चीनी राजदूत ने मानवाधिकार परिषद में पश्चिमी देशों से उपनिवेशवाद के ऐतिहासिक मूल पाप पर आत्मविचार करने का आग्रह किया

2022-09-29 15:20:21

 जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और स्विट्जरलैंड के अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में स्थित चीनी उप प्रतिनिधि राजदूत ली सोंग ने28 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 51वें सत्र में "मानवाधिकारों के आनंद पर उपनिवेशवाद की विरासत के नकारात्मक प्रभाव" पर आयोजित संगोष्ठी में भाषण दिया। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों से उपनिवेशवाद के ऐतिहासिक मूल पाप पर आत्मविचार कर अपनी गलतियों को ठीक करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह किया।

ली सोंग ने कहा कि उपनिवेशवाद अमेरिका, ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों का ऐतिहासिक मूल पाप है, वैश्विक मानवाधिकारों के इतिहास में सबसे काला क्षण है, और मानव सभ्यता के इतिहास में घाव का एक निशान है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता। मानवता 21वीं सदी में प्रवेश कर चुकी है और उपनिवेशवाद की विरासत अभी भी व्यापक रूप से मौजूद है। इन देशों को इतिहास पर आत्मविचार करना और अपनी गलतियों को ठीक करना चाहिए।

ली सोंग ने कहा कि पूर्व औपनिवेशिक देशों द्वारा स्वतंत्र रूप से चुने गए मानवाधिकार विकास पथ का सम्मान किया जाना चाहिए। आज के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण की स्थिति में कोई भी देश दूसरे देशों को धमका नहीं सकता या उंगली नहीं उठा सकता है। इतिहास में वे उपनिवेशवादी देश आज खुद को "मानवाधिकार रक्षक" कैसे कह सकते हैं? चीन संबंधित देशों से मानवाधिकार के मुद्दों के बहाने दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की प्रथा को त्यागने, मानवाधिकारों के मुद्दों का राजनीतिकरण बंद करने, उसे साधन न करने और मानवाधिकारों के नाम पर शासन परिवर्तन को मजबूर न करने का आग्रह करता है।

ली सोंग ने कहा कि पूर्व औपनिवेशिक देशों के प्रति आर्थिक सहायता बढ़ाने की जरूरत है। उपनिवेशवादी देशों की समृद्धि पूर्व औपनिवेशिक देशों के बलिदानों पर स्थापित थी। पूर्व औपनिवेशिक देशों के लिए उनका आज का समर्थन उपहार नहीं है, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी है। महामारी के प्रसार के संदर्भ में, विकसित देशों को ऋण राहत, विकास सहायता, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण आदि में और अधिक ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि पूर्व औपनिवेशिक देशों के विकास के अधिकार की सामान्य प्राप्ति में मदद मिल सके।

(मीनू)

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