है। उन्होंने इस पहल में एशिया को बहुत महत्व दिया है। इस पहल के जरिए वे भी स्वीकार करते हैं कि एशिया ही वैश्विक शांति का वाहक, वैश्विक वृद्धि का शक्ति केंद्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति स्थापित करने के लिए आपसी सहयोगी हो सकता है। इस पहल के जरिए चीन वैश्विक राजनीति में अपनी सकारात्मक भूमिका की तलाश करता नजर आ रहा है। इसके जरिए वह अपनी आर्थिकी को भी बेहतर बनाने की दिशा में अग्रसर लगता है। इसके जरिए वह एशिया के साथ ही वैश्विक स्तर पर स्थिरता की गारंटी देने की कोशिश कर रहा है। इस पहल के नतीजे बहुत कुछ इसे जमीनी स्तर पर उतारने पर ही निर्भर करेंगे।

उमेश चतुर्वेदी

वरिष्ठ भारतीय पत्रकार

 

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