आपदा संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए सक्रिय हुआ चीन

2022-07-23 17:56:39

पिछले कुछ वर्षों से विश्व के कई क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं और चुनौतियों से जूझ रहे हैं। एशियाई देश चीन और भारत में हाल के दिनों बाढ़, सूखा व भूकंप आदि मुश्किलों ने लोगों का जनजीवन काफी प्रभावित किया है। अगर चीन की बात करें तो यहां की सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और इस दिशा में कदम भी उठाए जा रहे हैं। चीन द्वारा किए जा रहे प्रयास उसकी 14वीं पंचवर्षीय योजना में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। 

हाल में इस संबंध में जारी रिपोर्ट के अनुसार चीन ने 14वीं पंचवर्षीय योजना(2021-2022) की अवधि के दौरान आपदा रोकथाम और शमन में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है।  जिसमें एक आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली का निर्माण करने का संकल्प लिया गया है, जो जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट से बेहतर ढंग से तालमेल बिठा सके। 


राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण आयोग द्वारा पिछले दिनों इस योजना को लांच किया गया। कहा जा रहा है कि इस योजना का उद्देश्य आपदाओं को रोकने और कम करने के लिए देश के बुनियादी ढांचे में कमजोर स्थिति को मजबूत करना है। इसके साथ ही उन्हें देश की शासन प्रणाली और क्षमता की आधुनिकीकरण प्रक्रिया से मेल खाने के लिए जोड़ना है। 


चीन के संबंधित मंत्रालय के मुताबिक 13वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान एक वर्ष में प्रत्येक 10 लाख लोगों में प्राकृतिक आपदा से संबंधित 1.3 से कम मौतों का लक्ष्य निर्धारित किया था, जबकि वास्तविक परिणाम केवल 0.7 था।

चीनी आपात प्रबंधन मंत्रालय के प्रमुख छन शंग ने हाल में न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि चीन आपदा के खतरों को अधिकतम स्तर तक कम करने का प्रयास करेगा। यह लक्ष्य दस लाख लोगों में 1 व्यक्ति की मौत तक सीमित करना होगा।

गौरतलब है कि चीन भी आपदा संबंधी चुनौतियों से जूझ रहा है। वहीं चीन मौसम संबंधी आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है। चीन मौसम विज्ञान प्रशासन के एक अधिकारी के अनुसार चीन में 70 फीसदी से ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं मौसम संबंधी घटनाओं से जुड़ी हुई हैं। इस तरह देश में आपदा की रोकथाम और शमन में सटीक निगरानी और अधिक योगदान के लिए प्रशासन के प्रयासों को तेज़ करने पर ज़ोर दिया गया है। 

कहा जा सकता है पिछले कई वर्षों से चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में किए जा रहे व्यापक प्रयास सराहनीय हैं। जिनका असर भविष्य में चीन और अन्य देशों में देखने को मिल सकता है। 


अनिल पांडेय

  


 

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