दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की जानबूझकर भड़काने की कार्रवाई विफल होगी

2022-07-29 10:27:23

 

पिछले एक महीने से अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में इस तरह का हथकंडा खेला कि उसने युद्धपोतों को हजारों मील दूर चीन के दरवाजे पर भेजकर उकसाने वाली कार्रवाई की और साथ ही चीन पर "आक्रामक" होने का झूठा आरोप लगाया, क्योंकि चीन ने मजबूरन वैध रक्षा की। 26 जुलाई को, दो अमेरिकी अधिकारियों ने दक्षिण चीन सागर के मुद्दे को फिर से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन के "आक्रामक और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार" से देर-सवेर "बड़ी दुर्घटनाएँ" होंगी। उसी दिन, यूएसएस रोनाल्ड रीगन विमानवाही पोत सिंगापुर के बंदरगाह को छोड़ कर फिर से दक्षिण चीन सागर में चला गया।

"आक्रामकता" की चर्चा करें तो दुनिया का कौन सा देश अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है?  एक बाहरी देश के रूप में अमेरिका ने कई वर्षों तक तथाकथित "नेविगेशन की स्वतंत्रता" के बैनर तले दक्षिण चीन सागर में अपनी मांसपेशियों को दिखाया है, जो दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण को बढ़ाने के लिए सबसे बड़ा प्रोत्साहन है। विशेष रूप से पिछले साल यूएस-यूके-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी (एयूकेयूएस) की स्थापना के बाद अमेरिका ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया के साथ गोपनीय नौसैनिक परमाणु ऊर्जा जानकारी साझा की है, जिससे दक्षिण चीन सागर की सुरक्षा के सामने खतरे बढ़ रहे हैं।

इस महीने के मध्य में अमेरिका के यूएसएस बेनफोर्ड मिसाइल विध्वंसक ने चीन सरकार की मंजूरी के बिना चीन के शीशा प्रादेशिक समुद्र के क्षेत्र में अवैध रूप से घुसपैठ की। चीनी सेना ने नौसेना और वायु सेना को भेजकर उसकी निगरानी की और उन्हें चेतावनी देकर खदेड़ दिया।

यह स्पष्ट है कि अमेरिका ने चीन की संप्रभुता और सुरक्षा का गंभीर उल्लंघन किया और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र की शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया। लेकिन उसने "आक्रामक" के टोपी को राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा करने वाले चीन के सिर पर रखने की कोशिश की। उसने चीन और दक्षिण चीन सागर के आसपास देशों के बीच संबंधों में फूट डालने की कोशिश की, ताकि दक्षिण चीन सागर का पानी गंदा हो जाए। वर्तमान में अमेरिका ने प्रमुख शक्ति प्रतिस्पर्धा के फोकस को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रख दिया। इस स्थिति में दक्षिण चीन सागर अमेरिका के लिए चीन को दबाने और अपने आधिपत्य को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कार्ड बन गया है।

लेकिन दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के बाहर के देशों के लिए "शिकार पार्क" नहीं है, न ही प्रमुख शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा है। हाल के वर्षों में चीन और संबंधित आसियान देशों के संयुक्त प्रयासों में दक्षिण चीन सागर की स्थिति आम तौर पर स्थिर बनी हुई है। इस क्षेत्र के देश जानते हैं कि अमेरिका असली गड़बड़ पैदा करने वाला है और दक्षिण चीन सागर व एशिया की शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

बाहरी दुनिया ने देखा कि इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो की हाल की चीन यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने समुद्री क्षेत्र में समकक्ष विभागों के बीच संपर्क व आदान-प्रदान को मजबूत करने, समुद्री सहयोग निधि परियोजना को लागू करने, समुद्री अर्थव्यवस्था की क्षमता का दोहन करने का निर्णय लिया और साथ ही समुद्री सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये। आसियान के "नेता" के रूप में, इंडोनेशिया का रवैया कुछ हद तक दक्षिण चीन सागर के देशों की साझा आकांक्षाओं को दर्शाता है। आज, इस क्षेत्र के देशों के पास दक्षिण चीन सागर मुद्दे को हल करने का प्रभुत्व है। इतिहास अंततः साबित करेगा कि दक्षिण चीन सागर के शांति के समुद्र में कौन असली मालिक हैं।

(मीनू)

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