चीन-अफ्रीका सहयोग पर अमेरिका का कहना अहम नहीं है
8 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका की यात्रा कर रहे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मीडिया से कहा कि अमेरिका यह नहीं चाहता है कि अफ्रीकी देश अमेरिका और चीन के बीच किसी की चयन करे, बल्कि अमेरिका यह चाहता है कि अफ्रीकी देश एक सच्चा विकल्प दे सके। उस दिन अमेरिकी ह्वाइट हाउस ने दक्षिण-सहारा अफ्रीका सामरिक तथ्य सूची जारी कर कहा कि चीन अफ्रीका को खुद के वाणिज्य और भू-राजनीति के हितों को बढ़ाने और अमेरिका एवं अफ्रीकी लोगों और सरकारों के बीच संबंधों को कम करने का अहम रंगमंच मानता है।
इसकी चर्चा में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वनपिन ने 9 अगस्त को पेइचिंग में आयोजित एक नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह अहम नहीं है कि अमेरिका ने क्या कहा, अहम बात यह है कि अफ्रीकी लोग कैसे चीन-अफ्रीका सहयोग को देखते हैं।
वांग वनपिन ने कहा कि अफ्रीकी देशों की विभिन्न देशों के साथ संबंधों का विकास करने की स्वतंत्रता है। अफ्रीकी जनमत संग्रह संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक, 66 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि अफ्रीका में चीन का राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव सकारात्मक है। वांग ने जोर दिया कि चीन अफ्रीकी देशों के साथ मिलकर सहयोग को आगे बढ़ाएगा और घनिष्ट चीन-अफ्रीका साझे भाग्य वाले समुदाय की रचना करेगा।
उधर, जापान के कई राजनेताओं की तथाकथित परमाणु साझा करने की दलील के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वनपिन ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में परमाणु साझा करने के अवधारणा को कॉपी करने की किसी भी साजिश का अवश्य ही क्षेत्रीय देशों का दृढ़ विरोध किया जाएगा। चीन का यह स्पष्ट रुख है कि परमाणु साझा करने का प्रबंध परमाणु हथियार की अप्रसार संधि के नियमों का उल्लंघन करता है।
हाल में परमाणु हथियार की अप्रसार संधि की 10वीं समीक्षा बैठक में जापान सरकार ने जो रिपोर्ट दी, जिसमें परमाणु मुक्त तीन सिद्धांत (परमाणु हथियार नहीं होने, नहीं उत्पादन करने और नहीं आयातित करने का सिद्धांत) हटाया गया है। इसकी चर्चा में चीनी प्रवक्ता वांग वनपिन ने चीन के उपरोक्त रुख पर प्रकाश डाला।