तकनीक के जरिए चीन अनाज उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ा सकता है

2022-08-10 17:06:32

हालांकि पिछले साल चीन में औसत प्रति व्यक्ति अनाज उत्पादन 483 किलोग्राम था, लेकिन देश को इस साल अपने अनाज उत्पादन में बढ़ती रासायनिक उर्वरक कीमतों और कोविड-19 महामारी के निरंतर प्रभावों के कारण कठोर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

इन परिस्थितियों में अपने अनाज उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए, चीन को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका को पूरी तरह से इस्तेमाल करने की जरूरत है।

उन्नत बीजों, वैज्ञानिक उर्वरीकरण, एकीकृत नियंत्रण और कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने की बदौलत, देश ने प्रति इकाई क्षेत्र में अपनी उपज में लगातार वृद्धि की है। साल 2003 की तुलना में पिछले साल प्रति हेक्टेयर खेत में अनाज की उपज में 1,468 किलोग्राम की वृद्धि हुई।

चीन ने साल 2014 से मक्का, सोयाबीन, चावल, गेहूं और अन्य फसल किस्मों के बीज प्रजनन पर क्रमिक रूप से संयुक्त अनुसंधान शुरू किया है, और कई नई चावल बीज किस्मों को पैदा किया है।

मौजूदा समय में इसकी 95 फीसदी से अधिक जोत वाली भूमि देश द्वारा विकसित बीजों से बोई जाती है, और इसकी 96 फीसदी से अधिक खेती योग्य भूमि में उन्नत किस्मों के बीज बोए जाते हैं।

चीन ने कृषि मशीनरी के उपयोग को बढ़ावा दिया है, और किसानों को कंपनियों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से कृषि मशीनरी और सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके उन्हें आधुनिक कृषि के रास्ते में मार्गदर्शित किया है।

अब चीन का ध्यान फसल, परिवहन और भंडारण में अनाज के नुकसान को कम करने और कृषि मशीनीकरण उत्पादन की दक्षता में और सुधार करने पर होना चाहिए। इतना ही नहीं, कृषि मशीनरी को कृषि किस्मों के अनुकूल बनाना चाहिए। 

इसके अलावा, कृषि मशीनरी अनुसंधान, निर्माण और उपयोग को सब्सिडी देना जारी रखना चाहिए और कृषि मशीनरी और उपकरणों को अपनाने को सख्ती से लोकप्रिय बनाना चाहिए, जो कृषि उत्पादन की दक्षता में काफी वृद्धि कर सकते हैं और कृषि श्रम की लागत को कम कर सकते हैं।

साल 2021 में, गेहूं, मक्का और चावल की खेती, बुवाई और कटाई में राष्ट्रीय औसत व्यापक मशीनीकरण दर क्रमशः 97 प्रतिशत, 90 प्रतिशत और 85 प्रतिशत से अधिक हो गई।

कृषि में, चीन को अपनी आपदा रोकथाम और शमन क्षमताओं में सुधार करने की आवश्यकता है। उच्च परिशुद्धता निगरानी प्रौद्योगिकी और उपकरणों के साथ प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी और पूर्व चेतावनी में भी सुधार किया जाना चाहिए।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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