अमेरिका और ब्रिटेन की हिंसक कार्रवाइयों की न्यायिक जांच की जानी चाहिए

2022-07-19 10:03:44

बीबीसी ने हाल ही में अफगानिस्तान में तैनात ब्रिटिश सेना की हिंसक कार्रवाइयों का पर्दाफाश किया। बीबीसी की पड़ताल के अनुसार ब्रिटिश सैनिकों ने अफगानिस्तान में कई बार युद्धबंधकों और बेगुनाह नागरिकों की हत्या की है। चौंकाने वाली बात है कि उन्होंने हत्या के लिए प्रतिस्पर्धा भी की। इसके अलावा संबंधित टुकड़ियों ने इन घटनाओं को छिपाने की कोशिश भी की।

अपराधों का पर्दाफाश होने के बाद ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने क्षमा मांगने और जांच कर जिम्मेदारी ठहराने के बजाये बीबीसी की रिपोर्ट पर गैर-जिम्मेदार होने का आरोप लगाया ।लेकिन संबंधित विशेषज्ञों ने स्थल पर खींचे गये फोटो का अध्ययन करने के बाद बताया कि जो मृतक थे, वे लड़ाई में नहीं मारे गये थे, बल्कि उन्हें मृत्युदंड दिया गया था।

वास्तव में न सिर्फ ब्रिटिश सेना ने अफगानिस्तान में बेगुनाह नागरिकों की हत्या की थी, बल्कि दिसंबर 2020 में ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्रालय ने जांच कर ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की ऐसी बर्बरता करने की रिपोर्ट जारी की थी। अमेरिका ने अफगानिस्तान युद्ध में 1 लाख 74 हजार अफगानों को मार डाला था, जिनमें लगभग 30 हजार नागरिक शामिल थे।

उल्लेखनीय बात है कि ऐसे कार्रवाइयों को सार्वजनिक किये जाने के बाद संबंधित पश्चिमी देशों ने जिम्मेदारी लेने से कतराने की कुचेष्टा की। ब्रिटिश संसद ने तथाकथित विदेश में कार्रवाई अधिनियम लागू किया, जो विदेश में गभीर अपराध करने वाले ब्रिटिश सैनिकों को शरण देता है। अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के अपराध की जांच करने वाले अंतरराष्ट्रीय फौजदारी न्यायालय के अनेक अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सबसे पहले बर्बरता का पर्दाफाश करने वाले सैनिक डेविड मैकब्रिद पर मुकदमा चलाया।

अफगानिस्तान में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के सैनिकों के अपराध को न्यायिक जांच मिलनी चाहिए। न्याय में शायद देर लेकिन अंधेर नहीं। (वेइतुंग)

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