दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट "हैकर" कौन है? एनएसए!

2022-09-06 14:38:38

दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट "हैकर" कौन है?चीनी राष्ट्रीय कंप्यूटर वायरस आपातकालीन निपटारा केंद्र और 360 कंपनी ने 5 सितंबर को क्रमशः उत्तर-पश्चिमी पॉलिटेक्निक विश्वविद्यालय के विदेशी साइबर हमलों पर जांच रिपोर्ट जारी की, जिससे इस सवाल का जवाब मिल सकता है।

जांच रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के अधीनस्थ अनुकूलित एक्सेस ऑपरेशन कार्यालय यानी टीएओ ने क्रमशः 41 विशेष नेटवर्क अटैक हथियारों का इस्तेमाल कर उत्तर-पश्चिमी पॉलिटेक्निक विश्वविद्यालय पर हजारों हमले किए और कोर तकनीकी डेटा के एक खेप की चोरी की। जांच से यह भी पता चला है कि कई सालों में टीएओ ने चीन के विभिन्न प्रमुख चीनी उद्यमों, सरकार, विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संस्थानों, वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों और अन्य संस्थानों पर गुप्त हैकिंग हमले किए हैं, संबंधित नेटवर्क उपकरण नियंत्रित किए हैं, और उच्च-मूल्य डेटा चोरी करने का संदेह है। इसके साथ ही यह संस्था चीन में मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं की आवाज की निगरानी भी करती है, अवैध रूप से मैसेज चुराती है, और वायरलेस पोजिशनिंग करती है।

उपरोक्त दोनों रिपोर्ट में दिखाई गई साक्ष्य श्रृंखला स्पष्ट और पूर्ण है, जो अमेरिका द्वारा साइबर हमले किए जाने वाले 13 व्यक्तियों, साइबर हमले के माहौल के निर्माण के लिए अमेरिकी दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ हस्ताक्षरित 60 से अधिक अनुबंधों और 170 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों से संबंधित है। ये सबूत दुनिया को साइबर स्पेस में एनएसए के घृणित आचरण को दिखाते हैं।

वास्तव में साल 2013 से ही अमेरिका सरकार साइबर सुरक्षा के मुद्दों पर चीन पर धब्बा लगाने के लिए तथाकथित "रोल कॉल" रणनीति को व्यवस्थित रूप से अपनाती है, वह अमेरिका पर चीन सरकार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष साइबर हमलों की निंदा करती है, झूठी रिपोर्ट प्रकाशित कर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित करती है, चीन को "दोषी" और अमेरिका को तथाकथित "पीड़ित" के रूप में चित्रित करने का प्रयास करती है।

लेकिन, जब "प्रिज्म" घटना का खुलासा हुआ, तो एक पूर्व अमेरिकी रक्षा कांट्रेक्टर कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन ने सबूत प्रस्तुत करके पर्दाफाश किया कि अमेरिका सरकार ने घरेलू और विदेशी टेलीफोन और इंटरनेट संचार की व्यापक निगरानी की, जिसमें हुआवेइ के मुख्यालय के सर्वरों में दीर्घकालिक घुसपैठ करना, हुआवेइ कंपनी के उच्च अधिकारियों के संचार की निगरानी करना शामिल है। साल 2020 में, संबंधित चीनी एजेंसियों ने 4.2 करोड़ से अधिक दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम नमूने पकड़े, जिनमें विदेशी स्रोतों वाले 53 प्रतिशत दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम नमूने अमेरिका से आए थे। जाहिर है कि चीन अमेरिकी साइबर चोरी का गंभीर शिकार है।

अमेरिका न केवल चीन का मुकाबला करता है, सार्वजनिक रूप से प्रकट की गई जानकारी के अनुसार, अमेरिका अपने सहयोगियों सहित पूरी दुनिया में छिपकर बातें सुनता है। गत वर्ष जून में, डेनिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन ने एक बार एक विशेष रिपोर्ट दी, जिसमें खुलासा किया गया कि एनएसए ने डेनिश खुफिया विभाग के माध्यम से डेनिश इंटरनेट तक पहुंच कर कच्चे डेटा प्राप्त किए, और एन्जेला मर्केल सहित कई यूरोपीय देशों के नेताओं की निगरानी की। उधर, जर्मन साप्ताहिक पत्रिका “द मिरर” ने बताया कि एनएसए द्वारा 50 करोड़ से अधिक जर्मन फोन और इंटरनेट डेटा चोरी किए गए थे। वहीं, फ्रांसीसी अख़बार "ले मोंडे" ने रिपोर्ट जारी कर कहा कि एनएसए द्वारा फ्रांस में लगभग 7 करोड़ फोन डेटा चोरी किए गए थे। इतने सबूतों से जाहिर है कि दुनिया भर में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी यानी एनएसए सबसे बड़ा हैकर है!

इस बार चीन द्वारा उत्तर-पश्चिमी पॉलिटेक्निक विश्वविद्यालय पर साइबर हमले की जांच रिपोर्ट साइबर चोरी को कभी बर्दाश्त नहीं करने और सक्रिय रक्षा करने के अपने दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। दुनिया के सभी शांतिप्रिय देशों को अमेरिकी साइबर आधिपत्य का दृढ़ता से विरोध करने और वैश्विक नेटवर्क के लिए एक स्पष्ट स्थान बहाल करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।

(श्याओ थांग)

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