अमेरिका चिप्स एंड सांइस अधिनियम से वैज्ञानिक व प्रौद्योगिकी आधिपत्य बनाए रखना चाहता है

2022-08-12 10:23:38

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में चिप्स एंड सांइस ऐक्ट पर हस्ताक्षर किये। इस अधिनियम के अनुसार अमेरिकी सरकार चिप्स उद्योग बढ़ाने के लिए लगभग 2 खरब 80 अरब अमेरिकी डॉलर का अनुदान करेगा, ताकि संबंधित उद्यम अमेरिका में कारखाना स्थापित करेंगे और प्रगतिशील चिप्स उद्योग अमेरिका में एकत्र होंगे, लेकिन स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अमेरिका की इस कार्रवाई की असली नियत अपना वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी आधिपत्य बनाए रखना है। वह बाजार नियम के विरुद्ध है।

इधर कुछ साल चीन समेत कुछ देश सेमिकंडक्टर विनिर्माण उद्योग में निरंतर प्रगति हासिल कर रहे हैं, जिससे अमेरिका में बड़ी चिंता पैदा हुई है। अमेरिका चिप्स एंड सांइस अधिनियम से संबंधित उद्यमों को पक्ष लेने के लिए मजबूर कर रहा है और चीन जैसे देशों के सेमिकंडक्टर उद्योग के विकास में बाधा डाल रहा है। इस तरह चिप्स उद्योग में अमेरिका अपना वर्चस्व बनाए रख सकेगा।

लेकिन शीतयुद्ध विचार से प्रेरित इस अधिनियम की खामियां स्पष्ट तौर पर नजर आती हैं। सबसे पहले वह व्यावसायिक विकास के नियम के खिलाफ है। वर्तमान में चिप्स उद्योग का वैश्विकरण पूरा हो चुका है। समग्र दृष्टि से देखा जाए तो अमेरिका को इस क्षेत्र में स्पर्धात्मक लाभ नहीं है। इतिहास ने साबित किया है कि विशेष व्यवसाय को भत्ता देने से बाजार नियम का मुकाबला नहीं किया जा सकता ।

बोस्टन परामर्श कंपनी समेत संस्थानों के अध्ययन के अनुसार, अगर अमेरिका चीन के साथ तकनीकी संबंध-विच्छेद नीति लागू करेगा, तो शायद अल्पकाल के लिए चीन को परेशानी होगी, लेकिन अमेरिकी सेमिकंडक्टर उद्योग को अधिक नुकसान होगा। अनुमान है कि अमेरिका विश्व बाजार का 18 शेयर और 37 प्रतिशत आय खो जाएगा और 15 हजार से 40 हजार उच्च दक्षता वाले रोजगार गंवा देंगे।

राजनीतिक हस्तक्षेप बाजार नियम के प्रतिकूल है और तकनीकी ब्लॉक विकास के रूझान के खिलाफ है। अमेरिका का यह अधिनियम अप्रभावी साबित होगा। (वेइतुंग)   

रेडियो प्रोग्राम