चीन और इंडोनेशिया साझे भविष्य वाले समुदाय का निर्माण करेंगे
26 जुलाई को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने यात्रा पर आये इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ वार्ता की ।दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच साझे भविष्य वाले समुदाय के निर्माण का फैसला किया और सिलसिलेवार उपलब्धियां हासिल कीं ।
इतिहास में चीन और इंडोनेशिया ने हाथ में हाथ डालकर साम्राज्यवाद और प्रभुत्ववाद का विरोध किया था ।वर्ष 1955 में इंडोनेशिया के बांडोंग में आयोजित एशिया-अफ्रीका सम्मेलन ने एशिया और अफ्रीका के व्यापक क्षेत्रों में विभिन्न देशों की स्वतंत्रता ढूंढने और सुरक्षा करने के लिए भारी योगदान दिया था ।
कई दशकों के बाद चीन और इंडोनेशिया समान विकास दौर से गुजर रहे हैं ।दोनों के बहुत समान हित और विचार हैं ।अभूतपूर्व अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति के बदलाव और कोविड महामारी के सामने चीन और इंडोनेशिया साझे भविष्य वाले समुदाय के निर्माण से दोनों के लिए विकास का नया मौका लाएंगे ।
इंडोनेशिया चालू साल जी-20 शिखर बैठक का अध्यक्ष देश है और अगले साल आसियान का अध्यक्ष देश भी बनेगा ।इस संदर्भ में चीन और इंडोनेशिया के बीच अच्छे संबंधों का विकास न सिर्फ दोनों देशों के समान दूरगामी हितों से मेल खाता है ,बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सकारात्मक प्रभाव भी डालेगा ।
स्थानीय विश्लेषकों के विचार में चीन और इंडोनेशिया का अच्छा सहयोग चीन—आसियान सहयोग के लिए रोल मॉडल बनेगा और आरसीईपी सहयोग बढ़ाने के लिए प्रेरणा देगा ।
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए चीन और इंडोनेशिया के पारस्परिक समर्थन और सहयोग मजबूत करने से वैश्विक शासन के लिए एशिया की शक्ति मिलेगी।
उधर राष्ट्रपति जोको विडोडो की चीन-यात्रा से फिर जाहिर है कि एशिया गुटों के मुकाबले का स्वागत नहीं करता ।शांति और विकास का अनुसरण इस क्षेत्र की जनता की मुख्य मांग है ।(वेइतुंग)